अगर आप लगातार एक ही पोजीशन में बैठे रहें या काम करते रहें, तो आपका शरीर और दिमाग दोनों ही थक जाते हैं। इसके बाद अगर आप उठकर अपने शरीर की थोड़ी खींचतान करते हैं, तो इससे आपको बड़ा आराम मिलता है। शरीर की इसी खींचतान को अंग्रेजी में स्ट्रेचिंग कहते हैं। स्ट्रेचिंग भी एक तरह का शारीरिक व्यायाम है, जिसके लिए आपको न तो जिम जाने की जरूरत होती है और न ही बहुत अधिक जगह घेरने की जरूरत होती है। आप एक ही जगह पर खड़े-खड़े या बैठे हुए आराम से स्ट्रेचिंग कर सकते हैं।
फिटनेस एक्सपर्ट्स की मानें तो वर्कआउट से पहले और किसी भी हाई इंटेंसिटी एक्टिविटी से पहले स्ट्रेचिंग करना बहुत जरूरी है। ये स्ट्रेचिंग आपकी नसों में खून का संचार बढ़ाती है और आपको तनावमुक्त बनाती है। आइए आपको बताते हैं कि आपके शरीर और मन को स्वस्थ रखने में स्ट्रेचिंग कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मांसपेशियों के तनाव को कम कर देती है स्ट्रेचिंग
लगातार एक ही पोजीशन में बैठने, काम करने या एक्सरसाइज करने से मांसपेशियों (मसल्स) में तनाव आ जाता है और ब्लड सर्कुलेशन (रक्त प्रवाह) धीमा हो जाता है। स्ट्रेंचिंग के द्वारा मांसपेशियों के इस तनाव को कम किया जा सकता है। दिन में कई बार 2-4 मिनट की भी स्ट्रेचिंग अगर आप कर लेते हैं, तो इससे आपकी मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं। अगर आप वर्कआउट करते हैं या किसी स्पोर्ट्स से जुड़े हैं, तो स्ट्रेचिंग करने से आपको खेल या वर्कआउट के दौरान चोट का खतरा कम रहता है।
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स्ट्रेचिंग के समय सांस गहरी लेकर बढ़ा सकते हैं फायदे
आमतौर पर थकने के बाद जब आप अपने शरीर को स्ट्रेच करते हैं, तो सामान्य तरीके से करते हैं। मगर यदि आप इसी स्ट्रेचिंग के दौरान अपनी सांस लेने की प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव कर लें, तो आपको इसके लाभ कई गुना अधिक मिलेंगे। जैसे- शरीर को स्ट्रेच करते समय गहरी सांस लीजिए और फिर धीरे-धीरे छोड़ दीजिए। इससे आपके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन के साथ-साथ ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल भी बढ़ेगा। खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से मानसिक तनाव कम होता है।
कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं स्ट्रेचिंग
आमतौर पर एक्सरसाइझ के लिए एक समय निश्चित होता है। आप दिन में या रात में ही एक्सरसाइज करते हैं। मगर स्ट्रेचिंग आप किसी भी समय कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति वर्कआउट नहीं भी करता है, तो उसे स्ट्रेचिंग जरूर करनी चाहिए। सिर्फ स्ट्रेचिंग करने से भी आपके अंग स्वस्थ रहते हैं और इसके ढेर सारे शारीरिक लाभ हैं।
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बढ़ती है अंगों की फ्लेक्सिबिलिटी
शरीर को स्ट्रेच करने से और हिलाने-डुलाने से आपके अंगों की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है। याद रखें फ्लेक्सिबिलिटी यानी शरीर के लचीलेपन की जरूरत सिर्फ उन्हें नहीं होती है, जो एथलीट हैं, खेल खेलते हैं या वर्कआउट करते हैं, बल्कि लचीलापन सामान्य लोगों के लिए भी जरूरी है। गिरने, धक्का लगने, एक्सीडेंट होने आदि में सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों का होता है, जिनके अंग फ्लेक्सिबल नहीं होते हैं। इसलिए स्ट्रेचिंग रेगुलर कीजिए, ताकि आपके अंग फ्लेक्सिबल बनें।
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