प्रेगनेंसी के दौरान क्यों जरूरी है डेंटल चेकअप? मां और शिशु के स्वास्थ्य पर कैसे असर डालती है मुंह की गंदगी?

अगर कोई महिला गर्भावस्था के समय दांत या मसूड़ों की किसी भी परेशानी से पीड़ित है, तो ऐसे में शिशु की सेहत पर इसका असर देखने को मिलता है।
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प्रेगनेंसी के दौरान क्यों जरूरी है डेंटल चेकअप? मां और शिशु के स्वास्थ्य पर कैसे असर डालती है मुंह की गंदगी?

गर्भावस्था के दौरान स्त्री और गर्भ में विकसित हो रहा शिशु, दोनों ही कई परिवर्तनों से गुजरते हैं। जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है वैसे-वैसे गर्भवती के शरीर की संरचना भी परिवर्तित होती है साथ ही साथ गर्भवती को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर कोई महिला गर्भावस्था के समय दांत या मसूड़ों की किसी भी परेशानी से पीड़ित है, तो ऐसे में शिशु की सेहत पर इसका असर देखने को मिलता है और कभी-कभी समय से पहले डिलीवरी का जोखिम भी बढ़ सकता है। इसके साथ ही कई अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है जैसे:

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  • अत्यधिक थकान होना।
  • चक्कर आना।
  • मितली आना।
  • अत्यधिक भूख लगना।
  • दाँतों से खून आना, मसूड़ों में सूजन आना।
  • योनी स्त्राव।
  • कमर दर्द।
  • सूजन आना इत्यादि।

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जैसा कि हमने देखा गर्भवती को किस प्रकार गर्भावस्था के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें से एक समस्या दाँतों की भी है। गर्भवती को कई बार गर्भावस्था के दौरान दाँतों में से खून आने लगता है, मसूड़ों में सूजन आने लगती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान दाँतों का परिक्षण एवं दाँतों की देखभाल बहुत जरुरी है। यह माँ और शिशु दोनों के लिए ही आवश्यक है।

गर्भावस्था के दौरान दाँतों का परिक्षण गर्भवती माँ और शिशु के लिए क्यों जरुरी है?:

गर्भावस्था के दौरान हार्मोंस परिवर्तन के कारण दाँतों में से खून आना, मसूड़ों का संवेदनशील होना बहुत आम समस्या है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि गर्भवती को पहले से ही दाँतों की समस्या होती है तब यह समस्या शिशु में होने की सम्भावना भी होती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान दाँतों का परिक्षण बहुत आवश्यक है जिससे कि जो दाँतों की समस्या गर्भवती को है वो समस्या जन्म के बाद शिशु को न हो। इस समस्या से बचने के लिए चिकित्सक की सलाह बहुत जरुरी हैं साथ ही साथ घर के कुछ नुस्खे भी अपनाये जा सकते हैं जैसे:

गर्भावस्था के दौरान दाँतों की समस्या से बचने के घरेलु नुस्खे:

लौंग के तेल का प्रयोग:

वैसे तो लौंग की तासीर गर्म होती है इसलिए गर्भवती महिलाएँ लौंग के तेल का प्रयोग दाँतों के लिए कर सकती हैं। रुई के फाहे पर थोडा सा लौंग का तेल डालें और उसे जहाँ भी दाँत में दर्द हो रख लें। तो भी लार निकलें उसे थूक की तरह मुह से बाहर निकाल दें। यह नुस्खा दाँतों के लिए काफी अच्छा है।

अनार के छिलके का मंजन:

अनार में कई गुण पाए जाते हैं। अनार के छिलकों को सुखा लीजिये और इसे बिल्कुल बारीक पीस लीजिये। इसके द्वारा रोज मंजन करने से दाँतों की कई समस्याएँ दूर होती हैं जैसे दाँतों या मसूड़ों से खून आना, मुँह से दुर्गन्ध आना, दाँतों का पीलापन, दाँतों में मेल जमा होना इत्यादि।

बेकिंग सोडा एवं नमक:

दाँतों की समस्याओं को  दूर करने के लिए बेकिंग सोडा और नमक बहुत ही उम्दा उपाय माने जाते हैं। चुटकी भर बेकिंग सोडा और उसमें नमक मिला लीजिये और इससे दाँतों को साफ़ करिए। ध्यान रखें कि ज्यादा तेज़ दाँतों को नहीं घिसना है। इसे उपयोग करने से भी दाँतों की समस्या दूर हो जाती है।

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ये सभी नुस्खे घरेलु हैं लेकिन अगर गर्भवती को दाँतों में अत्यधिक परेशानी है तो बिना देर किये दन्त रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए। क्योंकि दन्त रोग विशेषज्ञ सारी परेशानी को अच्छे से भांप कर उसका इलाज कर सकते हैं ताकि गर्भ में पल रहे शिशु को जन्म के बाद कोई समस्या न हो।

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