सरकार को 200 रुपये में देंगे और प्राइवेट बाजार में 1000 रुपये में मिलेगी कोविशील्ड वैक्सीन: अदार पूनावाला

भारतीय कोरोना वैक्सीन Covaxin को क्लीनिकल ट्रायल मोड में बहुत सावधानी के साथ और आपातकालीन स्थिति में ही सीमित इस्तेमाल की मंजूरी मिली है।
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सरकार को 200 रुपये में देंगे और प्राइवेट बाजार में 1000 रुपये में मिलेगी कोविशील्ड वैक्सीन: अदार पूनावाला


भारत में अब दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की परमिशन मिल गई है, जिनमें एक तो देसी बहुप्रतीक्षित वैक्सीन 'कोवैक्सीन' है और दूसरी है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई गई 'कोविशील्ड'। भारत में कोविशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है, जो जिसका नाम दुनिया के सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनियों में शामिल है। सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया है कि उनके कंपनी द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' भारत सरकार को 200 रुपये में बेची जाएगी, जबकि बाजार में प्राइवेट इस्तेमाल के लिए भी ये वैक्सीन उपलब्ध होगी, जहां इसकी कीमत 1000 रुपये प्रति डोज होगी।

दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बात अगर भारत की करें, तो  देश में पिछले 24 घंटे में 18,177 नए मामले सामने आए हैं, जिनमें से  217 लोगों की जान जा चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 1 करोड़ तीन लाख 23 हजार हो गए हैं। इनमें से अब तक 1 लाख 49 हजार 435 लोगों की जान जा चुकी है। पर दुनिया भर में अब आतंक पुराने कोरोना वायरस का नहीं बल्कि कोरोना के नए स्ट्रेन का है। हालांकि, अच्छी खबर ये है कि  भारत के दवा नियामक ने आपात स्थितियों में कोरोना वायरस के दो वैक्सीन (Corona Vaccine Update),पहला ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड  (Covishield) और भारत बायोटेक द्वारा देश में बनाए गए वैक्सीन 'कोवैक्सीन (Covaxin)' के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं, अब विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने भी भारतीय कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सीन (Covaxin)'का स्वागत किया है।

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WHO ने भारतीय कोरोना वैक्सीन का किया स्वागत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने रविवार को भारत की COVID-19 वैक्सीन की मंजूरी का स्वागत करते हुए एक ट्वीट किया और कहा कि इस निर्णय से कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। अपने ट्वीट में डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि  "डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में COVID-19 वैक्सीन को दिए गए पहले आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण का स्वागत करता है। भारत द्वारा आज लिया गया यह निर्णय क्षेत्र में COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई को तेज करने और मजबूत करने में मदद करेगा।" 

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दुनिया भर में  तेजी से फैल रहे हैं कोरोना के ये 4 स्ट्रेन 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि संक्रमण के पहले मामले, जो कि चीन के वुहान मिले थे, उसके आने के बाद से कम से कम 4 प्रकार के कोरोनोवायरस वेरिएंट दुनिया भर में घूम रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि शुरुआत के बाद से महामारी को लेकर, संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी को असामान्य सार्वजनिक स्वास्थ्य घटनाओं की कई रिपोर्टें मिली है जो संभवतः SARS-CoV-2 के वेरिएंट के प्रकोप की ओर इशारा करती है।

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पहला वेरिएंट-जनवरी के अंत या फरवरी 2020 की शुरुआत में उभरा

WHO ने SARS-CoV-2 के एक वेरिएंट को D614G प्रतिस्थापन (Replication) के साथ जीन स्पाइक प्रोटीन में एन्कोडिंग कहा है जो, जनवरी के अंत या फरवरी 2020 की शुरुआत में उभरा था। कई महीनों की अवधि में, D614G उत्परिवर्तन ने प्रारंभिक SARS-CoV-2 स्ट्रेन को प्रतिस्थापित कर दिया। जिसकी पहचान चीन में हुई थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा, म्यूटेशन वैश्विक रूप से प्रसारित होने वाले कोरोनावायरस का अधिक प्रभावी रूप बन गया है।

दूसरा वेरिएंट-जून 2020 में उभरा

अध्ययनों से संकेत मिला है कि D614G प्रतिस्थापन के साथ दूसरा स्ट्रेन जून 2020 के प्रारंभ में मिला और ये वायरस पहले की तुलना में ये अधिक संक्रामक था।

तीसरा वेरिएंट-अगस्त और सितंबर 2020 में उभरा

दूसरे संस्करण की रिपोर्ट किए जाने के बाद, कोरोनवायरस का एक और संस्करण अगस्त और सितंबर 2020 में रिपोर्ट किया गया था जो कि मनुष्यों में फैल गया। इसे भी काफी संक्रामक माना गया था। 

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चौथा वेरिएंट- नवंबर 2020 के साथ फैलता गया

नए कोरोनावायरस का स्ट्रेन, जिसे "क्लस्टर 5" के रूप में संदर्भित किया गया था, की पहचान नवंबर से 14 दिसंबर, 2020 के आस पास पाया गया।

गौरतलब है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड' और भारत बायोटेक के देश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन' के सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी, जिससे देश में इसके व्यापक टीकाकरण अभियान का रास्ता साफ हो गया है। पर अब भी कई प्रश्न हैं, जो कि इन वैक्सीन के साथ जुड़ी हुई हैं। जैसे कि ये वैक्सीन आम लोगों तक कब पहुंचेगी, कैसे पहुंचेगी और इनकी लागत क्या होगी और इनका खर्चा कौन उठाएगा?

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