कैंसर एक बेहद खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, महिलाओं में होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसर में ओवेरियन कैंसर (अंडाशय का कैंसर) एक गंभीर समस्या बनकर उभरा है। बीते कुछ वर्षों में इसके मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई है, खासतौर पर 40 वर्ष की उम्र के बाद की महिलाओं में। यह बीमारी अक्सर बिना किसी लक्षण के धीरे-धीरे शरीर में फैलती है, और जब तक इसका पता चलता है, तब तक यह दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर चुकी होती है। ओवेरियन कैंसर को अक्सर 'साइलेंट किलर' कहा जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण जैसे पेट फूलना, हल्का दर्द, भूख कम लगना या बार-बार पेशाब आना इतने सामान्य होते हैं कि महिलाएं इन्हें नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन यह लक्षण अगर लगातार बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। कुछ महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का खतरा सामान्य महिलाओं की तुलना में कहीं अधिक होता है। ऐसे में यह जरूरी है कि महिलाएं खुद को जागरूक रखें, जोखिम कारकों को समझें और समय-समय पर मेडिकल जांच करवाएं। क्योंकि शुरुआती चरण में अगर इसका पता चल जाए, तो इलाज संभव और सफल हो सकता है। इस लेख में नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग की एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. नीतू पांडे (Dr. Neetu Pandey, Associate Consultant, Radiation Oncology, Fortis Hospital, Noida) से जानिए, किन महिलाओं को ओवेरियन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है?
किन महिलाओं को ओवेरियन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है? - Who Is At Greatest Risk For Ovarian Cancer
1. पारिवारिक इतिहास और जेनेटिक म्यूटेशन
अगर किसी महिला की मां, बहन या बेटी को ओवेरियन या ब्रेस्ट कैंसर रहा है, तो उसमें इस बीमारी का खतरा सामान्य महिलाओं की तुलना में अधिक होता है। BRCA1 और BRCA2 जैसे जेनेटिक म्यूटेशन इस जोखिम को और बढ़ा देते हैं। यही कारण है कि जेनेटिक काउंसलिंग और टेस्टिंग को अब अधिक महत्व दिया जा रहा है, खासकर उन महिलाओं में जिनका पारिवारिक इतिहास कैंसर से जुड़ा रहा है।
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2. मोटापा और अनहेल्दी लाइफस्टाइल
मोटापा आज की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है और यह कई तरह के कैंसर का कारण बन सकता है। मोटापे से शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक हो जाती है, जो ओवेरियन कैंसर के विकास में सहायक हो सकती है। साथ ही, एक्सरसाइज की कमी, गलत खानपान और तनावपूर्ण लाइफस्टाइल भी इस बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
3. एंडोमेट्रियोसिस और अन्य गर्भाशय संबंधित बीमारियां
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय की परत की तरह की कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर विकसित हो जाती हैं। इससे दर्द, अनियमित पीरियड्स और बांझपन की समस्या होती है। एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का जोखिम थोड़ा अधिक हो सकता है, विशेष रूप से एंडोमेट्रियोइड प्रकार के ट्यूमर में।
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4. हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
मेनोपॉज के बाद कुछ महिलाएं एस्ट्रोजन या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का इस्तेमाल करती हैं ताकि हॉट फ्लैशेस, मूड स्विंग्स आदि को कंट्रोल किया जा सके। लेकिन लंबे समय तक HRT लेने से ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, खासकर अगर एस्ट्रोजन अकेले दिया जाए बिना प्रोजेस्टेरोन के। इसलिए इस थेरेपी को लेने से पहले डॉक्टर से पूरी सलाह लेना जरूरी है।
निष्कर्ष
ओवेरियन कैंसर एक गंभीर रोग है। इसके खतरे से बचने के लिए महिलाओं को जागरूक रहने की जरूरत है, खासकर उन महिलाओं को जो हाई रिस्क वाली श्रेणी में आती हैं। नियमित पैल्विक जांच, अल्ट्रासाउंड, सीए-125 ब्लड टेस्ट जैसे स्क्रीनिंग मददगार हो सकते हैं, खासकर अगर लक्षण जैसे पेट फूलना, बार-बार पेशाब आना, पेट दर्द या भूख में कमी लगातार बने रहें। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें और जोखिम कारकों को समझकर समय रहते जांच करवाएं।
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FAQ
ओवरी में सिस्ट होने से क्या परेशानी होती है?
ओवरी में सिस्ट होने से महिलाओं को कई प्रकार की परेशानी हो सकती है। सबसे सामान्य समस्या पेट में दर्द और ऐंठन की होती है, जो पीरियड्स के दौरान या उसके बाद बढ़ सकती है। कभी-कभी सिस्ट के आकार में बढ़ोतरी होने पर पेट में भारीपन, सूजन या असहजता भी महसूस हो सकती है। सिस्ट के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या भी हो सकती है।बच्चेदानी का कैंसर कैसे पता चलता है?
बच्चेदानी (का कैंसर अक्सर शुरुआती चरणों में बिना किसी स्पष्ट लक्षण के होता है, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों से इसका पता चल सकता है। इनमें असामान्य योनि से ब्लीडिंग, पेट में दर्द या सूजन और सेक्स के दौरान दर्द शामिल हैं। अगर इनमें से कोई भी लक्षण लगातार बने रहें, तो डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है।ओवरी में सिस्ट होने से क्या होता है?
ओवरी में सिस्ट होने पर महिलाओं को विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं। आमतौर पर, सिस्ट में दर्द, सूजन और पेट में असहजता महसूस होती है। मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान असामान्य ब्लीडिंग या दर्द बढ़ सकता है। अधिकांश सिस्ट समय के साथ अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन बड़े सिस्ट को इलाज की जरूरत हो सकती है।