बहुत सी गंभीर और खतरनाक बीमारियां आज भी दुनियाभर में मौजूद हैं। इनमें से कई बीमारियों से बचाव ही सबसे बेहतर उपचार है। इन बीमारियों के प्रति शिशु को सुरक्षा प्रदान करने के लिए टीके लगवाना ही सबसे बढ़िया उपाय है। इसलिए भारतीय सरकार भी बचपन में होने वाली कुछ सबसे आम और गंभीर बीमारियों के खिलाफ सभी बच्चों को टीके लगवाने की सलाह देती है।
बच्चों के शरीर मे रोग से लड़ने के लिए टीके या इंजेक्शन लगाए जाते हैं जिससे बच्चों के शरीर की रोग से लडने की शक्ति बढती है। टीकाकरण से बच्चों मे कई सक्रांमक बीमारियों की रोकथाम होती है। 16 साल तक के बच्चों का 15 तरह की बीमारियों से टीकों द्वारा बचाव किया जा सकता है। यह बीमारियां अक्सर जानलेवा होती हैं। इसलिए सभी अभिभावकों को अपने नौनिहालों की सुरक्षा इन टीकों द्वारा जरूर करनी चाहिए। आइए हम आपको बताते है कि बच्चों को टीके कब-कब लगवाने चाहिए।
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कब-कब टीके लगवाने चाहिए
- जन्म के तुरंत बाद बी.सी.जी. और पोलियो की पहली खुराक। यह टीका बच्चे को टीबी और पोलियो से बचाता है।
- बच्चा जब 6 सप्ताह का हो जाए तब डी.टी.पी.डब्ल्यू, हेपेटाइटिस बी, हिब वैक्सीन, पोलियो की दूसरी ख़ुराक। यह वैक्सीन बच्चे को डिप्थीरिया, टिटनेस, पर्टयूसिस (काली खांसी), हेपेटाइटिस बी और मेनेन्जाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) से बचाता है।
- बच्चे को 10 सप्ताह का हो जाने पर डी.टी.पी.डब्ल्यू, हेपेटाइटिस इंफ्लूएंजा बी, हिब वैक्सीन और पोलियो ड्रॉप की तीसरी खुराक।
- जब बच्चा 14 सप्ताह का हो जाए तब डी.टी.पी.डब्ल्यू, हेपेटाइटिस बी और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी वैक्सीन, पोलियो ड्रॉप की चौथी खुराक।
- बच्चा जब 9 माह का हो जाए तब मीजिल्स का टीका।
- बच्चे के 1 वर्ष के होने पर चिकनपॉक्स और हेपेटाइटिस 'ए' की पहली खुराक।
- 15 माह का होने पर एम.एम.आर. वैक्सीन। यह टीका बच्चे को मीजिल्स, मम्प्स और रूबैला जैसी बीमारियों से बचाता है।
- 16 से 18 माह का होने पर डी.टी.पी. का पहला बूस्टर डोज, ओरल पोलियो वैक्सीन की पांचवीं खुराक, हिब वैक्सीन का बूस्टर डोज।
- 18 माह का होने पर हेपेटाइटिस 'ए' की दूसरी खुराक।
- जब बच्चा 2 वर्ष का हो जाए तब टाइफॉयड वैक्सीन।
- 5 वर्ष का होने पर टाइफॉयड वैक्सीन और डी.टी.पी. का दूसरा बूस्टर डोज, पोलियो की छठी खुराक।
- बच्चे के 10 वर्ष के होने पर टेटनस टॉक्साइड का बूस्टर डोज।
- बच्चे के 16 वर्ष का होने पर टेटनस टॉक्साइड का दूसरा बूस्टर डोज।
कुछ जरूरी बातें
- अगर मां को हेपेटाइटिस 'बी' का इंफेक्शन हो तो शिशु को पहले 12 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगवाना चाहिए।
- जन्म के समय हेपेटाइटिस बी का टीका देने के बाद बाकी टीके 6, 10 और 14 सप्ताह में या छठे या चौदहवें सप्ताह में दिए जाने चाहिए।
- डी.टी.पी. डब्ल्यू/हेपेटाइटिस बी/हिब वैक्सीन के मिश्रित टीके छठे, दसवें और चौदहवें सप्ताह में दिए जाने चाहिए।
- जन्म के बाद यदि किसी कारणवश बी.सी.जी., ओरल पोलियो ड्रॉप और हेपेटाइटिस 'बी' के टीके न दिए जा सकें तो इन्हें जन्म के छठे सप्ताह के बाद शुरू किया जा सकता है।
- टाइफॉयड का टीकाकरण भी प्रारंभिक अवस्था में ही होना चाहिए। टाइफिम-वी आई एंटीजेंट दो वर्ष की आयु में और टाइफॉयड का बूस्टर डोज हर तीन वर्ष के अंतराल पर दिया जाना चाहिए।
- बच्चों को पल्स पोलियो की नियमित खुराक के अलावा पल्स पोलियो अभियान के तहत दी जाने वाली खुराक भी देनी चाहिए।
- बच्चो मे बी.सी.जी. का टीका, डी.पी.टी. के टीके की तीन खुराके, पोलियो की तीन खुराके व खसरे का टीका उनकी पहली वर्षगांठ से पहले अवश्य लगवा लेना चाहिए।
- यदि भूल वश कोई टीका छुट गया है तो याद आते ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता/चिकित्सक से सम्पर्क कर टीका लगवाये। ये सभी टीके उप स्वास्थ्य केन्द्र /प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र / राजकीय चिकित्सालयों पर निःशुल्क उपलब्ध हैं।
- टीके तभी पूरी तरह से असरदार होते हैं जब सभी टीकों का पूरा कोर्स सही सही उम्र पर दिया जाएं।
- मामूली खांसी और सर्दी की अवस्था मे भी यह सभी टीके लगवाना सुरक्षित है।
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