When Spotting During Pregnancy Could Signal a Problem : ऐसा माना जाता है कि मां बनना किसी भी महिला के जीवन के सबसे खूबसूरत पलों में से एक होता है। हालांकि, प्रेग्नेंसी की जर्नी इतनी आसान भी नहीं होती है। इस दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इन्हीं में से एक समस्या स्पॉटिंग की भी है। अब कई लोगों के मन में यह सवाल आ सकता है कि स्पॉटिंग क्या है? आपके इस सवाल का जवाब हमें डॉ. निक्की यादव, सलाहकार - प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ और उन्नत स्त्री रोग विशेषज्ञ लेप्रोस्कोपिक सर्जन, मेट्रो अस्पताल, नोएडा (Dr. Nikky Yadav, Consultant - Obstetrician Gynecologist & Advanced Gynae Laparoscopic Surgeon, Metro Hospital, Noida) ने दिया है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि स्पॉटिंग क्या है और किस स्थिति में ये समस्या गंभीर रूप ले सकती है? आइए इस बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
स्पॉटिंग क्या है?- What is Spotting
स्पॉटिंग वजाइना से होने वाली ब्लीडिंग को कहा जाता है। आप इसे पीरियड्स समझने की भूल न करें। दरअसल, स्पॉटिंग की समस्या पीरियड्स की ब्लीडिंग के अलावा होती है। यह स्थिति आमतौर पर हल्की और अल्पकालिक होती है। हालांकि, कभी-कभी यह स्थिति गंभीर भी हो सकती है। आइए अब इसके कारण और लक्षणों के बारे में जानते हैं।
स्पॉटिंग के लक्षण- Symptoms of Spotting
प्रेग्नेंसी के दौरान स्पॉटिंग के कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि आप स्पॉटिंग के संकेतों को किस तरह पहचान सकते हैं:
- वजाइना से हल्की ब्लीडिंग
- ब्लीडिंग का रंग गुलाबी या भूरा होना
- ब्लीडिंग की मात्रा कम होना
- ब्लीडिंग का समय अनियमित होना
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स्पॉटिंग के कारण- Causes of Spotting
स्पॉटिंग के कई कारण और लक्षण होते हैं। आइए इन कारणों के बारे में जानते हैं:
- प्रत्यारोपण ब्लीडिंग: कुछ महिलाओं को हल्की स्पॉटिंग का अनुभव होता है, जब फर्टिलाइज्ड एग गर्भाशय की परत (Uterine Lining) में प्रत्यारोपित (Implant) होता है। यह स्थिति आमतौर पर गर्भाधान के लगभग 6-12 दिनों के बाद होती है।
- हार्मोनल परिवर्तन: गर्भावस्था के दौरान हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण हल्की स्पॉटिंग हो सकती है।
- गर्भाशय ग्रीवा में परिवर्तन: इस दौरान गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है और थोड़ा खून बह सकता है। खासकर इंटरकोर्स और श्रोणि परीक्षा (Pelvic Exam) के बाद ऐसा होता है।
- संक्रमण: कुछ संक्रमण, जैसे कि फंगल इंफेक्शन या यौन संचारित संक्रमण (Sexually Transmitted Infection), स्पॉटिंग का कारण बन सकते हैं।
- गर्भपात: कुछ मामलों में, स्पॉटिंग गर्भपात का संकेत हो सकती है। खासकर अगर यह स्थिति ऐंठन और भारी ब्लीडिंग के साथ हो।
एक्टोपिक गर्भावस्था: स्पॉटिंग एक्टोपिक गर्भावस्था (Ectopic pregnancy) का भी लक्षण हो सकती है। ऐसे में निषेचित अंडा (Fertilized Egg) गर्भाशय के बाहर, आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में इम्प्लांट हो जाता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान स्पॉटिंग की समस्या कब गंभीर हो सकती है?- When Can the Problem of Spotting become Serious During Pregnancy
बता दें कि प्रेग्नेंसी के दौरान स्पॉटिंग होना आम बात होती है। हालांकि, कुछ स्थितियों में ये समस्या चिंता का कारण बन सकती है। आइए इन स्थितियों के बारे में जानते हैं-
1. ज्यादा ब्लीडिंग होना
अगर आप प्रेग्नेंसी के दौरान तीन घंटे में एक से ज्यादा पैड या टैम्पोन इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसे मध्यम ब्लीडिंग माना जाता है। इससे ज्यादा ब्लीडिंग को भारी ब्लीडिंग की श्रेणी में शामिल किया जाता है। बता दें कि गर्भावस्था के दौरान, मध्यम और भारी ब्लीडिंग दोनों ही चिंताजनक हो सकती हैं। अगर आपको लगता है कि आप इनमें से किसी भी स्थिति का अनुभव कर रही हैं, तो जल्द ही डॉक्टर से संपर्क करें।
2. स्पॉटिंग के साथ तेज दर्द, बुखार या ठंड लगना
अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान स्पॉटिंग के साथ कई अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। आमतौर पर स्पॉटिंग के साथ ऐंठन होती है। हालांकि, अगर आपको ज्यादा दर्द और बुखार जैसी परेशानियां हो रही हैं, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। स्पॉटिंग के दौरान हल्की ऐंठन को सामान्य माना जा सकता है, लेकिन अगर आपको दर्द में बैठना पड़ता है या अपनी पीठ के निचले हिस्से पर गर्म पानी की बोतल रखनी पड़ती है, तो यह चिंता का विषय है।
3. कई घंटों या दिनों तक भारी ब्लीडिंग होना
अगर आपको कभी-कभी हल्की ब्लीडिंग दिखाई देती है, तो यह नॉर्मल है। हालांकि, स्पॉटिंग की समस्या ब्लीडिंग में बदल चुकी है और कई दिनों से चल रही है, तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। यह बिलकुल भी नजरअंदाज करने योग्य बात नहीं है।
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कुल मिलाकर, प्रेग्नेंसी के दौरान स्पॉटिंग होना आम बात है, लेकिन अगर आपको ब्लीडिंग हो रही है, तो यह स्थिति आपके और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इस तरह आप खुद की और बच्चे दोनों की सुरक्षा कर पाएंगी।