पैनिक अटैक एक ऐसी स्थिति है, जो कभी भी, कहीं भी और किसी को भी आ सकती है। रिकॉर्ड्स बताते हैं कि ज्यादातर पैनिक अटैक पब्लिक प्लेस पर ही आते हैं। आमतौर पर पैनिक अटैक होने पर व्यक्ति का शरीर कांपने लगता है और आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है, जिसके कारण वो घबरा जाता है। कई बार व्यक्ति अपना शारीरिक संतुलन खो देता है गिर जाता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पब्लिक प्लेस पर आने वाले पैनिक अटैक्स मनोवैज्ञानिक रूप से रोगी को ज्यादा डराते हैं।
जरूरी नहीं है कि पैनिक अटैक की स्थिति में व्यक्ति के आसपास कोई अस्पताल मौजूद हो या मेडिकल सहायता मिल पाए। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को पब्लिक प्लेस पर पैनिक अटैक आ जाए, तो वो स्वयं या उसके आसपास मौजूद लोग कुछ बातों का ध्यान रखकर स्थिति को गंभीर होने से बचा सकते हैं।
पैनिक अटैक सर्वाइवल किट तक पहुंचें
जिन लोगों को पैनिक अटैक आने की समस्या होती है या पहले ऐसा हो चुका है, तो उसे घर से निकलते समय अपने साथ एक छोटा सा पैनिक अटैक किट जरूर रख लेना चाहिए। इस छोटे पाउच या बैग में आप ऐसी सामग्री रख सकते हैं, जो अटैक के समय आपके लिए जरूर हो। पैनिक अटैक की स्थित में आपके पास लैवेंडर या जैसमिन एसेंशियल ऑयल, फिगेट क्यूब, स्ट्रेस बॉल, इंडेक्स कार्ड आदि होने चाहिए।
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पानी पिएं या कैमोमाइल चाय पिएं
पैनिक अटैक सर्वाइवल किट के साथ-साथ आपके पास पानी की बोतल होना भी बेहद जरूरी है। एक्सपर्ट्स के अनुसार पैनिक अटैक की स्थिति में ठंडा पानी पीने से आपको काफी रिलैक्स मिल सकता है। चूंकि आपको ठंडे पानी की जरूरत होती है, इसलिए आपको हाई क्वालिटी की इंसुलेटेड बॉटल अपने साथ रखनी चाहिए, जिससे कि पानी देर तक ठंडा रहे। पानी के अलावा इस बॉटल में आप कैमोमाइल टी भी रख सकते हैं। रिसर्च बताती हैं कि कैमोमाइल टी के सेवन से ब्रेन टिशूज रिलैक्स होती हैं और स्ट्रेस कम होता है।
गहरी सांसें लें और गिनती गिनें
पैनिक अटैक के समय आमतौर पर सांसें अपने आप तेज हो जाती हैं मगर सांसों पर कंट्रोल नहीं रहता है। इसलिए आप अपने फोन में डीप ब्रीदिंग एप रख सकते हैं, जो पैनिक अटैक के समय आपको गहरी सांसे लेने में मदद करेंगी। इसकी जरूरत उन लोगों को ज्यादा पड़ सकती है, जिन्हें तनाव या चिंता की समस्या के कारण पैनिक अटैक होते हैं। अटैक के समय गहरी-गहरी सांसें लेने से तनाव कम होता है और शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ने से नर्व्स रिलैक्स हो जाती हैं।
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पिछले अनुभव को दोहराएं नहीं
थेरेपिस्ट बताते हैं कि किसी व्यक्ति को एक बार जिस स्थिति में पैनिक अटैक आ चुका है, वही स्थिति दोबारा सामने आने पर या उसी स्थान पर दोबारा जाने पर पैनिक अटैक की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए थेरेपिस्ट्स का मानना है कि जिन लोगों को पैनिक अटैक का खतरा होता है या संभावना रहती है, वो ऐसी जगहों और स्थितियों में जाने से बचें, जो उनके तनाव या चिंता को बढ़ा सकती है। इन बातों को ध्यान में रखकर आप पैनिक अटैक को कुछ हद तक रोक सकते हैं।
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