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सरोगेसी क्या है? इसे कौन कर सकता है और इस विषय पर क्या कहता है भारतीय कानून, जानें

बॉलीवुड एक्टर शाहरूख खान, प्रीति जिंटा और प्रियंका चोपड़ा जैसे कई स्टार्स सरोगेसी के जरिए पेरेंट्स बन चुके हैं। ऐसे में हम आम लोगों को भी यह जानना जरूरी है कि आखिरकार सरोगेसी क्या है और इस करवाने के नियम क्या हैं। 
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सरोगेसी क्या है? इसे कौन कर सकता है और इस विषय पर क्या कहता है भारतीय कानून, जानें


निसंतान दंपत्तियों के लिए आज मेडिकल साइंस में कई ऐसे विकल्प मौजूद हैं, जो उन्हें माता-पिता का सुख दे सकते हैं। अगर पिता के शुक्राणुओं में किसी प्रकार की कमी है, तो दंपत्तियां आईवीएफ प्रक्रिया का चयन करते हैं। वहीं, कई बार मां और पिता दोनों में मेडिकल खामियां होने के कारण दंपत्तियां सरोगेसी को अपनाते हैं। बॉलीवुड एक्टर शाहरूख खान, प्रीति जिंटा और प्रियंका चोपड़ा जैसे कई स्टार्स सरोगेसी के जरिए पेरेंट्स बन चुके हैं। ऐसे में हम आम लोगों को भी यह जानना जरूरी है कि आखिरकार सरोगेसी क्या है और इस करवाने के नियम क्या हैं। सरोगेसी से जुड़े सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हमने गुरुग्राम स्थिति सीके बिड़ला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ और फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. आस्था दयाल से बात की।

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सरोगेसी क्या है?

सरोगेसी एक प्रक्रिया है, जिसमें एक महिला (सरोगेट मां) किसी अन्य दंपति के लिए बच्चे को जन्म देती है। यह तब किया जाता है जब एक महिला गर्भधारण करने में सक्षम नहीं होती या स्वास्थ्य कारणों से गर्भधारण नहीं कर सकती। सरोगेसी में आमतौर पर दो प्रमुख प्रकार होते हैं:

1. व्यावसायिक सरोगेसी (Commercial Surrogacy): इसमें सरोगेट मां को आर्थिक लाभ के रूप में भुगतान किया जाता है।

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2. गैर-व्यावसायिक सरोगेसी (Altruistic Surrogacy): इसमें सरोगेट मां को केवल खर्चे की रकम दी जाती है और यह प्रायः रिश्तेदारों या दोस्तों के बीच होती है।

इस प्रक्रिया में, सरोगेट मां की गर्भाशय का उपयोग किया जाता है, और गर्भधारण के लिए दान किए गए अंडाणु और शुक्राणु का उपयोग किया जाता है। कभी-कभी यह प्रक्रिया प्राकृतिक तरीके से होती है, और कभी-कभी आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) का इस्तेमाल किया जाता है।

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सरोगेसी में किसके अंडे का इस्तेमाल किया जाता है?- Whose eggs are used in surrogacy?

डॉ. आस्था दयाल का कहना है कि सरोगेसी में किसके अंडों का इस्तेमाल होगा, यह बात पूरी तरह से पेरेंट्स बनने वाले कपल्स की मर्जी और मेडिकल कंडिशन पर निर्भर करती है।

1. जेस्टेशनल सरोगेसी - Gestational Surrogacy

जेस्टेशनल सरोगेसी में महिला के अंडों का कोई संबंध नहीं होता है। सरोगेसी की प्रक्रिया में अंडे आमतौर पर इच्छुक मां (Intended Mother) के होते हैं। यदि जेनेटिक मां के अंडों में किसी प्रकार की कमी है या कोई अन्य मेडिकल परेशानी है, तो गर्भाधरण करने वाली मां के अंडों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। वहीं, अंडे को इच्छुक पिता (या डोनर) के शुक्राणु से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिए प्रोसेस किया जाता है। इसके बाद भ्रूण को सरोगेट मां की कोख में डाला जाता है।

2. ट्रैडिशनल सरोगेसी- Traditional Surrogacy

सरोगेसी कि इस प्रक्रिया में सरोगेट महिला के अंडों का उपयोग किया जाता है। सरोगेट का अंडा इच्छुक पिता (या शुक्राणु डोनर) के शुक्राणु से कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) द्वारा किया जाता है। फर्टिलिटी एक्सपर्ट का कहना है कि ट्रैडिशनल सरोगेसी में सरोगेट मां का बच्चे से जेनेटिक संबंध होता है।

सरोगेसी में किसके शुक्राणु का इस्तेमाल किया जाता है?- Whose sperm is used in surrogacy?

सरोगेसी में मुख्य रुप से जिस कपल द्वारा यह प्रक्रिया करवाई जा रही है, उसी लड़के के शुक्राणुओं का इस्तेमाल किया जाता है और मां के लिए अंडे का प्रयोग होता है। इस स्थिति में, सरोगेट मां केवल गर्भधारण करती है और उसका बच्चे से कोई जेनेटिक कनेक्शन नहीं होता है।

क्या भारत में अब सरोगेसी वैध है?

भारत में सरोगेसी की बात करें, तो पेरेंट्स बनने के लिए एक वैध प्रक्रिया है। लेकिन 2015 के बाद सरोगेसी के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं। केंद्र सरकार और कोर्ट ने भारत में कई कारणों से कमर्शियल सरोगेसी (Commercial Surrogacy) पर प्रतिबंध लगा दिया गया और इसके स्थान पर अल्ट्रूइस्टिक सरोगेसी (Altruistic Surrogacy) की इजाजत दी गई है। दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकील आरूष तिवारी का कहना है कि भारतीय संविधान के अनुसार, सरोगेसी के लिए 2021 लागू है, जो इसके कानूनी दायरे में लेकर आता है।

सरोगेसी अधिनियम 2021 क्या कहता है?

1. इस नियम के तहत अल्ट्रूइस्टिक सरोगेसी की इजाजत तभी दी जाती है, जब यह बिना किसी आर्थिक लालच के की गई हो। इस प्रक्रिया के तहत सरोगेट मां को केवल मेडिकल खर्च और बीमा की रकम ही दी जाती है।

2. वर्तमान में कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। दरअसल, कमर्शियल सरोगेसी के तहत भारत में कई महिलाएं आर्थिक तौर पर लाभ कमान के लिए यह काम कर रही थीं। लेकिन कानून के अनुसार, सरोगेट मां को आर्थिक लाभ देने या किराए पर गर्भधारण का कोई अधिकार नहीं है।

सरोगेसी में कितना खर्च आता है?

भारत में सरोगेसी का खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि सरोगेट मां का चुनाव, मेडिकल प्रक्रिया, और अन्य सेवाओं की लागत। सामान्यतः, भारत में सरोगेसी के खर्चे में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

1. मेडिकल खर्चे: इसमें IVF उपचार, डॉक्टरों की फीस, टेस्ट, और अन्य चिकित्सा सुविधाएं शामिल होती हैं।

2. सरोगेट मां की फीस: इसमें सरोगेट मां को दिए जाने वाले भुगतान का भी एक बड़ा हिस्सा होता है।

3. कानूनी फीस: सरोगेसी से संबंधित कानूनी दस्तावेज़ों की तैयारी और अन्य प्रक्रियाओं के लिए कानूनी फीस भी लगती है।

भारत में, सरोगेसी की कुल लागत लगभग ₹10 लाख से ₹20 लाख के बीच हो सकती है। यह राशि विभिन्न अस्पतालों, शहरों, और चिकित्सा विधियों के आधार पर भिन्न हो सकती है।

सरोगेसी करवाने के लिए क्या योग्यताएं चाहिए?

  1. भारतीय कानून के क अनुसार, अब भारत में सरोगेसी के लिए सिर्फ शादीशुदा कपल्स ही पात्र हैं।
  2. शादी के 5 साल के बाद जो कपल्स पेरेंट्स नहीं बन पाए हैं, वो माता-पिता के लिए सरोगेसी का विकल्प अपना सकते हैं।
  3. कानूनी तौर पर दंपति को यह साबित करना होगा कि वे बच्चे को स्वाभाविक रूप से पैदा करने में असमर्थ हैं। इसके लिए मेडिकल सर्टिफिकेट होना बहुत जरूरी है।

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