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Rumination: मेंटल हेल्थ की दुनिया में ज्यादा हो रही है इस शब्द की चर्चा, नेगेटिव सोच में हमेशा डूबा रहता है दिमाग

Rumination: आपने कभी ध्यान दिया है कि आप किसी चीज को लेकर कितना और कब तक सोचते हैं। खासकर कि नेगेटिव विचारों को लेकर। ऐसे में जानते हैं रुमिनेशन डिसऑर्डर क्या है, कारण, लक्षण और इससे कैसे बाहर आएं।
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Rumination: मेंटल हेल्थ की दुनिया में ज्यादा हो रही है इस शब्द की चर्चा, नेगेटिव सोच में हमेशा डूबा रहता है दिमाग


Rumination: जब भी मेंटल हेल्थ से जुड़ी बात होती है सबसे पहले एंग्जायटी की चर्चा होती है और माना जाता है कि खराब मेंटल हेल्थ की शुरुआत इसी से होती है। लेकिन, आजकल एक नया टर्म चर्चा में है। इसे रुमिनेशन डिसऑर्डर कहते हैं जिसमें दिमाग किसी भी नेगेटिव विचार को लंबे समय तक के लिए पाल लेता है। इसे ऐसे समझें कि दिमाग लगातार नेगेटिव विचारों में डूबा रहता है। इससे मानसिक सेहत पर गहरा असर पड़ता है। तो आइए जानते हैं Dr. Divya Shree K R, Consultant – Psychiatry, Aster CMI Hospital, Bangalore से कि रुमिनेशन क्या है, कारण और लक्षण। इसके अलावा जानते हैं इसे कैसे रोकें।

रुमिनेशन है क्या-What is Rumination

रुमिनेशन, असल में चिंतन का एक तरीका है खासकर कि कहें तो यह नकारात्मक सोच का एक पैटर्न है जो मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति किसी भी बात को लेकर एक गहरी सोच में पड़ जाता है और लगातार इस बारे में सोचता है और नेगेटिव विचार बढ़ते जाते हैं। ये कुछ ऐसा होता है कि दिमाग नेगेटिव सोच से बिलकुल भी फ्री नहीं हो पाता है और फिर आपको ऐसे लोगों की बातों, भावनाओं या विचारों से भी नेगेटिविटी देखने को मिल सकती है। 

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बहुत से लोग इसे महसूस किए बिना चिंतन करते हैं। आप रात में जागकर किसी बातचीत को दोहरा सकते हैं या बहुत पहले हुई किसी बात के बारे में चिंता कर सकते हैं। हालांकि यह पहली बार में हानिरहित लग सकता है, लेकिन समय के साथ, चिंतन अवसाद, चिंता या कम आत्मसम्मान का कारण बन सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।

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रुमिनेशन का कारण-Ruminating causes in hindi

यह तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति तनाव में हो, असुरक्षित महसूस कर रहा हो या कठिन समय से गुजर रहा हो। यह उन लोगों में भी अधिक आम है जो परफेक्शनिस्ट हैं या अत्यधिक आत्म-आलोचनात्मक होते हैं। कभी-कभी, यह किसी समस्या को ठीक करने की इच्छा से आता है लेकिन मदद करने के बजाय, यह हमें और भी बुरा महसूस कराता है।

  • -लंबे समय तक तनाव और चिंता में रहने से रुमिनेशन की समस्या हो सकती है। इसकी वजह से हमारे दिमाग को नेगेटिव विचारों की आदत हो जाती है और फिर हम उसी दिशा में काम करते हैं। दिमाग खुद ही नेगेटिव विचारों और बेकार के डर को पैदा करता है और फिर एक विचार के साथ दूसरे विचार जोड़कर परेशान रहता है।
  • - कोई आघात या दर्दनाक घटनाओं का अनुभव इसका कारण बन सकता है। इस वजह से आपको लगातार ओवरथिंकिंग की आदत हो सकती है जो समय के साथ बढ़ सकती है और फिर रुमिनेशन की वजह बन सकती है।
  • -कुछ व्यक्तित्व लक्षण, जैसे कि न्यूरोटिसिज्म (neuroticism), चिंतन की संभावना को बढ़ा सकते हैं। इससे आपको लगातार परेशान करने वाले विचार आ सकते हैं और आप एक लय में नेगेटिव विचारों में डूब सकते हैं।

Rumination causes symptoms

रुमिनेशन के लक्षण-Ruminating symptoms in hindi

  • -अगर आपको लगातार नकारात्मक विचार आते हैं और आप इन्हें रोकने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं तो यह रुमिनेशन हो सकता है।
  • -आपको लग सकता है कि आपके चिंतन में लगातार और नकारात्मक विचार घुसपैठ कर रहे हैं तो यह स्थिति रुमिनेशन की स्थिति है।
  • -रोज ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और चुनौतीपूर्ण महसूस करना रुमिनेशन का लक्षण हो सकता है।

इसके अलावा अगर आपको एंग्जायटी की दिक्कत हो रही है और आपकी प्रोडक्टिविटी लो हो रही है तब भी आप रुमिनेशन के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में आपको इन लक्षणों पर ध्यान देते हुए किसी एक्सपर्ट से बात करनी चाहिए जो कि आपको इससे बाहर आने में मदद कर सकते हैं।

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रुमिनेशन को कैसे रोकें-How to stop Rumination

माइंडफुलनेस और मेडिटेशन का अभ्यास रुमिनेशन को कम करने में मदद कर सकता है। पर आप इसे खुद से नहीं कर पाएंगे। शुरुआत में इसके लिए आपको किसी एक्सपर्ट की मदद चाहिए होगी ताकि आप अपने विचारों पर काबू कर सकें। क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि जब आप मेडिटेशन की शुरुआत करते हैं तो लगातार आपको नेगेटिव विचार परेशान कर सकते हैं। इसके अलावा आप संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी Cognitive-behavioral therapy (CBT) की मदद ले सकते हैं जो कि इस स्थिति में काफी मददगार हो सकती है। इसके अलावा आप इन टिप्स की मदद ले सकते हैं। जैसे

  • जागरूक रहें: ध्यान दें कि आपका मन कब नकारात्मक चक्र में फंस जाता है। जागरूकता पहला कदम है।
  • खुद को भटकाव दें: टहलने, चित्र बनाने, खाना बनाने या किसी मित्र को कॉल करके किसी गतिविधि में शामिल हों। इससे चक्र टूट सकता है।
  • लिखें: जर्नलिंग आपके दिमाग से विचारों को निकालकर कागज पर उतारने में मदद करती है।
  • किसी से बात करें: अपने दोस्तों या चिकित्सक के साथ अपनी चिंताओं को साझा करने से भावनात्मक बोझ हल्का करने में मदद मिल सकती है।
  • ध्यान का अभ्यास करें: ध्यान या गहरी सांस लेने से मन शांत हो सकता है और आपका ध्यान वर्तमान क्षण पर आ सकता है।
  • खुद के प्रति दयालु बनें: खुद को याद दिलाएं कि कोई भी व्यक्ति परिपूर्ण नहीं है। आत्म-करुणा कठोर आंतरिक विचारों को कम करने में मदद करती है।

इसके अलावा जिन गतिविधियों में आपको मजा आता है, उनमें शामिल होने से आपको नकारात्मक विचारों से ध्यान हटाने और चिंतन को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही आपको खुद में खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए जिससे आप बेहतर महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा आप दोस्तों से बात करें, किताब पढ़ें और मन लगने वाली चीजों को करें जो कि आपको खुश रखे। इसके अलावा चिंता के कारणों और लक्षणों को समझकर और प्रभावी रणनीतियों को लागू करके, व्यक्ति चिंता कम करने और अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं।

FAQ

  • एंग्जायटी को कैसे खत्म करें?

    एंग्जायटी को कभी खत्म नहीं किया जा सकता है बस इसकी आदत को कम किया जा सकता है और धीमे-धीमे इस पर काबू किया जा सकता है। तो अगर आपको एंग्जायटी बहुत परेशान कर रही है तो पहले मेडिटेशन शुरु करें। हर बात की चिंता करना बंद करें और कहीं दूर घुमने निकल जाएं ताकि आपका माइंड डिटॉक्स हो। 
  • चिंता से कौन-कौन से रोग हो सकते हैं?

    चिंता से आपको बहुत से रोग हो सकते हैं जैसे कि सबसे पहले आप एंग्जायटी डिसऑर्डर और डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा आप मूड स्विंग्स का शिकार हो सकते हैं जो एक रोग के रूप में आपको परेशान कर सकता है।
  • एंग्जाइटी डिसऑर्डर के क्या लक्षण हैं?

    एंग्जायटी डिसऑर्डर के कई लक्षण आपको महसूस हो सकते हैं जिसमें कि आपको सबसे पहले हर वक्त परेशान करनी वाली बेचैनी हो सकती है। डर लग सकता है, घबराहट हो सकती है, पसीना आ सकता है और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

 

 

 

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