सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और एक्ट्रेस कुशा कपिला को हमने अक्सर हंसते और खिल-खिलाते देखा है। वह अपने ह्यूमर से दूसरों को हंसाती हैं और अपनी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों के दिल में अपनी खास छाप बनाने में भी सफल हुई हैं। लेकिन, उनकी यह जर्नी इतनी सहज नहीं रही है, जितनी की नजर आती है। वह अक्सर सोशल मीडिया के जरिए अपने फैन से जुड़ी रहती हैं और अपनी जिंदगी में घट रही घटनाओं के बारे में बताती रहती हैं। मेंटल हेल्थ के बारे में भी उन्होंने काफी कुछ सोशल मीडियो पर शेयर किया है। इस संबंध में हमने तथा साइकिएट्रिस्ट डॉ. तन्मय शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि कुशा कपिला ने अपनी मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए क्या कुछ किया होगा। इन चीजों को आम लोग भी अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं और स्ट्रेस तथा एंग्जायटी जैसी स्थिति से छुटकारा पा सकते हैं।
इमोशनल डिस्ट्रेस की पहचान
ज्यादातर लोगों के साथ यह दिक्कत होती है कि वे मेंटल हेल्थ इश्यूज को स्वीकार करना नहीं चाहते हैं। जो साइकोलॉजिकल दर्द उन्हें हो रहा है, वे उसे समझ नहीं पाते हैं और समझना नहीं चाहते हैं। जबकि हर व्यक्ति को चाहिए कि वे अपनी स्थिति को न सिर्फ पहचानें, बल्कि स्वीकार भी करें। डॉ. तन्मय कहते हैं कि जब किसी को स्ट्रेस होता है, तो वे लोगों द्वारा जज किए जाने को लेकर परेशान रहते हैं और सैडनेस से घिरे रहते हैं। इस स्थिति की पहचान करके अपनी मेंटल हेल्थ में सुधर किया जा सकता है।
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एक्सपर्ट की मदद
डॉ. तन्मय बताते हैं कि कुशा कपिला की इस संबंध में एक्सपर्ट की मदद ली। इस दौरान उन्होंने साइकोथेरेपी, विशेषकर कॉग्नीटिव बिहेवियरल थेरेपी की। यह थेरेपी स्ट्रेस और एंग्जाइटी से निपटने के लिए कारगर तरीके होते हैं। थेरेपी के जरिए कुशा ने बहुत कुछ सीखा, समझा और जाना। इस दौरान उन्होंने सीखा तनाव और चिंता से कैसे उबरा जा सकता है, अपनी सेल्फ वर्थ को नए सिरे से मजबूत कैसे बनाया जा सकता है और इस प्रोसेस के दौरान उन्होंने अपने इमोशनल पैटर्न को समझने की पूरी कोशिश की।
अपने इमोशंस को सहज रहने दिया
आपने कई बार नोटिस किया होगा कि जब हम तनाव में होते हैं, तो उसे कंट्रोल करने की हर संभव कोशिश करते हैं। ऐसा करके हम तनाव को नहीं, अपने इमोशंस को बांध रहे होते हैं। इससे कहीं ने कहीं तनाव और चिंता जैसे इमोशंस हमारे अंदर ही रह जाते हैं, जो भविष्य में किसी बड़ी समस्या की वजह बन सकते हैं। लेकिन, डॉ. तन्मय समझते हैं कि कुशा ने इस तरह की स्थिति को बहुत ही अच्छी तरह से समझा। उन्होंने अपने इमोशंस को स्वीकार किया और खुद को वक्त दिया। उन्होंने स्ट्रेस या एंग्जाटी से निपटने में जल्दबाजी नहीं दिखाई। नतीजतन, धीरे-धीरे उनके इमोशनल वेल बींग में सुधार होने लगा।
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सीमांए तय कीं
कुशा एक पब्लिक फिगर हैं। वह बहुत आसानी से ट्रोल हो सकती हैं। सोशल प्लैटफॉर्म में ट्रोलिंग किसी भी व्यक्ति के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि जो पब्लिक फिगर हैं, वे पब्लिक और अपने बीच एक सीमा रेखा तय करें। उन्हें कितनी बातें, पब्लिक से साझा करनी है और कितनी नहीं, इस तरह के फैसले उन्हें खुद करने हैं। डॉ. तन्मय कहते हैं जब हम बाउंड्री सेट करना समझ जाते हैं तो कई समस्याएं अपने आप हल होने लगती हैं।
दोस्तों से ली मदद
जब कुशा अकेलेपन, तनाव और चिंता जैसी भावनाओं से गुजर रही थीं, तब उन्हें एक्सपर्ट से सलाह मिली कि वे अपने करीबियों के नजदीक रहें। इसमें उनके दोस्त, उनकी फैमिली शामिल हैं। डॉ. तन्मय कहते हैं तनाव में रहते हुए हैं अक्सर लोग आइसोलेशन यानि अकेलेपन से घिर जाते हैं। जब हम दोस्तों से अपने मन की बात साझा करते हैं तो मेंटल हेल्थ में सुधार होने लगता है। वास्तव में जब व्यक्ति हर समय अपने करीबियों के साथ रहता है, तो उन्हें तनाव से निपटने में ज्यादा वक्त नहीं लगता।
रचनात्मक पर दिया ध्यान
डॉ. तन्मय के मुताबिक कंटेंट क्रिएटर के रूप में, कुशा अपनी ह्यूमर और अपनी स्टोरी टेलिंग क्वालिटी के जरिए लोगों से जुड़ी रहीं। उन्होंने अपनी किएटिविटी को रोका नहीं। अपनी स्टोरी टेलिंग के जरिए वह खुद को अपने दर्द से बाहर निकालती रहीं। इससे धीरे-धीरे वह बेहतर होती गईं। यह तरीका हर सामान्य व्यक्ति को अपनाना चाहिए। इससे मन बोझिल नहीं होता है और परेशानी से निपटने में मदद मिलती है।
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