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फेफड़ों से जुड़ी इस बीमारी में सांस लेना होता है मुश्किल, जानें शरीर में कैसे शुरू होता है न्यूमोकोनियोसिस?

न्यूमोकोनियोसिस की समस्या में व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। आगे जानते हैं कि कैसे शुरु होती है यह समस्या।
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फेफड़ों से जुड़ी इस बीमारी में सांस लेना होता है मुश्किल, जानें शरीर में कैसे शुरू होता है न्यूमोकोनियोसिस?


What is Pneumoconiosis: धूल व कोयले की खदान में काम करने वाले कर्मचारियों को अक्सर फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं का जोखिम अधिक होता है। दरअसल, पत्थर तोड़ने, धूल और कोयले की खदान में काम करने वाले लोगों के फेफड़ों में धूल व कोयले के छोटे-छोटे कण जमा हो जाते हैं। लंबे समय तक इस जगह पर काम करने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। साथ ही, लगातार खांसी के साथ गले और फेफड़ों में दर्द हो सकता है। इस समस्सा को न्यूमोकोनियोसिस कहा जाता है। इसके लक्षण कुछ माह व कई सालों के बाद दिखाई दे सकते हैं। इसकी वजह से व्यक्ति को जलन व फेफेड़ों को नुकसान हो सकता है। इसे ब्लैक लंग्स (Black Lung Disease) या पॉपकॉर्न लंग्स (Popcorn Lungs) के नाम से भी जाना जाता है। इस लेख में धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर नवनीत सूद से जानते हैं कि न्यूमोकोनियोसिस की समस्या कैसे शुरु होती है। 

न्यूमोकोनियोसिस होने के कारण क्या होता है? - Causes Of Pneumoconiosis In Hindi 

न्यूमोकोनियोसिस फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का एक समूह है। यह धूल, कोयले की खदान और फाइबर आदि जगह पर काम करने वाले कर्मचारियों को होने की संंभावना अधिक होती है। कृत्रिम पत्थर सहित सिलिका धूल के कण सांसों के जरिए फेफड़ों में जाना इसका एक मुख्य कारण माना जाता है। इसके अलावा, एस्बेस्टस फाइबर भी फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा धूल में मौजूद अन्य पदार्थ जैसे एलम्यूनियम, सीसा, आयरन, बेरियम और टैल्क आदि से व्यक्ति के फेफड़े खराब हो सकते हैं। 

pneumoconiosis causes symptoms

न्यूमोकोनियोसिस शरीर में कैसे शुरु होता है? - How Pneumoconiosis Occurs In Hindi 

जैसा कि आपको पहले बताया गया है कि सांसों के जरिए धूल कण अंदर जानें से न्यूमोकोनियोसिस की समस्या हो सकती है। यह धूल कण फेफड़ों के छोटे-छोटे एयरसेक में जमा हो जाते हैं। यह कण इतने छोटे हैं, कि इनको नेचुरल इम्यून सिस्टम बाहर नहीं निकाल पाता है। आगे जानते हैं यह कैसे शुरु होता है। 

धूल का सांस द्वारा अंदर जाना

खनन, निर्माण, या कपड़ा निर्माण जैसी जगहों पर काम करने वाले कर्मचारियों के सांस के जरिए धूल कणों को अंदर लेते हैं। इन कणों का आकार न्यूमोकोनियोसिस की ग्रोथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

फेफड़ों में जमाव होना

सांस में लिए गए धूल के कण रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के माध्यम से एल्वियोली में चले जाते हैं। अपने छोटे आकार के कारण, ये कण फेफड़ों के टिश्यू में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता को ट्रिगर करना

फेफड़ों में बाहरी कणों की उपस्थिति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करती है। मैक्रोफेज (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं) इन कणों को हटाने और पचाने का प्रयास करती है। हालांकि, इनमें से कई धूल कण बाहर नहीं निकल पाते हैं। 

सूजन और घाव

धूल के लगातार संपर्क में रहने से फेफड़ों में लंबे समय तक सूजन हो सकती है। दरअसल, प्रतिरक्षा प्रणाली लगातार इन कणों को निकालने की कोशिश करती हैं। ऐसे में सूजन की वजह से फेफड़ों में फाइब्रोटिक टिश्यू (घाव) का निर्माण होता है, जिससे उनका कार्य खराब हो जाता है।

फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होना 

फाइब्रोसिस, फेफड़ों के कार्य को प्रभावित करते हैं। इसकी वजह से खांसी, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। लगातार धूल के संपर्क में रहने से लक्षणों गंभीर हो सकते हैं। 

न्यूमोकोनियोसिस के लक्षण - Symptoms Of Pneumoconiosis In Hindi 

  • लगातार खांसी और कफ बनना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • सीने में जकड़न और दर्द 
  • हमेशा थकान व कमजोरी, आदि। 

इसे भी पढ़ें: फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय

धूल या खदान वाली जगह पर काम करने वाले लोगों को समय-समय पर अपने फेफड़ों की जांच करानी चाहिए। न्यूमोकोनियोसिस के लक्षणों को नजरअंदाज करना आपके लिए घातक हो सकता है। इसके लक्षणों को कम करने के लिए कार्य स्थल पर मास्क का उपयोग करें।

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