
रतौंधी यानि नाईट ब्लाइंडनेस, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि रात में देखने में परेशानी महसूस करना। जानते हैं इसके अन्य लक्षण और कारण
रतौंधी, जिसे नाइट ब्लाइंडनेस भी कहा जाता है, इसका कारण रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा है। ध्यान दें कि रेटिना में रॉड कोशिकाएं मौजूद होती हैं जो रोशनी की तरफ अपनी प्रक्रिया देने की क्षमता को खो देती हैं। इस समस्या से ग्रस्त लोग नाइट ब्लाइंडनेस के शिकार हो जाते हैं। साथ ही उनकी दिन में देखने की क्षमता भी प्रभावित होती है। जिन लोगों को यह समस्या जन्म से होती है उनकी रॉड कोशिकाएं या तो कम काम करती हैं या बिल्कुल काम नहीं करती। सामान्य रतौंधी की वजह विटामिन ए की कमी या रेटिनोल है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि रतौंधी के लक्षण क्या हैं? इसके पीछे क्या कारण हैं? और इससे किस प्रकार बचाव किया जा सकता है? पढ़ते हैं आगे...
रतौंधी के लक्षण (Night Blindness Symptoms)
वैसे तो नाइट ब्लाइंडनेस के लक्षण रॉड कोशिकाओं की क्षमता पर निर्भर करते हैं, जिनका अनुमान केवल डॉक्टर द्वारा लगाया जा सकता है। लेकिन कुछ लक्षण निम्न प्रकार हैं-
1- कम रोशनी में आंखों के आगे अंधेरा छा जाना।
2- ड्राइव करते वक्त ठीक से ना दिखना।
3- ज्यादा प्रकाश से कम प्रकाश के बीच धीरे-धीरे अनुकूलन होना।
रतौंधी के कारण (Night Blindness Causes)
बता दें कि रतौंधी के पीछे अनेक कारण छिपे हो सकते हैं लेकिन कुछ मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं-
1- रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा
यह स्थिति तब पैदा होती है जब आंखें कम प्रकाश में अपनी देखने की प्रक्रिया को बदल देती हैं। यानि उनकी देखने की क्षमता कम रोशनी में कमजोर हो जाती है। इस समस्या की शुरुआत रात में देखने की क्षमता में कमी आने से होती है। यह समस्या रेटिनल फोटोरिसेप्टर कोशिकाएं अर्थात रॉड और कॉन कोशिकाएं की खराब होने पर उत्पन्न हो जाती है, इसके कारण व्यक्ति अंधेपन का शिकार हो जाता है।
2- विटामिन ए की कमी से होती है यह समस्या
अगर रतौंधी के सामान्य कारणों की बात की जाए तो विटामिन ए की कमी से आंखों की यह समस्या हो सकती है। छोटे बच्चों में कुपोषण और असंतुलित आहार न मिलने के कारण यह समस्या उत्पन्न हो जाती है। छोटे बच्चे अक्सर अपने लक्षणों को बता नहीं पाते हैं, जिसके कारण उपचार में देर हो जाती है और वह नाइट ब्लाइंडनेस का शिकार हो जाते हैं। बता दें कि विटामिन ए की कमी के कारण आंख की झिल्ली में सूखापन आ जाता है और जीरोफथालमिया हो जाता है।
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3- मोतियाबिंद भी एक कारण है
यह समस्या वृद्ध लोगों में होती है इसमें लेंस के ऊपर धुंधलापन आने लगता है। रतौंधी भी मोतियाबिंद के लक्षण में से एक हो सकती है।
4- निकट दृष्टि दोष यानि मायोपिया के कारण
ध्यान दें कि धुंधलाहट या निकट दृष्टि दोष के कारण भी रतौंधी की समस्या सामने आ सकती है।
अन्य कारण
5- कुछ व्यक्तियों को जन्म से ही रतौंधी की समस्या होती है।
6- जो लोग अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे, दूध आदि को बाहर निकाल देते हैं उनमें यह समस्या पाई जा सकती है।
7- बुजुर्ग लोगों में रतौंधी की समस्या ज्यादा देखी गई है।
रतौंधी से बचाव
- अपनी डाइट में डेयरी उत्पाद मछली के लिवर का तेल पीले हरे फल सब्जियां पपीता गाजर आम खरबूजा शिमला मिर्च पालक अंडे का पीला हिस्सा आदि को जोड़ें
- एक्सपर्ट से नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं
- के अलावा अगर आपको ऊपर दिए लक्षण दिखाई देते हैं तो शाम या रात के वक्त गाड़ी ना चलाएं और पर्याप्त मात्र में विटामिन ए का सेवन करें इससे रतन जी को रोकने में मदद मिलेगी
रतौंधी की जांच के लिए किए जाने वाले परीक्षण
- स्लीप लैंप परीक्षण यह परीक्षण आंखों की संरचना को देखने के लिए किया जाता है।
- ऑफ टेलिस्कोप के द्वारा किए जाने वाले बेस्ट से आंखों की चोट की जांच की जाती है
- कांटेक्ट लेंस या चश्मे के माध्यम से चश्मे के नंबर की पुष्टि की जाती है
- डॉक्टर इलेक्ट्रोरेटिनोग्राफी के माध्यम से भी परीक्षण कर सकते हैं
- कुछ व्यक्तियों का दृश्य फील्ड परीक्षण ग्लूकोमा या ब्रेन स्ट्रोक की जांच के लिए किया जाता है।

रतौंधी से किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है
1- मोतियाबिंद
2- साफ नजर आने में कमी होना
3- आंखों में मौजूद रहती ना कि हिस्से में सूजन आ जाना जिससे सिस्टाइड मैकुलर एडिमा भी कहते हैं
4- दृश्य क्षेत्र में हानि आना।
रतौंधी का इलाज
1- डॉक्टर्स रतौंधी से ग्रस्त लोगों को चश्मा लगाने के लिए कहते हैं जो रात में ड्राइव करते हैं।
2- बता दें कि चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का प्रयोग मायोपिया समस्या के सुधार के लिए भी किया जाता है।
3- कुछ दवाइयां रतौंधी की समस्या उत्पन्न कर सकती हैं उन्हें डॉक्टर के द्वारा बदला जाता है।
4- मोतियाबिंद की सर्जरी से आंखों के लेंस पर जमा धुंधलापन हटाया जाता है। इससे रतौंधी की समस्या में भी सुधार आता है।
5- विटामिन ए की कमी से ग्रस्त लोग को डॉक्टर समृद्धि खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह देते हैं। साथ ही इंजेक्शन के माध्यम से विटामिन ए की कमी को पूरा किया जाता है।
6- जिन लोगों में रतौंधी की समस्या आम होती है उनके लिए कोई स्थायी इलाज नहीं होता है।
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ऐसे करें आंखों की देखभाल
नियमित रूप से आंखों का परीक्षण करवाएं। आंखों के लक्षणों को अनदेखा करना सही नहीं है। ऐसे में यदि आपकी आंखों में दर्द या लालीपन छा रही है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। इसके अलावा यदि आपको टीवी देखने में सिर दर्द महसूस होता है तो आंखों का परीक्षण तुरंत करवाएं। साथ ही आंखों में सूजन, खुजली आदि लक्षण भी आंखों की गंभीर समस्या का संकेत दे सकते हैं। अगर रात में ड्राइविंग करते समय विशेष रूप से हमारी आंखों को ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ता है तो समझ जाएं कि यह मोतियाबिंद का संकेत हो सकता है इसीलिए किसी भी तरह के लक्षणों को नजरअंदाज करना आंखों की सेहत के लिए सही नहीं है।
समय पर डॉक्टर से परामर्श लेने के साथ-साथ समय पर उपचार और डॉक्टर की सलाह का पालन करना भी बेहद जरूरी है। अगर डॉक्टर आपकी जीवनशैली में बदलाव के लिए कह रहे हैं या किसी दवा का सुझाव दे रहे हैं तो तुरंत उसका पालन करें। ऐसे में अगर डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो आपको ही परेशानी हो सकती है। उदाहरण के रूप में अगर कोई व्यक्ति ग्लूकोमा से पीड़ित है तो डॉक्टर उसे नियमित रूप से और लंबे समय तक आई ड्रॉप डालने की सलाह देते हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इस सलाह को नहीं मानता है या किसी कारणवश आई ड्रॉप नहीं डाल पाता है तो इससे उसकी दृष्टि हानि या तंत्रिका क्षति भी हो सकती है।
(ये लेख विजन आई केयर के मेडिकल डायरेक्टर तुषार ग्रोवर द्वारा दिए गए इनपुट्स के आधार पर बनाया गया है।)
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