
कब करवाते हैं यूरिन टेस्ट? कैसे लिया जाता है सैंपल? किन-किन बातों का ख्याल टेस्ट के दौरान रखना चााहिए? जानते हैं इन सबके जबाव...
पेशाब की गुणवक्ता की जांच के लिए यूरिन टेस्ट की प्रक्रिया को अपनाया जाता है। यह टेस्ट आमतौर पर पेट, गुर्दे आदि के रोग की जांच के लिए होता है। इस टेस्ट को यूरीन एनालिसिस के नाम से भी जानते हैं। स्वास्थ्य की जांच भी इसे टेस्ट के माध्यम से की जाती है। बता दें कि यूरिन कई पदार्थों के मिश्रण से बनता है। बता दें कि सामान्य या असामान्य मेटाबॉलिज्म के परिणामस्वरुप यह पदार्थ पैदा होते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि यूरिन टेस्ट क्या होता है और यह क्यों करवाया जाता है? पढ़ते हैं आगे...
क्या है यूरिन टेस्ट
यूरिन टेस्ट के अंदर केमिकल्स और माइक्रोस्कॉपी परीक्षण शामिल होते हैं। जिसके लिए मूत्र के सैंपल की जरूरत होती है। यह टेस्ट किडनी के रोग या यूरिन के रास्ते में आने वाले किसी भी संक्रमण की जांच के लिए किया जाता है। यह टेस्ट उन रोगों की भी पहचान करता है, जिसकी वजह से पदार्थ असाधारण तरीके से टूटते हैं और पेशाब के माध्यम से बाहर निकलते हैं।
कब करवाते हैं यूरिन टेस्ट
1- सर्जरी के दौरान यूरिन टेस्ट कराया जाता है।
2- गर्भावस्था की जांच के लिए यूरीन टेस्ट किया जाता है।
3- किडनी संबंधित रोग की जांच के लिए यूरिन टेस्ट किया जाता है।
4- पेट में दर्द,
5- पीठ में दर्द,
6- पेशाब के दौरान दर्द,
7- बार बार पेशाब आना,
8- पेशाब में खून आने के दौरान भी यूरिन टेस्ट करवाया जाता है।
क्या है क्लीन कैच विधि
- इस विधि के दौरान यूरीन टेस्ट के रिजल्ट बेहतर मिलते हैं। ऐसे में यहां दिए स्टेप्स का पालन करना होता है-
- यूरीन सैंपल लेने से पहले आसपास की त्वचा को अच्छे से साफ करना होगा।
- अब शुरुआत में थोड़े से मूत्र को बाहर निकाल कर रुक जाएं।
- उसके बाद डॉक्टर द्वारा दिए गए कंटेनर में सैंपल भरें। भरते वक्त मात्रा का ध्यान रखें।
- इसके बाद डॉक्टर तक सैंपल पहुंचाएं और उनके द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करें।
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कब करवाते हैं माइक्रोस्कोपिक टेस्ट
1- गुर्दे की बीमारी
2- मूत्राशय में कैंसर
3- रक्त विकार संक्रमण आदि की जांच के लिए किया जाता है
4- इसके अलावा गुर्दे में पथरी आदि के लिए भी इसी टेस्ट की सलाह देते हैं।
केमिकल टेस्ट
इस टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर प्रोटीन, शुगर, पीएच स्तर, एसिडिटी, खून, बिलीरुबिन आदि का पता लगाते हैं। ध्यान दें कि इन चीजों के माध्यम से डॉक्टर यह देखते हैं कि पिशाव में कणों की मात्रा ज्यादा है तो उसका मतलब पानी की कमी है और जिसकी वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा पेशाब में शुगर की मात्रा डायबिटीज का संकेत देती है।
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विजुअल टेस्ट
इस टेस्ट में डॉक्टर पेशाब के रंग जैसे- रंग का हल्का लाल हो जाना या भूरा हो जाना आदि को देखते हैं जिससे पता चलता है कि मूत्र में खून की अनुपस्थिति है इसके अलावा पेशाब की गंध से भी निम्न बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
कुछ जरूरी बातें
- टेस्ट देने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि आपने खूब सारा पानी पी रखा हो।
- यूरिन टेस्ट के दौरान आपको खाना छोड़ने या नई दिनचर्या बनाने की जरूरत नहीं है।
- अगर आप यूरिन टेस्ट से पहले किसी भी प्रकार का सप्लीमेंट्स ले रहे हैं तो डॉक्टर को जरूर बताएं क्योंकि इन सप्लीमेंट से आप के रिजल्ट पर प्रभाव पड़ सकता है।
नोट- ध्यान दें कि यूरिन टेस्ट के दौरान देने वाले सैंपल में किसी प्रकार का जोखिम नहीं पाया जाता है। अगर कैथेटराइज्ड स्पेसिमेन की जरूरत पड़ती है तो उसे थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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