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हड्डियों से जुड़ी गंभीर समस्या है मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर, जानें इसके बारे में

Musculoskeletal Disorders in Hindi: हड्डियां, मांसपेशी, जोड़ और लिगामेंट्स से जुड़ी गंभीर समस्या है मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर, जानें इसके कारण और बचाव।
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हड्डियों से जुड़ी गंभीर समस्या है मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर, जानें इसके बारे में


Musculoskeletal Disorders in Hindi: हमारा शरीर एक जटिल मशीन है, जिसमें हड्डियां, मांसपेशियां, जोड़, स्नायुबंधन (लिगामेंट्स), टेंडन और उपास्थि (कार्टिलेज) मिलकर मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम बनाते हैं। यह प्रणाली शरीर को संरचना, स्थिरता और गति देने में मदद करती है। हड्डियों का काम शरीर के ढांचे को ठीक रखना होता है और मांसपेशियों से आपके शरीर की मूवमेंट को ठीक रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा जोड़ हड्डियों को जोड़ते हैं, लिगामेंट्स जोड़ों को स्थिरता देते हैं, टेंडन मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ते हैं और कार्टिलेज जोड़ों को घर्षण से बचाती है। इस सिस्टम को खराबी को ही मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर (Musculoskeletal Disorders - MSD) हैं।

What Causes Musculoskeletal Disorders in Hindi

मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर के कारण- What Causes Musculoskeletal Disorders in Hindi

मस्कुलोस्केलेटल विकार कई कारणों से हो सकते हैं। इसके कुछ मुख्य कारण इस तरह से हैं-

चोट लगना: गिरना, खेल खेलते समय चोट लगना, वजन उठाते समय चोट आदि मस्कुलोस्केलेटल विकारों के आम कारण हैं। चोट लगने से हड्डियां टूट सकती हैं (फ्रैक्चर), स्नायुबंधन में खिंचाव आ सकता है (स्प्रेन), टेंडन में सूजन आ सकती है (टेंडिनाइटिस) या मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है।

अत्यधिक उपयोग: बार-बार एक ही तरह की गतिविधियां करने से मांसपेशियों और जोड़ों पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे सूजन, दर्द और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कार्पल टनल सिंड्रोम इसका एक उदाहरण है।

संक्रमण: कभी-कभी बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण से भी हड्डियों, जोड़ों या मांसपेशियों में सूजन आ सकती है।

ऑटोइम्यून रोग: ऑटोइम्यून रोगों में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपनी ही कोशिकाओं को गलती से बाहरी तत्व समझ कर उन पर हमला कर देती है। इससे जोड़ों में सूजन और दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। रूमेटॉयड अर्थराइटिस इसका एक उदाहरण है।

उम्र बढ़ना: उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का घनत्व कम होता जाता है और जोड़ों में उपास्थि का क्षरण होता है, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

जीवनशैली: अस्वस्थ खानपान, धूम्रपान और व्यायाम की कमी भी मस्कुलोस्केलेटल विकारों के खतरे को बढ़ा सकती है। उदाहरण के लिए, कैल्शियम और विटामिन D की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।

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मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर के लक्षण- Musculoskeletal Disorders Symptoms in Hindi

मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर के लक्षण इस तरह से हैं-

  • दर्द: जोड़ों, मांसपेशियों या हड्डियों में दर्द मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर का सबसे आम लक्षण है। दर्द तेज या सुस्त हो सकता है और लगातार रह सकता है या आता-जाता रह सकता है।
  • जकड़न: जोड़ों में अकड़न महसूस हो सकती है, खासकर सुबह के समय।
  • सूजन: प्रभावित क्षेत्र में सूजन आ सकती है, जिससे त्वचा लाल और गर्म हो सकती है।
  • कमजोरी: मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो सकती है।

मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर की रोकथाम- Musculoskeletal Disorders Prevention in Hindi

  • सही आसन अपनाएं: काम करते समय सही पॉशचर अपनाएं। कंप्यूटर के सामने बैठते समय पीठ को सीधा रखें और आंखों के स्तर पर स्क्रीन को रखें। लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें या खड़े न रहें।
  • वैयक्तिक स्वच्छता और नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम मांसपेशियों और जोड़ों की ताकत और लचीलेपन को बढ़ाता है। योग, स्ट्रेचिंग, और एरोबिक एक्सरसाइज जैसे गतिविधियाँ करें।
  • संतुलित आहार: कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार लें, जो हड्डियों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां, डेयरी उत्पाद, और मछली को अपने आहार में शामिल करें।
  • वजन नियंत्रित रखें: स्वस्थ वजन बनाए रखना मस्कुलोस्केलेटल विकारों के जोखिम को कम करता है। अधिक वजन होने से हड्डियों और जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
  • सुरक्षित कार्य प्रणाली: यदि आपका कार्य शारीरिक मेहनत वाला है, तो सही तकनीकों का पालन करें। भारी वस्तुओं को उठाते समय सही तरीके से उठाएं और उपकरणों का सही उपयोग करें।
  • आराम और नींद: शरीर को आराम देने के लिए पर्याप्त नींद लें और विश्राम करें। यह मांसपेशियों और जोड़ों की मरम्मत और पुनर्स्थापना में मदद करता है।

अगर मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर के लक्षण दिखने लगते हैं, तो तत्काल चिकित्सक से परामर्श करें। डॉक्टर आपकी स्थिति के आधार पर जांच करके फिजिकल थेरेपी, दवाइयां और सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं।

(Image Courtesy: freepik.com)

 

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