कुछ स्त्रियों को पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है, जिसे वे आम समझकर नजरअंदाज कर देती हैं। पर बाद में पता चलता है कि वह किसी बीमारी की शिकार हो गई हैं। बता दें अगर आपको पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो यह मेनोरेजिया के लक्षणों में से एक है। मेनोरेजिया की वजह से महिलाओं को काफी असुविधा होती है। कई स्त्रियां ऐसी हैं जिन्हें इस बीमारी के बारे में पता ही नहीं है। ऐसे में वे अनेक बीमारियों का शिकार हो जाती हैं। उन्हें गंभीर बीमारी जैसे एनीमिया आदि का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि इसके प्रमुख लक्षण और कारण क्या है व इसके बचाव भी जानें। पढ़ते हैं आगे...
इसके प्रमुख लक्षण
- हैवी ब्लीडिंग के कारण 1 घंटे में एक से अधिक सैनिटरी पैड्स बदलना इसी बीमारी के लक्षणों में से एक है।
- नींद में अगर आपको हैवी ब्लीडिंग होती है तो सतर्क हो जाएं।
- अगर किसी स्त्री को मेनोरेजिया हो जाए तो पीरियड्स की सामान्य अवधि 3 दिनों की बजाय वह 7 दिनों से अधिक समय तक ब्लीडिंग से परेशान रहती हैं।
- कुछ औरतों को पीरियड्स के दौरान ब्लड क्लोटिंग भी होती है।
- पेट के निचले हिस्से और कमर में दर्द होना वैसे तो सामान्य है लेकिन ये दर्द बढ़ता चला जाए तो इस बीमारी का लक्षण बन जाता है।
- अनियमित पीरियड्स होना मेनोरेजिया की पहचान है।
- अनावश्यक थकान होना मेनोरेजिया का कारण है।
- हर बात पर चिड़चिड़ाहट महसूस करना।
- सांस का फूलना।
- भूख न लगना और खाने में रुचि न होना।
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इस समस्या के कारण
- आमतौर पर हॉर्मोन असंतुलन होने के कारण यह समस्या होती है। बता दें कि पीरियड्स के दिनों में एस्ट्रोजन और प्रोएस्ट्रोजन हॉर्मोन यूट्रस की भीतरी सतह को बढ़ाने का काम करते हैं। इसे एंडोमेट्रियम भी कहा जाता है। हर महीने पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग होती है। उससे वह परत टूट जाती है और बिल्डिंग की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में ये मेनोरेजिया समस्या का कारण बन जाती है।
- सर्वाइकल एरोजन, जिसे यूट्रस में जख्म होना भी कहा जाता है तब भी ये बीमारी हो सकती है।
- यूट्रस में कैंसर रहित फाइब्रॉयड के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
- थायराइड या लीवर से संबंधित बीमारी है तब भी मेनोरेजिया के शिकार हो सकते हैं।
इस समस्या से बचने के उपाय
- अगर आपको मेनोरेजिया है तो इन बातों का ध्यान रखें-
- पीरियड्स के दौरान फिजिकल एक्टिविटीज कम करें। ज्यादा से ज्यादा आराम करें। भारी सामान उठाने से बचें।
- डॉक्टर से नियमित रूप से चैकअप करवाएं और इस बात का ध्यान रखें कि आप कितने समय बाद अपने पैड से बदल रहे हैं।
- अपनी डाइट का खास ध्यान रखें। अपनी डाइट में पौष्टिक भोजन ऐड करें। इसके अलावा खानपान में आयरन युक्त चीजें जैसे अनार, केला, चुकंदर, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि को जोड़ें।
- ज्यादा ब्लीडिंग नहीं भी हो रही है तब भी डॉक्टर से 6 महीने के अंदर चेकअप जरूर करवाते रहें।
- अगर घरेलू नुस्खों से यह बीमारी ठीक नहीं हो रही है तो डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली दवाइयों का सेवन समय पर करें।
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(ये लेख आकाश हेल्थकेयर एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की गायनेकलॉजिस्ट डॉक्टर शिल्पा गोश से बातचीत पर आधारित है।)
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