एक महिला के लिए मां बनना सबसे खूबसूरत अनुभव होता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्त्रियों को बेवजह दवाइयां खानी पड़ती हैं। जिससे वे बचना तो चाहती है लेकिन बच्चे के जन्म के दौरान होने वाली पीड़ा से बचने के लिए उन्हें इन दवाइयों का सेवन करना ही पड़ता है। आज हम आपको नेचुरोपैथी के बारे में बताएंगे। क्या है नेचुरोपैथी और गर्भवती महिला के लिए यह किस प्रकार से उपयोगी है। इसके बारे में ज्यादा महिलाओं को नहीं पता है। अगर वह नेचुरोपैथी से इलाज व उनके तरीकों को जान जाएं तो उन्हें अपनाने में आसानी होगी। पढ़ते हैं आगे....
क्या है नेचुरोपैथी
नेचुरोपैथी मतलब प्राकृतिक चीजों से सेहत की देखभाल और इलाज। अगर आसान शब्दों में देखा जाए तो नेचुरोपैथी का अर्थ है कि अगर आप बीमार हैं तो आप का इलाज किसी दवाई या ट्रीटमेंट से नहीं बल्कि प्राकृतिक तरीके जैसे योग, प्राणायाम, दिनचर्या में बदलाव, खान-पान आदि के माध्यम से किया जाए। इसमें प्राकृतिक तरीके से प्राप्त जड़ी बूटी एवं विभिन्न तरीकों की मदद से रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जाता है। यह जीवन जीने की अद्भुत शैली है अगर आप दवाइयों की जगह पौष्टिक आहार और योगासन को अपनी दिनचर्या में जोड़ेंगे तो यह आपके लिए भी लाभकारी है। वेदों की बात की जाए तो उसमें भी योग और आयुर्वेद का उल्लेख किया गया है। अब इसे नेचुरोपैथी या नेचर केयर के नाम से भी जाना जाने लगा है।
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गर्भवती महिलाओं के लिए नेचुरोपैथी कैसे है उपयोगी
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह निम्न तरीके से उपयोगी है। जाने कैसे-
- नेचुरोपैथी के जरिए गर्भधारण के खतरे और बच्चे के जन्म तक जो समस्या सामने आती हैं। उसे लड़ने में मदद मिलती है।
- नेचुरोपैथी में सबसे पहले पौष्टिक खानपान पर ध्यान दिया जाता है। प्रेग्नेंट महिला की डाइट में फल, दूध, सलाद, फाइबर फूड, खाद्य सामग्री की भरपूर मात्रा जोड़ी जाती है। लेकिन ओवर डाइटिंग से प्रेगनेंट लेडी को कैसे बचाया जाए यह भी इसी का हिस्सा है।
- नेचुरोपैथी के जरिए प्रेग्नेंट लेडी को मानसिक और शारीरिक दोनों तरीके से मजबूत बनाया जाता है, जिससे उनके अंदर आ रहे शारीरिक बदलावों को वह स्वीकार कर सकें और वे किसी भी तरह की आशंका में ना जीएं।
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- नेचुरोपैथी प्रेग्नेंट लेडी को दूसरी स्त्रियों से अनुभव जानने के लिए प्रेरित करती है, जिससे वे पूरी स्थिति को समझ सकें और डिलीवरी के लिए तैयार हो सकें।
- शारीरिक फिटनेस भी इसी का एक अहम हिस्सा है। इसके जरिए प्रेग्नेंट स्त्रियों को एक्सरसाइज, आसन आदि सिखाए जाते हैं। ऐसे योग भी सिखाए जाते हैं जो बेहद प्रभावी होते हैं, जिससे डिलीवरी के समय बच्चे का जन्म बिना किसी समस्या के हो सके और मां को दर्द का अनुभवी कम हो सके।
- नेचुरोपैथी में महिला को नियमित रूप से प्राणायाम करने की सलाह दी जाती है। दरअसल इसके माध्यम से सांसों को नियंत्रण किया जा सकता है। प्रेग्नेंट लेडी के लिए सांसों पर नियंत्रण पाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बच्चे के जन्म के दौरान काफी उर्जा सांस लेने और छोड़ने में खर्च हो जाती है इसीलिए प्राणायाम के माध्यम से इसकी पहले से प्रैक्टिस करना लाभदायक है।
- बॉडी मसाज और मनोरंजन भी इसी का हिस्सा है। लेकिन हां बॉडी मसाज किसी एक्सपर्ट की मदद से ही करानी जरूरी है। क्योंकि इसमें सतर्कता बरती जाती है।
- अच्छे संगीत सुनने और उन लोगों के बीच रहने की सलाह दी जाती है जो सकारात्मक सोच रखते हैं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चा मां के विचारों से प्रभावित होने लगता है ऐसे में नेचुरोपैथी के माध्यम से दोनों के बीच संवाद कायम किया जाता है।
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