लोटस बर्थ क्या है? डॉक्टर से जानें इसके फायदों और खतरों के बारे में

महिला व डॉक्टर बच्चे की डिलीवरी के तरीके को चुन सकते हैं। आगे जानते हैं कि लोटस बर्थ क्या होता है? साथ ही, इसके फायदे और जोखिम को भी विस्तार से जानें  
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लोटस बर्थ क्या है? डॉक्टर से जानें इसके फायदों और खतरों के बारे में

हर महिला के जीवन में प्रेग्नेंसी एक सुखद और अलग-अलग अनुभव का अहसास करती है। पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को इस दौरान कुछ समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। प्रेग्नेंसी के अंतिम दौर में महिलाएं व डॉक्टर मौजूदा स्थिति और सहूलियत के आधार पर डिलीवरी के तरीके को चुन सकते हैं। बच्चे की डिलीवरी के दौरान आप लोटस बर्थ तकनीक को भी अपना सकते हैं। आगे साईं पॉलिक्लीनिक की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. विभा बंसल से जानते हैं कि लॉटस बर्थ क्या होती है। साथ ही, इसके फायदे और जोखिम कारकों को भी बताया गया है।

लोटस बर्थ क्या होता है? - What Is Lotus Birth In Hindi 

डिलीवरी के समय बच्चे और महिला की मौजूदा स्थिति के आधार पर डॉक्टर सुरक्षित तकनीक को चुन सकते हैं। लोटर बर्थ भी बच्चे के जन्म की एक तकनीक है। इस तकनीक में जन्म के बाद बच्चे के गर्भनाल (umbilical cord) को नहीं काटा जाता है। साथ ही, प्लेसेंटा को भी अलग नहीं किया जाता है। जबकि, सामान्य रूप से जन्म के समय बच्चे की गर्भनाल को काटकर अलग कर दिया जाता है। यह तकनीक वर्षों पहले अपनाई जाती थी, लेकिन आज भी इसे कई देशों में अपनाया जाता है। हालांकि, कुछ इसके फायदे बताते हैं। लेकिन, वैज्ञानिक इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। 

लोटस बर्थ के फायदे - Benefits Of Lotus Birth In Hindi 

हेल्थलाइन के अनुसार लोटस बर्थ के कुछ फायदे होते हैं। इन फायदों के बारे में आगे जानें 

पोषक तत्व स्थानांतरण

लोटस बर्थ में जन्म के बाद भी बच्चे को निरंतर पोषक तत्व प्रदान किए जा सकते हैं। बच्चे को जन्म के बाद संक्रमण की संभावना हो सकती है। ऐसे में पोषक तत्व बच्चे के लिए आवश्यक होते हैं।  

नवजात शिशु के लिए तनाव कम होना

लोटस बर्थ को बेहतर बताने वालों के अनुसार गर्भनाल का धीरे-धीरे अलग होना नवजात शिशु के तनाव को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रक्रिया बच्चे की नेचुरल रिदम के साथ अधिक मेल खाती है। 

lotus birth in pregnancy in hindi

एंटी-बैक्टीरियल गुण 

प्लेसेंटा की नेचुरल ड्राई होने की प्रक्रिया बैक्टीरिया के जोखिम को कम कर सकती है। इससे नवजात शिशु के लिए संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

जन्म के बाद के जोखिम कम होना

इमरजेंसी के स्थिति में यदि अस्पताल जाना भी संभव न हो तो ऐसे में आप लोटस बर्थ चुन सकते हैं। इस तकनीक में प्लेसेंटा को बच्चे से जोड़े रखने से  जटिलताएं कम हो जाती है। इस दौरान बच्चे के प्लेसेंटा में कट लगाने से इंफेक्शन और रक्तस्राव का खतरा अधिक होता है। 

लोटस बर्थ में क्या जोखिम हो सकते हैं - Risk Factor Of Lotus Birth In Hindi 

  • डॉक्टरों के मुताबिक प्लेसेंटा को बच्चे से जोड़े रखने से बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है। 
  • जन्म के बाद प्लेसेंटा से बच्चे को जोड़कर रखना और उसे संभालने में समस्या हो सकती है। साथ ही, इसकी स्वच्छता भी एक बड़ा मुद्दा है। 
  • लोटस बर्थ के बाद महिला और बच्चे को ज्यादा समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत होती है। 
  • प्लसेंटा से बच्चे के संक्रमण हो सकता है। 

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लोटस बर्थ के फायदों पर किसी भी तरह की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं मिलती है। लेकिन, इस पारंपरिक तरीके को आज भी कई देशों में अपनाया जा रहा है। समय के साथ मेडिकल साइंस ने कई पड़ावों में विकास किया है। ऐसे में जन्म के समय प्लेसेंटा को बच्चे से अलग करने के अपने कई फायदे बताए गए हैं। डिलीवरी के दौरान पारंपरिक मान्यताओं की अपेक्षा अभिभावकों को डॉक्टर की सलाह पर विचार करना चाहिए। 

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