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प्रेग्नेंसी में बेबी क्राउनिंग क्या होता है? डॉक्टर से समझें

प्रेग्नेंसी के अंतिम दौर में महिलाओं को बेबी क्राउनिंग से गुजरना पड़ता है। आगे जानते हैं कि क्या होता है बेबी क्राउनिंग 
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प्रेग्नेंसी में बेबी क्राउनिंग क्या होता है? डॉक्टर से समझें


प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अलग-अलग पड़ाव से गुजरना पड़ता है। इस दौरान महिलाओं को भावनात्मक और शारीरिक रूप से कई तरह के बदलावों का सामना करना पड़ता है। घर में एक नन्हें मेहमान के आने की खुशी और शरीर में होते बदलावों की वजह से महिलाओं को कई लक्षण महसूस होते हैं। डॉक्टर प्रेग्नेंसी को तीन महीनों के तीन भाग में विभाजित करते हैं। गर्भावस्था में बेबी क्राउनिंग एक सामान्य स्थिति है। क्राउनिंग डिलीवरी के वह स्थिति होती है, जब बच्चे का सिर बर्थ कैनल से बाहर आने लगता है। इस लेख में स्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विभा बंसल से जानते हैं कि बेबी क्राउनिंग क्या होता है, इस दौरान महिलाओं को क्या लक्षण, कारण होते हैं और इसका ट्रीटमेंट क्या हो सकता है। 

बेबी क्राउनिंग को समझें - What Is Baby Crowning In Hindi 

बच्चे के जन्म की प्रक्रिया के दौरान क्राउनिंग एक महत्वपूर्ण चरण है, जो अक्सर प्रसव के दूसरे चरण के दौरान होता है। यह स्थिति प्रारंभिक चरण के बाद आती है जब गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) चौड़ी हो जाती है और बच्चा बर्थ कैनल में आ जाता है। क्राउनिंग के दौरान  बच्चे का सिर महिला की योनि के करीब दिखाई देने लगता है। 

बेबी क्राउनिंग के लक्षण - Symptoms Of Baby Crowning In Hindi

  • सिर का दिखना: क्राउनिंग के सबसे स्पष्ट लक्षण में बच्चे का सिर योनि के पास दिखाई देता है। यह आमतौर पर एक गोल, बाल रहित और झुर्रीदार सिर के रूप में दिखाई देता है, जो वर्निक्स नाम के सफेद, मोम की तरह पदार्थ से ढका होता है।
  • तीव्र दबाव: जैसे ही बच्चे के सिर बाहर आना शुरू होता है, महिलाओं को अक्सर पेरिनियल क्षेत्र (जांघ और योनि के पास का हिस्सा) में तीव्र दबाव और खिंचाव महसूस होता है। यह असुविधाजनक और दर्दनाक हो सकता है, लेकिन यह प्रसव प्रक्रिया का एक स्वाभाविक हिस्सा है।
  • पेरिनेम का उभार: पेरिनेम, जो योनि व गुदा के बीच की त्वचा और मांसपेशियों का क्षेत्र है, बच्चे का सिर बाहर आने पर स्पष्ट रूप से उभरा हुआ दिखाई देने लगता है।

baby crowning in hindi

बेबी क्राउनिंग का उपचार और प्रबंधन - How To Manage Baby Crowning In Hindi 

  • बाहर को पुश करना: यह डिलीवरी की एक सामान्य प्रक्रिया है, इसमें डॉक्टर महिलाओं को बच्चे को एक निश्चित समय के अंतराल में लगातार बाहर की ओर पुश करने की सलाह देते हैं। इससे डिलीवरी के दौरान बच्चा आसानी से बाहर आता है। 
  • पेरिनियल सहायता: डॉक्टर्स पेरिनियल क्षेत्र के फटने या चोट के जोखिम को कम करने के लिए पेरिनियल को सपोर्ट कर सकते हैं। इसमें शिशु के सिर को सुचारू रूप से उभरने में मदद करने के लिए हल्का दबाव और मालिश शामिल हो सकती है।
  • दर्द प्रबंधन: दर्द निवारक विकल्पों में डॉक्टर महिलाओं को डिलीवरी के आधार पर दे सकते हैं। दर्द को कम करके बेबी क्राउनिंग प्रक्रिया को मैनेज किया जाता है। 
  • शिशु का नियमित चेकअप: क्राउनिंग के दौरान शिशु की हृदय गति की निरंतर जांच करना आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिशु इस प्रक्रिया को अच्छी तरह से सहन कर रहा है।
  • एपीसीओटॉमी: एपीसीओटॉमी में योनि को बड़ा करने के लिए पेरिनेम में किया जाने वाला एक सर्जिकल चीरा है। कुछ मामलों में, यह आवश्यक हो सकता है, लेकिन जब तक संभव हो इसे टाला जाता है। अगर इस प्रक्रिया में पहले से ही पेरिनेम में चीरा लग जाता है, तो यह सर्जिकल चीरे की तुलना में जल्द ठीक हो जाता है। 

पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को इस प्रक्रिया में तीव्र दर्द महसूस हो सकता है। वहीं बच्चे के बाहर आने के चरण अक्सर महिलाओं को दर्द होता है। लेकिन, इस दौरान होने वाली परेशानी हर महिला में अलग-अलग हो सकती है। यदि आपको बेबी क्राउनिंग के दौरान दर्द हो रहा है तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। 

 

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