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ल्यूकोपेनिया (व्हाइट ब्लड सेल्स की कमी) में किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं? जानें इसके कारण

जब व्यक्ति के शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम हो जाती है, तो इसको ल्यूकोपेनिया कहते हैं। यह समस्या  कई गंभीर समस्या का कारण बन सकती है। आगे जानते हैं ल्यूकोपेनिया के लक्षण और कारण क्या होते हैं?
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ल्यूकोपेनिया (व्हाइट ब्लड सेल्स की कमी) में किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं? जानें इसके कारण


कुछ लोगों की इम्युनिटी बहुत कमजोर होती है, ऐसे में उन लोगों को बार-बार बीमार होने का जोखिम अधिक होता है। हमारे शरीर में रेड और व्हाइट दो तरह के सेल्स होते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। साथ ही, इन अधिक संख्या होने से आपको बार-बार बीमार नहीं होना पड़ता है। लेकिन आज के समय में विभिन्न प्रकार की बीमारियां तेजी से फैल रही हैं, जिनमें से एक है ल्यूकोपेनिया। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है यदि समय रहते इसका पता न चले और उचित इलाज न किया जाए। इस लेख में कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सोनल गोयल से जानते हैं कि ल्यूकोपेनिया क्या है, इसके मुख्य कारण क्या हो सकते हैं और इसके लक्षण किस प्रकार दिखाई देते हैं? 

ल्यूकोपेनिया क्या है? - What is Leukopenia In Hindi

ल्यूकोपेनिया (Leukopenia) एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के खून में व्हाइट ब्लड सेल्स (WBCs - White Blood Cells) की संख्या सामान्य से कम हो जाती है। व्हाइट ब्लड सेल्स हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं, जो संक्रमणों और बाहरी बैक्टीरिया से लड़ने का कार्य करती हैं। जब इन कोशिकाओं की संख्या घट जाती है, तो शरीर की संक्रमणों से लड़ने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ सकता है। स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में सामान्यतः WBCs की संख्या प्रति माइक्रोलिटर रक्त में 4,000 से 11,000 के बीच होती है। यदि यह संख्या इससे कम हो जाए तो इसे ल्यूकोपेनिया कहा जाता है।

ल्यूकोपेनिया के मुख्य कारण - Causes Of Leukopenia In Hindi

ल्यूकोपेनिया के कई कारण हो सकते हैं। ये कारण अस्थायी भी हो सकते हैं और स्थायी भी। आइए प्रमुख कारणों के बारे में जानते हैं। 

इंफेक्शन 

कुछ वायरल इंफेक्शन जैसे इन्फ्लूएंजा, डेंगू,  हेपेटाइटिस या HIV, शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या को अस्थायी रूप से कम कर सकते हैं। शरीर जब इन बीमारियों से लड़ता है, तब WBCs तेजी से उपयोग होती हैं या प्रभावित होती हैं।

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बोन मैरो (Bone Marrow) से जुड़ी समस्या

हड्डियों के भीतर स्थित अस्थि मज्जा (बोन मैरो) व्हाइट ब्लड सेल्स निर्माण करती है। यदि बोन मैरो को कोई बीमारी जैसे ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर), माइलोडिसप्लास्टिक सिंड्रोम या अन्य कैंसर प्रभावित कर दें, तो व्हाइट ब्लड सेल्स का निर्माण कम हो सकता है।

दवाइयों का प्रभाव

कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और कुछ एंटीबायोटिक्स या इम्यूनोस्प्रैसिव दवाइयां बोन मैरो को नुकसान पहुंचाकर व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या घटा सकती हैं।

पोषक तत्वों की कमी

विटामिन B12, फोलिक एसिड और तांबा जैसे पोषक तत्वों की कमी भी व्हाइट ब्लड सेल्स के उत्पादन को बाधित कर सकती है। विशेष रूप से कुपोषित लोगों में यह समस्या देखी जा सकती है।

ऑटो इम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases)

लुपस (SLE), रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे व्हाइट ब्लड सेल्स नष्ट होने लगते हैं और उनकी संख्या घट जाती है।

ल्यूकोपेनिया के लक्षण - Symptoms Of Leukopenia In Hindi

ल्यूकोपेनिया का शुरुआती चरण अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के हो सकता है। लेकिन जब व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या काफी कम हो जाती है, तो आगे बताए लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 

  • बार-बार संक्रमण होना 
  • बुखार
  • घावों का जल्दी न भरना
  • थकान और कमजोरी
  • अधिक पसीना आना, 
  • गले में खराश या मुंह में घाव, आदि। 

ल्यूकोपेनिया का इलाज - Treatment Of Leukopenia In Hindi

  • ल्यूकोपेनिया का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। 
  • यदि मरीज को संक्रमण के कारण यह समस्या हुई है तो ऐसे में एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल दवाइयां दी जाती हैं।
  • यदि विटामिन की कमी से ल्यूकोपेनिया हुआ है, तो विटामिन सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं।
  • यदि यह किसी दवा के साइड इफेक्ट के कारण है, तो दवा बंद कर दी जाती है या बदल दी जाती है। 

इसे भी पढ़ें: शरीर में रेड ब्लड सेल्स कम होने पर नजर आते हैं ये 5 लक्षण, सामान्य समझकर न करें नजरअंदाज

ल्यूकोपेनिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है यदि समय रहते इसका निदान और इलाज न किया जाए। नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार और संक्रमण से बचाव के उपायों को अपनाकर इससे बचा जा सकता है। अगर आपको बार-बार संक्रमण हो रहा है या लंबे समय तक बुखार बना रहता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सही समय पर सही इलाज से ल्यूकोपेनिया पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।

FAQ

  • ल्यूकोपेनिया किसकी कमी से होता है?

    ल्यूकोपेनिया तब होता है जब आपके रक्त में श्वेत रक्त कोशिका का स्तर सामान्य से कम होता है। आपके श्वेत रक्त कोशिका के स्तर में गिरावट के कई कारण हो सकते हैं।
  • ल्यूकोसाइट कम होने पर क्या होता है?

    व्हाइट ब्ल्ड सेल्स यानी श्वेत रक्त कोशिकाओं की कम संख्या के कारण व्यक्ति को संक्रमण होने की अधिक संभावना हो सकती है। श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर में संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं।
  • क्या ल्यूकोसाइटोसिस कैंसर का एक प्रकार है?

    ल्यूकोसाइटोसिस अपने आप में कैंसर का एक प्रकार नहीं है, लेकिन यह कुछ कैंसर, विशेष रूप से रक्त से संबंधित कैंसर का सूचक हो सकता है। 

 

 

 

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