Leukocytosis in Hindi: शरीर के अंदर कई तरह की प्रक्रिया एक साथ चर रही होती हैं। जब आपके शरीर में संक्रमण, सूजन या चोट लगती है, तो ऐसे में सफेद रक्त कोशिकाएं बढ़ जाती हैं। दरअसल, सफेद रक्त कोशिकाएं शरीर को रिपेयर करने का काम करती हैं। लेकिन, कई बार यह बिना किसी संक्रमण, सूजन और चोट के भी बढ़ सकती है। डॉक्टर इसकी पहचान के लिए सीबीसी टेस्ट (खून की जांच) करने की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर की मानें तो इसके कई कारण हो सकते हैं। ल्यूकोसाइटोसिस होने पर व्यक्ति को थकान, कमजोरी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इस लेख में नारायण अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन व सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर पंकज वर्मा से जानते हैं कि ल्यूकोसाइटोसिस क्या होता है और इसकी हमारे शरीर में शुरुआत कैसे होती है।
ल्यूकोसाइटोसिस क्या है? - What is Leukocytosis In Hindi
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सफेद कोशिकाएं बेहद महत्वपूर्ण होती हैं। जब व्यक्ति के शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है, तो उस स्थिति को ल्यूकोसाइटोसिस कहा जाता है। ल्यूकोसाइटोसिस एक सामान्य प्रतिक्रिया है, जो हर बार किसी चिंता का कारण नहीं होती है। सामान्य रूप से शरीर में संक्रमण, सूजन या अन्य बीमारियों से लड़ने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ जाता है। लेकिन, कई बार यह ल्यूकेमिया की ओर भी संकेत कर सकती है।
शरीर में सफेद रक्त कोशिका बढ़ने का क्या मतलब है?
सफेद रक्त कोशिकाएं आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण और आवश्यक हिस्सा हैं। यह व्यक्ति की बोन मैरो (अस्थि मज्जा) में बनती हैं, और शरीर को संक्रमण और बीमारी से बचाती हैं। लेकिन, जब बहुत अधिक सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं, तो इसका आमतौर पर मतलब होता है कि आपके शरीर में संक्रमण या सूजन है। इसके अलावा, सफेद रक्त कोशिका का बढ़ना रक्त कैंसर या बोन मैरो डिस्ऑर्डर का संकेत दे सकती है। आमतौर पर, यदि आपके रक्त के एक माइक्रोलीटर में 11,000 से अधिक सफेद रक्त कोशिकाएं हैं, तो इसे ल्यूकोसाइटोसिस माना जाता है।
ल्यूकोसाइटोसिस में क्या लक्षण दिखाई दे सकते हैं? - Symptoms of Leukocytosis in Hindi
- बुखार होना
- थकान लगना
- दर्द होना
- सांस लेने में दिक्क्त
- सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना
- रात का पसीना
- वजन घटना
- त्वचा पर खरोंच से खून बहना, आदि।
ल्यूकोसाइटोसिस का क्या कारण है?- Causes Of Leukocytosis in Hindi
ल्यूकोसाइटोसिस मुख्य रूप से संक्रमण या सूजन के कारण होता है। लेकिन, आगे बताए कारणों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी विकार जैसे ल्यूपस या रुमेटाइड अर्थराइटिस।
- थायरॉयड की समस्या
- एलर्जी
- बुखार, चोट या सर्जरी
- स्किन का जलना
- कुछ दवाओं का सेवन जैसे लिथियम, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और बीटा-एगोनिस्ट अन्य।
- मोटापा
- धूम्रपान. आदि।
ल्यूकोसाइटोसिस का इलाज कैसे किया जाता है? - How Leukocytosis Treated In Hindi
ल्यूकोसाइटोसिस का इलाड इसके कारण पर निर्भर करता है। जैसे यदि बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, तो डॉक्टर बैक्टीरयल इंफेक्शन को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स दवाएं देंगे। सफेद रक्त कोशिकाओं के बढ़ने पर आगे बताए इलाज किए जा सकते हैं।
- तनाव या चिंता को कम करने के लिए दवाएं देना
- एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं देना
- अस्थमा के इलाज के लिए इन्हेलर
- ब्लड सर्कुलेशन में सुधार के लिए IV तरल पदार्थ देना
- ल्यूकेफेरेसिस, आपके रक्त में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को शीघ्रता से कम करने की एक प्रक्रिया।
- कैंसर का इलाज, जैसे कि कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट।
इसे भी पढ़ें: रेड ब्लड सेल्स बढ़ाने के लिए जरूरी होते हैं ये 5 पोषक तत्व, जानें इनके लिए क्या खाएं
सफेद रक्त कोशिकाओं के ट्रिगर प्वाइंट्स को समझकर आप उसका इलाज करा सकते हैं। अगर आपको ल्यूकोसाइटोसिस से जुड़ा लक्षण महसूस हो, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इस स्थिति को नजरअंदाज करने से समस्याएं बढ़ सकती हैं।
All Image Credit : FreePik