Jet Lag Syndrome in Hindi: आज का समय ग्लोबली एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। दो या तीन देशों के साथ काम करने वाले लोगों को कई बार ऑफिस के काम से कम समय में दो या तीन देशों को यात्रा करनी पड़ती है। लंबी दूरी की यात्रा जहां एक ओर रोमांचक होती है, वहीं दूसरी ओर यह आपके शरीर के प्राकृतिक समय चक्र यानी बॉडी क्लॉक को असंतुलित कर सकती है। इसी असंतुलन को ही जेट लैग डिसऑर्डर (Jet Lag Disorder) के नाम से जाना जाता है। यह समस्या आमतौर पर तब होती है जब कोई व्यक्ति एक टाइम जोन से दूसरे टाइम जोन में जल्दी से यात्रा करता है, खासकर जब अंतर महाद्वीपीय (intercontinental) हो। इस लेख में जाइनोवा शैल्बी की इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर उर्वी महेश्वरी से जानेंगे कि जेट लैग क्या होता है, इसके लक्षण क्या होते हैं और इसके मुख्य कारण कौन से हैं।
जेट लैग क्या है? - What Is Jet Lag Syndrome In Hindi
जेट लैग एक नींद और शरीर की आंतरिक घड़ी (Circadian Rhythm) से जुड़ा विकार है जो तब होता है जब कोई व्यक्ति जल्दी से एक टाइम जोन से दूसरे में चला जाता है। हमारी बॉडी क्लॉक सूरज की रोशनी के अनुसार चलती है, जो नींद, जागने का समय, भूख लगना, हार्मोन रिलीज़ और शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है।
जब आप एक टाइम जोन से दूसरे में उड़ते हैं (जैसे भारत से अमेरिका या यूरोप), तो आपकी आंतरिक घड़ी यानी सर्कैडियन क्लॉक पुराने टाइम जोन के अनुसार चलती रहती है, जबकि नया वातावरण एक अलग समय पर होता है। इस फर्क को ही जेट लैग कहा जाता है।
जेट लैग होने का कारण क्या है? - Causes Of Jet Lag Syndrome in Hindi
जेट लैग तब होता है जब शरीर का प्राकृतिक सर्कैडियन रिदम (circadian rhythm) नए टाइम जोन के साथ मेल नहीं खाता। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं।
टाइम जोन में बदलाव
एक ही दिन में कई टाइम जोन पार करना आपके शरीर को भ्रमित कर देता है। आमतौर पर पूर्व की ओर यात्रा (eastward travel) करने पर जेट लैग ज्यादा होता है क्योंकि इससे आपका दिन छोटा हो जाता है, जिससे शरीर को नए समय के साथ ढलने में परेशानी होती है।
नींद का पैटर्न बिगड़ना
फ्लाइट के समय में नींद पूरी न हो पाना, रात में उड़ान भरना या यात्रा के दौरान आराम न मिलना जेट लैग को बढ़ा सकता है।
उम्र और हेल्थ
उम्र बढ़ने के साथ शरीर का सर्कैडियन सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे बूढ़े लोगों में जेट लैग की समस्या ज्यादा होती है।
लाइट एक्सपोजर
सूर्य की रोशनी आपके शरीर की घड़ी को रीसेट करने में अहम भूमिका निभाती है। नए टाइम ज़ोन में सही समय पर प्रकाश या अंधेरे से एक्सपोज़र न मिलने से शरीर की घड़ी गलत टाइम पर चलती रहती है।
जेट लैग के सामान्य लक्षण - Symptoms Of Jet Lag Syndrome in Hindi
जेट लैग के लक्षण व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य, यात्रा की दिशा और दूरी पर निर्भर करते हैं। सामान्यतः ये लक्षण 1 से 3 दिन तक रहते हैं, लेकिन कुछ मामलों में हफ्तेभर तक परेशान कर सकते हैं।
- नींद न आना (Insomnia) – रात में नींद नहीं आना और दिन में नींद आना।
- थकान और सुस्ती – हर समय थका हुआ महसूस करना।
- चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स – छोटे-छोटे कारणों पर गुस्सा या उदासी महसूस करना।
- ध्यान केंद्रित न कर पाना – काम या बातचीत में मन न लगना।
- पाचन समस्याएं – भूख का समय बदल जाना, कब्ज या पेट खराब होना।
- सिरदर्द और चक्कर – बॉडी क्लॉक असंतुलन से सिर भारी लगना।
- मांसपेशियों में जकड़न – लंबे समय तक बैठे रहने से शरीर में अकड़न आना।
जेट लैग से बचाव और राहत के उपाय - Prevention Tips Of Jet Lag Syndrome In Hindi
जेट लैग को पूरी तरह से रोकना मुश्किल हो सकता है, लेकिन कुछ आसान उपायों से इसके असर को कम किया जा सकता है।
- यात्रा से पहले नींद का शेड्यूल बदलें
- फ्लाइट में भरपूर पानी पिएं
- भारी और तला-भुना खाना खाने से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है, जिससे थकान बढ़ती है।
- सुबह के समय बाहर निकलकर सूरज की रोशनी लें ताकि आपकी बॉडी क्लॉक नए टाइम ज़ोन के अनुसार सेट हो सके।
- दिन में बहुत ज्यादा सोने से रात की नींद में बाधा आ सकती है, इसलिए शॉर्ट पावर नैप ही लें।
- हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या स्ट्रेचिंग से शरीर एक्टिव रहता है और नींद का चक्र भी सुधरता है।
इसे भी पढ़ें: चल रहा है किसी बीमारी का इलाज, तो ट्रैवल करने से पहले जरूर बरतें ये 4 सावधानियां
जेट लेग एक अस्थायी लेकिन परेशान करने वाली स्थिति है जो लंबी दूरी की यात्रा के बाद शरीर की आंतरिक घड़ी में गड़बड़ी के कारण होती है। यदि आप अंतरराष्ट्रीय यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो अपनी नींद, खानपान और लाइट एक्सपोजर का ध्यान रखें।
FAQ
नींद की कमी का मुख्य कारण क्या है?
अवसाद, तनाव विकार, अवसाद, घबराहट विकार और चिंता से पीड़ित लोगों में नींद की कमी होने का जोखिम अधिक होता है।क्या स्ट्रेस से नींद की कमी हो सकती है?
स्ट्रेस की कमी के चलते है लोगो को पर्याप्त नींंद लेने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में स्ट्रेस को दूर करने के लिए आप योग और मेडिटेशन कर सकते हैं।ज्यादा स्ट्रेस लेने से क्या होता है?
ज्यादा स्ट्रेस लेने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। इसमें उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक, मोटापा और डायबिटीज को शामिल किया जाता है।