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स्ट्रोक की स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है कैरोटिड डॉपलर टेस्ट, जानें इसके बारे में

Carotid Doppler Test in Hindi: आर्टरी और हार्ट से जुड़ी बीमारी का पता लगाने और स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए कैरोटिड डॉपलर टेस्ट बहुत जरूरी होता है।
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स्ट्रोक की स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है कैरोटिड डॉपलर टेस्ट, जानें इसके बारे में


Carotid Doppler Test in Hindi: शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए। सही समय पर जरूरी स्क्रीनिंग और टेस्ट कराने से शरीर में बीमारी का पता लगाने में मदद मिलती है और इसकी मदद से सही समय पर इलाज भी हो जाता है। इसी तरह की एक क्रीनिंग है कैरोटिड डॉपलर टेस्ट। इस स्क्रीनिंग के माध्यम से स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या की जांच करने में मदद मिलती है। इस जांच को इसे डॉप्लर अल्ट्रासाउंड भी कहते हैं। कैरोटिड डॉपलर टेस्ट (Carotid Doppler Test) एक विशेष तरह का अल्ट्रासाउंड है, जिसके माध्यम से ब्लड क्लॉट, नसों के फंक्शन समेत कई गंभीर समस्याओं का पता लगाने में मदद मिलती है। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं कैरोटिड डॉपलर टेस्ट के बारे में।

कैरोटिड डॉपलर टेस्ट क्या है?- What is Carotid Doppler Test in Hindi

कैरोटिड डॉपलर टेस्ट के माध्यम से कैरोटिड आर्टरी की जांच की जाती है और इसके माध्यम से शरीर में ब्लड फ्लो का भी पता चलता है। इस अल्ट्रासाउंड से स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या के खतरे को कम करने में भी मदद मिलती है। इस टेस्ट में हाई-फ्रीक्वेंसी वेव्स की मदद से आर्टरी, नसों के वाल्व, हार्ट वाल्व समेत पेरिफेरल आर्टरी की जांच होती है। लखनऊ के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. केके कपूर कहते हैं कि, "कैरोटिड डॉपलर टेस्ट के जरिए शरीर में ब्लड फ्लो से लेकर आर्टरीज से जुड़ी परेशानियों की जांच की जाती है। हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर और जानलेवा समस्या का पता लगाने या स्क्रीनिंग करने के लिए भी इस टेस्ट की सहायता ली जाती है।"

Carotid Doppler Test in Hindi

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कैसे किया जाता है कैरोटिड डॉपलर टेस्ट?- Carotid Doppler Test Procedure in Hindi

कैरोटिड डॉपलर टेस्ट अल्ट्रासाउंड है जिसे हैंडहेल्ड डिवाइस की मदद से किया जाता है। इस टेस्ट में हैंडहेल्ड डिवाइस ट्रांसड्यूसर का इस्तेमाल होता है, इस डिवाइस से वेव्स निकलती हैं, जो धमनियों की ब्लड सेल्स से टकराकर रिजल्ट देती हैं। हैंडहेल्ड डिवाइस ट्रांसड्यूसर की मदद से आर्टरीज की रियल टाइम इमेजेज मिलती हैं और इसकी मदद से ही डॉक्टर शरीर में स्ट्रोक के खतरे और आर्टरीज से जुड़ी परेशानियों का पता लगाते हैं।

कैरोटिड डॉपलर टेस्ट क्यों किया जाता है?- Carotid Doppler Test Purpose in Hindi

ऐसे लोग जो हार्ट और आर्टरीज से जुड़ी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, उनके लिए यह टेस्ट बहुत जरूरी होता है। आर्टरी से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने और इसे मैनेज करने के लिए इस टेस्ट की मदद ली जाती है। अगर आपको भी इन बीमारियों के लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह लेकर यह टेस्ट करा सकते हैं। स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या के खतरे को काफी हद तक कम करने में यह टेस्ट मदद करता है। 

कैरोटिड डॉपलर टेस्ट से इन चीजों का पता लगाने और बचाव करने में मदद मिलती है-

  • कैरोटिड आर्टरी रोग का पता लगाने और निदान करने में
  • स्ट्रोक के जोखिम को कम करने और बचाव में
  • हार्ट और आर्टरी से जुड़ी बीमारियों के सही इलाज में
  • धमनियों में सामान्य से कम संकुचन का पता लगाना
  • कैरोटिड आर्टरी रोग की जल्द पहचान करने में

आर्टरीज और हार्ट से जुड़ी बीमारियों का सही समय पर पता लगने से इलाज आसानी से हो जाता है और मरीज गंभीर रूप से इसका शिकार होने से बच सकता है। यही कारण है की कैरोटिड आर्टरी डिजीज के मरीजों को समय-समय यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। आप भी अपने डॉक्टर की सलाह से यह स्क्रीनिंग करा सकते हैं।

(Image Courtesy: Freepik.com)

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