शरीर में कहां जमा है चर्बी, फेकल फैट टेस्ट से चलेगा पता, डॉक्टर से जानें इसके बारे में

  फेकल फैट टेस्ट आपके मल या स्टूल में फैट की मात्रा को मापता है। आपके मल में वसा की मौजूदगी डॉक्टर को इस बात की जानकारी देती है कि पाचन के दौरान आपका शरीर कितना फैट अवशोषित करता है।  
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शरीर में कहां जमा है चर्बी, फेकल फैट टेस्ट से चलेगा पता, डॉक्टर से जानें इसके बारे में


What is a Fecal Fat Test Know the Details: आजकल जीवनशैली, खानपान और फिजिकल एक्टिविटी कम होने की वजह से लोगों को मोटापे की समस्या हो रही है। मोटापे के कारण शरीर के कई हिस्सों में चर्बी जमा हो जाती है। इसकी वजह से लोगों का चलना, उठना, बैठना यहां तक की अपने फेवरेट कपड़े तक पहनना मुश्किल हो जाता है। कई बार खाने में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट लेने की वजह से मोटापे की समस्या होती है। ज्यादा कार्बोहाइड्रेट और फैट का सेवन करने से यह लिवर, किडनी और शरीर के कई अंगों पर जमा होने लगता है। इसकी वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। किडनी, ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और थायराइड की समस्या भी शरीर में फैट जमा होने की वजह से होती है। शरीर में फैट जमना हर किसी को नजर आ जाता है, लेकिन शरीर के किस हिस्से में फैट जमा इसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर के किन हिस्सों में फैट जमा है इसकी जानकारी आम इंसान को नहीं हो सकती है। इसके लिए फेकल फैट टेस्ट करवाया जाता है। आइए इस लेख में आगे जानते हैं इस मेडिकल टेस्ट के बारे में।

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क्या होता है फेकल फैट टेस्ट?

फेकल फैट टेस्ट आपके मल या स्टूल में फैट की मात्रा को मापता है। आपके मल में वसा डॉक्टर को इस बात की जानकारी देती है कि पाचन के दौरान आपका शरीर कितना फैट अवशोषित करता है। कई मामलों में मल की स्थिरता और गंध में परिवर्तन यह बताता है कि आपका शरीर जिस हिसाब का है, उसके मुकाबले उतना अवशोषित करने में सक्षम नहीं है। फेकल फैट टेस्टिंग आमतौर पर 24 घंटे तक चलती है, लेकिन कभी-कभी यह 72 घंटे तक चल सकती है। परीक्षण अवधि के दौरान, व्यक्ति के मल का विशेष तरीके से टेस्ट किया जाता है। ताकि इस बात की सही जानकारी मिल सके कि आपके शरीर के किस हिस्से में फैट जमा हुआ है।

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फेकल फैट टेस्ट का उद्देश्य

फेकल फैट टेस्ट करवाने का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति का पाचन- तंत्र ठीक तरीके से काम कर रहा है या नहीं, इसका पता लगाना होता है। यह टेस्ट मुख्य रूप से पित्ताशय में पित्त ज्यादा उत्पादन होने, आंतों का सामान्य कामकाज और अग्नाशय में पाचन एंजाइमों का उत्पादन कम होने पर किया जाता है। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कि  पेट में दर्द, कब्ज, एसिडिटी, उल्टी और दस्त की समस्या ज्यादा होती हैं, उन्हें भी फेकल फैट टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है।

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अगर आपके शरीर में अचानक ज्यादा मोटापा हो गया है और आप भी फेकल फैट टेस्ट करवाने की सोच रहे हैं, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर से बिना सलाह के फेकल फैट टेस्ट न करवाएं। फेकल फैट टेस्ट एक लंबी प्रक्रिया है। कई बार आपको यह टेस्ट करवाने से पहले कई दिनों तक हाई प्रोटीन और हाई फैट डाइट लेने के लिए कहा जा सकता है।

All Image Credit: Freepik.com

 

 

 

 

 

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