Early Signs of bladder cancer: मूत्राशय (Bladder) हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका मुख्य कार्य मूत्र (पेशाब) को संग्रहित करना होता है। यह एक पेशीय थैली होती है जो किडनी से आने वाले मूत्र को एकत्रित करती है और फिर इसे शरीर से बाहर निकालती है। लेकिन जब इसमें असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो यह मूत्राशय कैंसर (Bladder Cancer) का रूप ले सकती हैं। यूं तो भारत में मूत्राशय कैंसर के मामले बहुत ही कम देखें जाते हैं। लेकिन यह पुरुषों में होने वाले कैंसर में एक प्रमुख स्थान रखता है।
खास बात यह है कि इसके शुरुआती लक्षण बेहद मामूली और अनदेखा किए जाने वाले हो सकते हैं, लेकिन समय रहते पहचान और इलाज से इस कैंसर को रोका जा सकता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं मूत्राशय कैंसर के पहले लक्षण के बारे में। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. पूजा बब्बर से बात की।
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मूत्राशय कैंसर क्या होता है?
डॉ. बब्बर का कहना है कि किसी भी पुरुष को मूत्राशय कैंसर तब होता है जब मूत्राशय की अंदरूनी परत की कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं। अधिकतर मामलों में यह यूरोथेलियल कार्सिनोमा (Urothelial carcinoma) नामक प्रकार का होता है, जो मूत्राशय की लाइनिंग से ये पैदा होता है। समय के साथ ये कैंसर धीरे-धीरे शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।
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मूत्राशय कैंसर का पहला संकेत क्या होता है?
ऑन्कोलॉजिस्ट बताती हैं कि मूत्राशय कैंसर का पहला संकेत है पेशाब में खून आना। अगर किसी व्यक्ति को पेशाब करते समय ब्लीडिंग की परेशानी हो रही है या पेशाब का रंग गुलाबी, नारंगी या गहरा लाल हो रहा है, तो ये मूत्राशय कैंसर का पहला संकेत होता है। कुछ मामलों में पुरुषों को बहुत ही कम समय में बार-बार पेशाब आने की परेशानी भी देखी जाती है। लेकिन पेशाब में खून नहीं आता है, तो भी उन्हें डॉक्टर से जांच कराना चाहिए। क्योंकि मूत्राशय कैंसर के कुछ मामलों में पेशाब में खून की समस्या नहीं देखी जाती है।
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किन्हें मूत्राशय का खतरा ज्यादा है-
डॉक्टर के अनुसार, 50 साल की उम्र के बाद ज्यादातर पुरुषों को मूत्राशय कैंसर का खतरा रहता है। बढ़ती उम्र के अलावा और भी कई लोग हैं, जिन्हें मूत्राशय का कैंसर खतरा ज्यादा होता है। आइए आगे जानते हैं इसके बारे में।
- धूम्रपान कैंसर का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है। तंबाकू में मौजूद केमिकल्स जब शरीर के द्वारा फिल्टर होकर पेशाब के रास्ते में जाते हैं, तो मूत्राशय कैंसर का खतरा बढ़ता है।
- बार-बार यूटीआई होना, मूत्राशय में स्टोन होना या मूत्र रुककर आना भी मूत्राशय कैंसर के खतरे को कई गुणा बढ़ाता है।
- प्लास्टिक, रबर, रंग, और चमड़े के कारखानों में काम करने वाले लोगों में मूत्राशय कैंसर के मामले ज्यादा देखें जाते हैं। दरअसल, इन कारखानों में केमिकल्स का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जाता है, जो मूत्राशय कैंसर समेत विभिन्न प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ावा देते हैं।
- अगर किसी व्यक्ति के परिवार में मूत्राशय कैंसर का इतिहास रहा है, तो ये आने वाली पीढ़ियों में कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
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मूत्राशय कैंसर में क्या करें
मूत्राशय कैंसर के लक्षणों का अनुभव होते ही डॉक्टर की सलाह पर इलाज करवाएं। डॉक्टर का कहना है कि मूत्राशय या किसी भी अन्य प्रकार के कैंसर में बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं का सेवन बिल्कुल न करें।
- खाने में एंटीऑक्सीडेंट युक्त फल और सब्जियों को शामिल करें। एंटीऑक्सीडेंट मूत्राशय और अन्य प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करते हैं।
- रोजाना दिन में 2 से 3 लीटर पानी जरूर पिएं। पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और मूत्राशय अच्छे से साफ होता है।
मूत्राशय कैंसर में क्या ना करें
अगर आपको पेशाब के दौरान खून या फिर किसी भी प्रकार का लालपन नजर आ रहा है, तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।
कैंसर के लक्षणों का एहसास होने के बाद बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं का सेवन बिल्कुल न करें।
तंबाकू , बीड़ी-सिगरेट और शराब के सेवन पूरी तरह से दूरी बनाकर ही रखें। शराब और सिगरेट सिर्फ मूत्राशय ही नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ाती हैं।
निष्कर्ष
मूत्राशय कैंसर एक गंभीर लेकिन समय रहते पहचान और इलाज से नियंत्रित होने बीमारी है। डॉक्टर के साथ बातचीत के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि मूत्राशय कैंसर का पहला संकेत पेशाब में खून आना है। लेकिन अक्सर लोग मामूली समझकर टाल देते हैं, लेकिन यही लापरवाही आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए मूत्राशय कैंसर के प्रति सचेत रहें।
FAQ
मूत्राशय कैंसर किन लोगों को होता है?
ज्यादातर 55 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को इसका खतरा अधिक होता है। इसके अलावा सिगरेट और शराब का सेवन करने वाले लोगों को भी मूत्राशय कैंसर का खतरा रहता है।मूत्राशय कैंसर की पहचान कैसे होती है?
पेशाब की जांच, यूरिन साइटोलॉजी, सिस्टोस्कोपी, सीटी स्कैन और बायोप्सी जैसे मेडिकल टेस्ट की पहचान की जाती है। जिन लोगों को पेशाब के दौरान खून आता है, उन्हें मूत्राशय कैंसर का पता लगाने के लिए ऊपर बताए गए मेडिकल टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।क्या मूत्राशय कैंसर का इलाज संभव है?
हां, अगर समय रहते मूत्राशय कैंसर का पता चल जाए तो सर्जरी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और रेडिएशन से इसका इलाज किया जा सकता है।