मानसून में बढ़ जाता है डायपर रैशेज का खतरा, इन 4 तरीकों से बेबी की स्किन को रखें हेल्दी

पहली बार पेरेंट्स बनाने वालों को इस बात की जानकारी ही नहीं होती है कि मानसून में बच्चों को डायपर रैशेज होने का कारण क्या है। किसी भी बीमारी का इलाज तब किया जाता है जब उसके कारणों का पता हो।
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मानसून में बढ़ जाता है डायपर रैशेज का खतरा, इन 4 तरीकों से बेबी की स्किन को रखें हेल्दी


आजकल पेरेंट्स अपनी सुविधा के लिए शिशु को लंबे समय तक डायपर पहनाकर रखते हैं। डायपर पहनने की वजह से शिशु को प्राइवेट पार्ट में खुजली, रैशेज और जलन की समस्या होती है। विशेषकर मानसून के मौसम में डायपर रैशेज की समस्या ज्यादा होती है। इसका मुख्य कारण है हवा में नमी और बैक्टीरिया का ज्यादा होना। मानसून में अगर आपका शिशु भी डायपर रैशेज की समस्या से जूझ रहा है तो हम आपको इस लेख में इससे राहत पाने के उपाय बताने जा रहे हैं। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने सिकंदराबाद स्थित यशोदा हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन डॉ. चेतन मुंदडा से बात की।

डायपर रैश का क्या कारण है?- What Causes Diaper Rash in hindi

सिकंदराबाद स्थित यशोदा हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन डॉ. चेतन मुंदडा के अनुसार, पहली बार पेरेंट्स बनाने वालों को इस बात की जानकारी ही नहीं होती है कि मानसून में बच्चों को डायपर रैशेज होने का कारण क्या है। किसी भी बीमारी का इलाज तब किया जाता है जब उसके कारणों का पता हो। इसलिए मानसून में डायपर रैशेज क्यों होते हैं इसका कारण पता करना ज्यादा जरूरी है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

  • गीली, नम त्वचा होने के कारण स्किन की बाहरी परत डैमेज हो जाती है और त्वचा पर चकत्ते आ जाते हैं। 
  • इस मौसम में हवा में नमी ज्यादा होती है। ऐसे में जब शिशु को डायपर पहनाया जाता है तो पसीना ज्यादा आता है और इसकी वजह से रैशेज की समस्या होती है।
  • डायपर के कारण शिशु को पसीना और ह्यूमिडिटेशन की समस्या ज्यादा होती है। इसकी वजह से त्वचा पर चकत्ते और लालिमा की समस्या हो सकती है।
  • बच्चों को मूत्र में संक्रमण के कारण भी डायपर रैशेज की समस्या होती है।

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मानसून में डायपर रैशेज से बचाव के तरीके - Ways to Prevent Diaper Rashes in Monsoon

डॉक्टर का कहना है कि मानसून में शिशु को डायपर रैशेज की समस्या होना बहुत ही आम बात है। लेकिन कुछ टिप्स को अपनाकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है।

1. प्राइवेट पार्ट को साफ रखें

शिशु के डायपर को बदलते समय प्राइवेट पार्ट को हमेशा पहले गीले कपड़े से पोंछकर साफ करें। गीले कपड़े से निजी क्षेत्रों को साफ करने से बैक्टीरिया और इंफेक्शन वाले कीटाणुओं को खत्म करने में मदद मिलती है। इसके बाद प्राइवेट पार्ट को सूख कपड़े से साफ करें। अगर संभव हो तो प्राइवेट पार्ट को डायपर बदलने से पहले 10 मिनट खुला रखें। ताकि वह सही तरीके से सूख जाए, तो रैशेज का खतरा कम हो।

2. ज्यादा सोखने वाला डायपर इस्तेमाल करें

यूं तो पेरेंट्स अपने शिशु के लिए सब कुछ अच्छा ही चुनते हैं, लेकिन डायपर के मामले अक्सर गलती कर जाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून या किसी भी सीजन में डायपर रैशेज से बचने के लिए ज्यादा सोखने वाले डायपर का इस्तेमाल करना चाहिए। ज्यादा सोखने वाले डायपर को बार-बार बदलने की जरूरत नहीं होती है। 

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3. 4 से 5 घंटे पर डायपर बदलें

डॉक्टर के अनुसार, सही समय पर डायपर बदलने से नम डायपर में बैक्टीरियल और यीस्ट बनने से रोका जा सकता है। लंबे समय तक गीले डायपर के त्वचा पर रगड़ने से होने वाले घर्षण के कारण भी रैशेज होते हैं। इसलिए हर 3 से 4 घंटे पर डायपर को बदलना जरूरी है।

4. डायपर बदलने के बीच में सफाई करें

एलर्जी और त्वचा के संक्रमण को एक ही बार में रोकने के लिए डायपर को बदलते समय सफाई जरूर करें। अगर आपको ऐसा लगता है कि डायपर की रगड़ के कारण रैशेज हो रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर तेल या पाउडर का इस्तेमाल करें। आप चाहें तो रैशेज खत्म करने के लिए क्रीम या लोशन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

All Image Credit: Freepik.com

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