टेंशन, खाने में आयोडीन की कमी, दवाओं के साइड इफेक्ट या कई बार बहुत ज्यादा आयोडीन खाने जैसे छोटे-छोटे कारण थायराइड नामक गंभीर बीमारी का कारण बनते हैं। इसके अलावा अगर परिवार में किसी को पहले से थायराइड की समस्या है तो भी इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है। पुरूषों से ज्यादा महिलाएं इस रोग का शिकार होती हैं। जिसकी वजह से कई तरह की दूसरी बीमारियों के होने का भी खतरा बना रहता है। थायराइड को साइलेंट किलर बीमारी माना जाता है क्योंकि ये व्यक्ति को बहुत धीरे-धीरे प्रभावित करती है। आयुर्वेद में थायराइड का इलाज उपलब्ध है। हालांकि आयुर्वेद में दवा के अलावा खानपान, परहेज आदि का भी ख्याल रखना पड़ता है। आइए आपको बताते हैं थायराइड का आयुर्वेदिक इलाज।
थायराइड ठीक करने के आयुर्वेदिक उपाय
1. इसमें हम शिग्रु पत्र, कचनार, पुनर्नवा के काढ़ों का प्रयोग कर सकते हैं। काढ़ों का प्रयोग करने के लिए हमें 30 से 50 मिली काढ़ा खाली पेट लेना चाहिए।
2. जलकुंभी, अश्वगंधा या विभीतकी का पेस्ट ग्वाटर के ऊपर लगाएं। पेस्ट को तब तक लगाना है जब तक की सूजन कम न हो जाए। रोग से पीड़ित इन्हीं पौधों के स्वरस का प्रयोग भी कर सकते हैं।
3. अलसी के 1 चम्मच चूर्ण का प्रयोग इस बीमारी में कर सकते हैं।
4. इस बीमारी में नारियल के तेल का प्रयोग भी कर सकते हैं । 1 से 2 चम्मच नारियल का तेल गुनगुने दूध के साथ में खाली पेट सुबह-शाम लेने से भी इस रोग में फायदा होता है।
5. इस बीमारी में विभीतिका का चूर्ण, अश्वगंधा का चूर्ण और पुश्करबून का चूर्ण भी 3 ग्राम शहद के साथ में या गुनगुने पानी के साथ में दिन में दो बार प्रयोग कर सकते हैं।
6. इस बीमारी में धनिये का पानी पी सकते हैं। धनिये के पानी को बनाने के लिए शाम को तांबे के बर्तन में पानी लेकर उसमें 1 से 2 चम्मच धनिये को भिगो दें और सुबह इसे अच्छी तरह से मसल कर छान कर धीरे-धीरे पीने से फायदा होगा।
7. इस बीमारी में पंचकर्मा की क्रियाएं जिसमें शिरो अभ्यंगम, पाद अभ्यंगम, शिरोधारा, वस्ति, विरेचन, उद्वर्तन और गले के क्षेत्र या थायराइड ग्रंथि पर हम धारा कर सकते हैं। इसमें नस्यम को हम घर पर कर सकते हैं। नस्यम करने के लिए गाय के घी को दो-दो बूंद पिघला के हम नाक में डालने से इस बीमारी में लाभ मिलता है।
थायराइड में क्या करें
1. इन रोगियों को नियमित रूप से 1 गिलास दूध का सेवन करना चाहिए। इन रोगियों को अगर फल खाने हैं तो आम, शहतूत, तरबूज़ और खरबूज का सेवन कर सकते हैं।
2. खाने में दालचीनी, अदरक, लहसुन, सफेद प्याज, थाइम और स्ट्रॉबेरी की पत्तियों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए। इन रोगियों को खाना पकाने के लिए नारियल तेल का प्रयोग करना चाहिए। इन रोगियों को लघु और सुपाच्य भोजन करना चाहिए, खिचड़ी का प्रयोग कर सकते हैं।
3. ऐसे रोगियों को सुबह 10 से 15 मिनट गुनगुनी धूप भी लेनी चाहिए। इस बीमारी में खासौतर से सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन, मत्स्यासन, नौकासन का प्रयोग कर सकते हैं और प्रायाणाम में अनुलोम-विलोम और उज्जायी का प्रयोग करें।
थायराइड में क्या न करें
1. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को खाने में उन चीज़ों का परहेज करना चाहिए जिसे पचाने में परेशानी होती हो।
2. बहुत ज़्यादा ठंडे, खुष्क पदार्थो का सेवन नहीं करना है।
3. बहुत ज़्यादा मिर्च-मसालेदार, तैलीय, खट्टे पदार्थों का प्रयोग नहीं करना है।
4. दही का प्रयोग नहीं करना है।
5. बासी खाद्य-पदार्थ या जिनमें एडेड शुगर है उनका प्रयोग नहीं करना है।
6. इस बीमारी में हमें पालक, शकरकंदी, बंदगोभी, फूलगोभी, मूली, शलजम, मक्का, सोया, रेड मीट, कैफ़ीन और रिफाइंड ऑयल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
7. बहुत ज़्यादा शारीरिक परिश्रम नहीं करना चाहिए और बहुत ज़्यादा यौन क्रिया में सम्मिलत नहीं होना चाहिए।
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