बदलते मौसम में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से हो सकता है सफेद दाग: एक्‍सपर्ट टिप्‍स

विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) जिसे सफेद दाग भी कहा जाता है भारत वर्ष में तेजी से फैल रहा त्वचा रोग है। एक शोध के अनुसार विश्व में विटिलिगो (सफेद दाग) से प्रभावित लोगों की संख्या लगभग दो प्रतिशत है। लेकिन भारत में इस लगभग 5-6 प्रतिशत लोग विटिलिगो (सफेद दाग) से पीड़ित हैं। 
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बदलते मौसम में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से हो सकता है सफेद दाग: एक्‍सपर्ट टिप्‍स


मौसम में बदलाव अपने साथ अनेक प्रकार के त्वचा रोग भी लेकर आता है। खासकर सर्दियों का मौसम शुरू होते ही त्वचा रूखी और बेजान होने लगती है। चेहरे की रौनक न जाने कहां उड़ जाती है और हाथ-पैर फटने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में हम विभिन्न प्रकार की क्रीम और लोशन लगाने के साथ घरेलू उपाय भी करते हैं। किंतु त्वचा के रूखे और बेजान होने के बाद उसे बाहर से सुंदर बनाने की बजाये हमें त्वचा का उपचार अंदर से करना चाहिये अर्थात हमें त्वचा को वो तत्व प्रदान करने चाहियें जो त्वचा को सुंदर और खिला-खिला बनाये रखे। इसके लिये बेहद जरूरी है शरीर को आवश्यक मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम प्रदान करना।

त्वचा के लिये बेहद महत्वपूर्ण इन दोनों तत्वों की कमी के कारण विभिन्न प्रकार के त्वचा रोग जन्म लेते हैं। वहीं कैल्शियम की कमी से विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) जिसे बोलचाल की भाषा में सफेद दाग भी कहा जाता है, त्वचा पर हावी होने लगता है। कुदरती आयुर्वेद के संस्‍थापक मोहम्मद यूसुफ एन शेख से इस लेख में हम जानेंगे क्यों त्वचा के लिये महत्वपूर्ण हैं विटामिन डी और कैल्शियम, क्यों होती है शरीर में इनकी कमी और किन माध्यमों से प्राप्त कर सकते हैं इन दोनों तत्वों को...

 

त्वचा के सौंदर्य के लिये आवश्यक हैं विटामिन डी और कैल्शियम

सुंदर और आकर्षक दिखना हर किसी की चाहत होती है और इसके लिये त्वचा का स्वस्थ होना आवश्यक है। इसके लिये हम विभिन्न प्रकार के उपाय भी करते हैं। किंतु मौसम में बदलाव आते ही हमारे सभी प्रयास नाकाम होने लगते हैं। खासकर सर्दियों का मौसम त्वचा के सौंदर्य पर भारी पड़ता है और त्वचा रूखी औरबेजान होने लगती है। सर्दियों के मौसम में त्वचा में मौजूद छिद्र सिकुड़ने लगते हैं जिसके कारण शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर नहीं निकल पाते। वहीं लोग ठंड के चलते उचित प्रकार से स्नान या त्वचा की सफाई भी नहीं कर पाते।

ऐसे में त्वचा के ऊपर और अंदर मौजूद विषैले तत्व दाद, खाज, खुजली, एक्जिमा जैसी समस्याओं को जन्म देते हैं। सर्दिंयों के मौसम में अधिकतर लोग जहां हम व्यायाम नहीं करते वहीं अन्य मौसमों के मुकाबले सर्दियों के मौसम में हम अधिक मात्रा में तला-भूना भोजन करते हैं। जिससे हमारे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व खासकर विटामिन डी और कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता जिससे हमारी त्वचा को और अधिक नुकसान पहुंचाता है। त्वचा संबंधी रोगों और त्वचा के सौंदर्य को बरकरार रखने के लिये आवश्यक है कि हम शरीर में आवश्यक मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम बनाये रखें।

दरअसल विटामिन डी हमारी त्वचा को पर्याप्त पोषण प्रदान करते हुए उसे स्वस्थ और चमकदार बनाये रखता है। वहीं विटामिन डी त्वचा की नमी को बरकरार रखते हुए उसे रूखा और बेजान होने से भी रोकता है। कैल्शियम हमारे शरीर के साथ त्वचा के स्वस्थ बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कैल्शियम की कमी के कारण विभिन्न त्वचा रोग शरीर पर हावी होने लगते हैं। 

सौंदर्य को प्रभावित करता है विटिलिगो (सफेद दाग)

विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) जिसे सफेद दाग भी कहा जाता है भारत वर्ष में तेजी से फैल रहा त्वचा रोग है। एक शोध के अनुसार विश्व में विटिलिगो (सफेद दाग) से प्रभावित लोगों की संख्या लगभग दो प्रतिशत है। लेकिन भारत में इस लगभग 5-6 प्रतिशत लोग विटिलिगो (सफेद दाग) से पीड़ित हैं। लेकिन राजस्थान और गुजरात के कुछ भागों में यह रोग लगभग 8 प्रतिशत के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। आम तौर पर इन सफेद दागों पर किसी भी प्रकार की खुजली या दर्द नहीं होता लेकिन यह देखने में काफी बुरे लगते हैं जिससे शरीर का सौंदर्य प्रभावित होता है। वहीं सामाजिक भ्रांतियों के कारण लोग इसे कुष्ठ रोग भी मान लेते हैं।

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इस रोग का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि सफेद दाग से पीड़ित व्यक्ति खुद को उपेक्षित महसूस करने लगता है। डिप्रेशन का शिकार होकर कई मरीज अपना उपचार भी नहीं कराते जिसके कारण यह समस्या बढ़ती जाती है। इस रोग के आधे से ज्यादा मरीज 20 साल आयु होने से पहले और लगभग 95 प्रतिशत लोग 40 वर्ष आयु होने से पहले सफेद दाग की समस्या का सामना करने लगते हैं। सफेद दाग होने के विभिन्न कारण बताये जाते हैं लेकिन शरीर में कैल्शियम की कमी होना एक महत्वपूर्ण कारण है। कैल्शियम शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के साथ प्रतिरोधक क्षमता और त्वचा रोगों से मुकाबला करने की क्षमता में भी वृद्धि करता है। एक शोध के अनुसार जिन देशों-क्षेत्रों में लोग पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम ग्रहण करते हैं वहां विटिलिगो (सफेद दाग) से पीड़ित रोगियों की संख्या काफी कम होती है। 

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कैसे प्राप्त करें विटामिन डी और कैल्शियम

विटामिन डी प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका दिन में कुछ समय सूरज की किरणों के बीच गुजारना है। हमारे शरीर की खुली त्वचा सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों को अवशोषित कर विटामिन डी का निर्माण करती हैं। शरीर के अधिकतर भाग को खुला रख कर धूप में बैठने से विटामिन डी की पूर्ति होने के साथ त्वचा रोगों से भी मुक्ति मिलती है। वहीं दूध, अंडा, चिकन, कॉड लीवर ऑयल और साल्मन, ट्यूना, मैकेरल और सार्डिन जैसी मछलियां भी विटामिन डी का अच्छा स्रोत हैं। संतरा और गाजर भी विटामिन डी प्रदान करते हैं। वहीं दूध व दूध से बने खाद्य पदार्थ, गेहूं, बाजरा, मूंग, मोठ, चना, राजमा और सोयाबीन जैसे अनाज, अरबी, मूली, मेथी, करेला, टमाटर, ककड़ी, गाजर, भिंडी, और चुकंदर जैसी सब्जियों का सेवन करने से भी कैल्शियम की कमी दूर होती है। अन्नानास, आम, संतरा और नारियल जैसे फल भी शरीर को कैल्शियम प्रदान करते हैं। 

विटामिन डी और कैल्शियम एक-दूसरे के पूरक हैं इसलिये इन दोनों की संतुलित मात्रा शरीर में बनाये रखना बेहद आवश्यक है। इनके पोषण के लिये नियमित तौर पर शारीरिक श्रम करना भी आवश्यक है ताकि शरीर इन दोनों तत्वों को पचा कर संरक्षित कर सके। 

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