
विटामिन डी (Vitamin D), को लेकर आपने एक कहावत सुनी होगी कि कभी-कभी थोड़ी सी धूप भी सबसे अच्छी दवा होती है। जी हां, ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन डी आपको सुबह की पहली धूप से मिल सकती है। दरअसल, विटामिन डी की हमारे शरीर में एक प्रमुख भूमिका है। ये सिर्फ हड्डियों को स्वस्थ नहीं बनाती बल्कि मूड स्विंग्स को भी कंट्रोल करने में मदद करती है। साथ ही डिप्रेशन जैसी कई मानसिक बीमारियों से भी बचाव में मदद करती है। पर महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बाकी लोगों की तुलना में विटामिन डी की एक खास भूमिका है। जी हां ये होर्मेनल हेल्थ को संतुलित रखने से लेकर कैंसर तक के बचाव में मदद करती है। साथ ही एक उम्र के बाद विटामिन डी हृदय रोग, शरीर में सूजन सहित कई पुरानी बीमारियों को रोकने में मदद करती है। महिलाओं के लिए विटामिन डी के ऐसे ही तमाम फायदे के बारे में जानने के लिए हमने GOQii कोच डॉ वंदना जुनेजा (Dr. Vandana Juneja) से बात की।
महिलाओं के लिए विटामिन डी-Vitamin d benefits for women
विटामिन डी की कमी वाले लोगों में बढ़ती हुई उम्र के साथ दिल का दौड़ा पड़ने का खतरा बढ़ता जाता है। साथ ही कुछ महिलाओं में ये डायबिटीज का भी कारण बनता है। दरअसल, विटामिन डी का महिलाओं के हार्मोनल हेल्थ पर गहरा असर होता है। इसकी कमी से हार्मेनल असंतुलन होता है और भूख और क्रेविंग भी बढ़ती है जो कि मोटापा और डायबिटीज का कारण बनता है। साथ ही गर्भवती महिलाओं में, विटामिन डी का कम होना प्री-एक्लेमप्सिया, गेस्टेशनल डायबिटीज और गर्भावस्था के अन्य नुकसानों का कारण बनता है। इसके अलावा विटामिन डी की कमी से लोगों को पिगमेंटेशन की भी समस्या होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन डी वसा में घुलनशील होता है, इसलिए यह वसायुक्त ऊतकों में फंस जाता है और शरीर द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जा सकता जिससे त्वचा का रंग गहरा होता जाता है।
महिलाओं के लिए विटामिन डी के फायदे-Vitamin D benefits for women's health in hindi
डॉ वंदना जुनेजा (Dr. Vandana Juneja) कहती हैं कि विटामिन डी (Vitamin D) जिसे सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है, महिलाओं के स्वास्थ्य में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल के अध्ययनों ने विटामिन डी की कमी को हृदय रोग, कैंसर, सूजन और ऑटोइम्यून बीमारियों सहित कई पुरानी बीमारियों से भी जोड़ा कर देखा गया है। महिलाओं में इसे लेने के कुछ बड़े फायदे नजर आते हैं। जैसे कि
1. हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है
हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए विटामिन डी बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका कैल्शियम और फास्फोरस के स्तर पर प्रभाव पड़ता है। आंतों में कैल्शियम को उत्तेजित करने और अवशोषित करने और हड्डियों तक पहुंचाने में विटामिन डी की बड़ी भूमिका होती है। महिलाओं में इस विटामिन की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर हो सकता है। इसके साथ ही इसकी कमी से महिलाएं कई बार गठिया जैसी बीमारियों की शिकायत करती हैं। इसके अलावा कई बार ये ऑस्टियोमलेशिया या हड्डियों के नरम होने का भी कारण बनता है। ऑस्टियोमलेशिया होने पर हड्डियों का घनत्व कम होता है और मांसपेशियों में कमजोरी आती है। इसलिए हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी का सेवन फायदेमंद है।
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2. मांसपेशियों की कमजोरी को कम करता है
विटामिन डी मांसपेशियों की कमजोरी को कम करने में मदद करता है। विटामिन डी की कमी के लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द और थकान महसूस होती है। साथ ही जिन लोगों में विटामिन डी का स्तर कम होता है उन्हें अक्सर जोड़ों का दर्द होता है। ये मांसपेशियों में अकड़न का कारण भी बनता था। कई बार ये प्लांटर फेसलेटिस के दर्द का भी कारण बनता है। इसके अलावा जिन महिलाओं में विटामिन डी की कमी होती है उनमें गिरने और फ्रैक्चर होने के बाद घाव जल्दी ठीक नहीं हो पाता है। ऐसे में चोट से बचने, हड्डियों के चटकने और घावों को ठीक करने के लिए विटामिन डी बेहद जरूरी है।
3. गर्भावस्था में फायदेमंद
प्रेग्नेंसी में विटामिन डी का सेवन सिर्फ गर्भवती मां के लिए ही फायदेमंद नहीं है बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए जरूरी है। दरअसल, विटामिन डी कैल्शियम और फॉस्फेट की सही मात्रा को अवशोषित करने में मदद करता है। यह गर्भावस्था में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपके बच्चे की हड्डियों, दांतों, गुर्दे, हृदय और तंत्रिका तंत्र को विकसित करने में मदद करता है। सभी महिलाओं को स्तनपान करवाने के दौरान प्रतिदिन 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी की खुराक लेनी चाहिए ताकि बच्चे के विटामिन डी मिल सके। पर एक दिन में 100 माइक्रोग्राम से अधिक विटामिन डी न लें क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है।
4. इम्यूनिटी बढ़ाता है
विटामिन डी इम्यूनिटी बढ़ाता है और दिमाग को तेज करने में मदद करता है। दरअसल, कुछ अध्ययनों की मानें तो विटामिन डी के सेवन से महिलाएं गर्भावस्था के दौरान फ्लू से बची रह सकती हैं। दरअसल, विटामिन डी इन्फ्लूएंजा वायरस के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव दिखाता है। यह हमारे इम्यून सेल्स के विकास और कार्य दोनों को बढ़ावा देता है। इसके अलावा मल्टीपल स्केलेरोसिस जो कि एक ऑटोइम्यून बीमारी है और महिलाओं को ज्यादा होता है। इस बीमारी से भी विटामिन डी का सेवन आपको बचाता है।
5. हार्मोनल हेल्थ को बैलेंस रखता है
विटामिन डी की कमी से एस्ट्रोजन का स्तर कम हो सकता है, जिससे अवसाद, हॉट फ्लैशेज और मूड स्विंग्स आदि होता है। दरअसल, विटामिन डी वास्तव में एक हार्मोन है जो आपके अन्य हार्मोन के साथ संचार करता है, जिससे यह हार्मोन संतुलन में मदद करने के लिए विशेष रूप से काम करता है। इसलिए, सुनिश्चित करें कि आपको हार्मोनल उतार-चढ़ाव को कम करने और रोकने के लिए पर्याप्त विटामिन डी 2 और डी 3 का सेवन करें।
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विटामिन-डी से भरपूर फूड्स- Vitamin D foods
-मछली जैसे टूना, मैकेरल और सैल्मन
-संतरा और संतरे का जूस
-सोया दूध
- पनीर
-अंडे
-मशरूम
-गाय का दूध
-कुछ प्रकार के दही
-टोफू
कई लोगों के लिए, पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी न मिल पाने पर उन्हें इसका सप्लीमेंट भी लेना पड़ सकता है। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए और इसे पर्याप्त में और सही तरीके से लेने के बारे में सोचना चाहिए। इसके अलावा विटामिन डी को लेने के लिए आपको हर दिन सुबह की पहली धूप में वॉक, एक्सरसाइज या फिर योग करना चाहिए। कोशिश करें कि जितना हो सके उतना नेचुरल तरीके से विटामिन डी मिलें। क्योंकि सप्लीमेंट्स के नुकसान हो सकते हैं पर नेचुरल चीजों के नुकसान नहीं होते।
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