
वर्तमान समय में खानपान में हो रहे बदलावों के साथ लोगों की लाइफस्टाइल भी बिगड़ रही है, जिसका बुरा असर स्वास्थ्य पर हो रहा है। खासकर, महिलाओं का स्वास्थ्य सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। बीते कुछ सालों में महिलाओं में इंफर्टिलिटी की समस्या बढ़ी है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि सिगरेट और शराब का सेवन, सोने और जागने का समय निर्धारित नहीं होना, जंक और ऑयली फूड्स का सेवन, तनाव और इनएक्टिव लाइफस्टाइल शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में होने वाले तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) के इंबैलेंस के कारण ही ज्यादातर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। महिलाओं में वात दोष के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से बात की है।
वात दोष क्या है?
वात दोष आयुर्वेद के तीन प्रमुख दोषों में से एक है, वात दोष हवा और आकाश तत्वों से बना होता है। यह शरीर में सांस लेना, ब्लड फ्लो और तंत्रिका तंत्र के कार्यों को सुचारू रखने में सहायक होता है। जब महिलाओं के शरीर में वात दोष असंतुलित होता है, तो यह अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
वात दोष के कारण महिलाओं में हो सकती हैं ये समस्याएं
1. अनियमित पीरियड्स - Irregular Periods
वात दोष असंतुलन के कारण महिलाओं की माहवारी अनियमित हो सकती है। इसमें माहवारी का समय निर्धारित न होना और ज्यादा या कम ब्लीडिंग होना शामिल है। अगर महिलाओं को लंबे समय तक ऐसी समस्या रहती है तो उन्हें शरीर में वात को बैलेंस करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
इसे भी पढ़ें: त्वचा की कई समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं शिरीष के फूल, आयुर्वेद के अनुसार इन 2 तरीकों से करें इस्तेमाल
2. माहवारी में देरी - Delayed Periods
महिलाओं के शरीर में वात दोष के कारण हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या हो सकती है, जिससे महिलाओं में पीरियड्स देर से आने की दिकक्त शुरू हो सकती है। लंबे समय तक इस समस्या को इग्नोर करने से सेहत को नुकसान होता है।
3. ओवुलेशन में देरी - Delayed Ovulation
महिलाओं के शरीर में वात दोष बिगड़ने से ओवुलेशन प्रक्रिया में देरी की समस्या हो सकती है, जिससे महिलाओं में प्रजनन संबंधित समस्याएं (Fertility related problems) उत्पन्न हो सकती हैं।
इसे भी पढ़ें: Vata Dosha: मानसून में वात दोष क्यों बढ़ जाता है? जानें इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
4. एंडोमेट्रियोसिस - Endometriosis
आजकल महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस की समस्या काफी देखने को मिल रही है, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय के बाहर ऊतकों का विकास होता है। एंडोमेट्रियोसिस की समस्या वात दोष के असंतुलन के कारण बढ़ सकती है। एंडोमेट्रियोसिस की समस्या में महिला की ओवरी में सिस्ट भी बन सकती है, जिससे अंडो की क्वालिटी खराब हो सकती है।
वात दोष को संतुलित करने के आयुर्वेदिक उपाय
1. महिलाओं को शरीर में वात दोष को संतुलित करने के लिए पौष्टिक और गर्म तासीर के फूड्स का सेवन मौसम के मुताबिक करना चाहिए। इसके अलावा, ताजे फल, हरी सब्जियां, घी, दूध के साथ-साथ अदरक, हल्दी और दालचीनी का सेवन करना भी लाभदायक हो सकता है।
2. शरीर में वात दोष को बैलेंस करने के लिए महिलाओं को नियमित योग और प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। इसके लिए आप वज्रासन, भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं।
3. तिल के तेल या बादाम के तेल से नियमित रूप से मालिश करना भी वात दोष को संतुलित करता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिसका असर स्वास्थ्य पर पड़ता है।
4. औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी और अश्वगंधा का सेवन वात दोष को संतुलित करने में सहायक होता है। ये हर्ब्स तनाव को कम करती हैं और हार्मोंस को बैलेंस रखती हैं।
5. सोने और जागने का समय निर्धारित करें, समय पर भोजन करें और नियमित रूप से कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें, ऐसा करने से वात दोष बैलेंस हो सकता है।
All Images Credit- Freepik
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version