
लोहड़ी और मकरसंक्राति का त्यौहार भारत के कृषि प्रधान होने के उत्सव हैं और गांधीवादी नेता और आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिये 'जय जवान, जय किसान' के नारे को संदर्भित करते हैं। लेकिन क्या वाकई इस देश में जवान और किसान के हालत बेहतर हैं? शायद नहीं... कारण कोई भी हो, वर्तमान स्थिति गंभीर संकट दर्शाती है। जहां एक तरफ किसानों की सेहत और माली हालत जर्जर स्थिति में है, वहीं दूसरी ओर ताज़ा हालात साफ बताते हैं कि नकली कीटनाशकों का बढ़ता इस्तेमाल भारत में फसलों और मानव स्वास्थ्य के लिये बड़ा खतरा बना हुआ है। फिर क्या लोहड़ी और मकरसंक्राती का त्यौहार हम बस एक भ्रम में मना रहे हैं.... चलिये वास्तविकता पर एक नज़र डालें।
अनजानें में ज़हर छिड़क रहे हैं किसान
समाचार साइट रायटर्स की खबर के अनुसार अनजाने में ही भारतीय किसान अपने खेतों में नकली कीटनाशकों के छिड़काव कर रहे हैं, जिससे न सिर्फ मिट्टी दूषित हो रही है, बल्कि फसल की पैदावार गिर रही है। लेकिन ये 1.25 अरब जनसांख्या वाले हमारे देश की खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य दोनों को बड़े जोखिम पर रखे हुए है।

अधिकारियों का कहना है कि, वाइटफ्लाई (whitefly) नामक कीट के हमले व नकली कीटनाशकों का इस्तेमाल करने के कारण उत्तरी भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित (genetically modified, GM) कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ। अगर यह स्थिति अनियंत्रित रही तो मोटे तौर पर भारत की 26 अरब डोलर के वार्षिक कृषि निर्यात को नुकसान हो सकता है।
सरकार द्वारा समर्थित एक अध्ययन के अनुसार, 4 अरब के कीटनाशक बाजार में नकली काटनाशकों का बाजार 30 प्रतिशत तक है। छोटे शहरों में प्रभावशाली डीलर, भोले किसानों को ज्यादा मुनाफे वाले नकली उत्पाद बेचते हैं। पंजाब में भटिंडा क्षेत्र के किसान, हरबंस सिंह जिसकी तीन एकड़ (1.2 हेक्टेयर) जीएम कॉटन की फसल वाइटफ्लाई (whitefly) की वजह से बर्बाद हो गई के अनुसार, "हम अनपढ़ किसान हैं, हम बस विक्रेता से सलाह लेते हैं और फसल पर स्प्रे कर देते हैं।"
एस एन सिंह, जोकि फरीदाबाद में मौजूद भारत के शीर्ष कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशाला के प्रमुख हैं, कहते हैं कि किसान फसल पर कीट के हमले को देखते ही घबरा जाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप वे रसायनों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग करते हैं, ताकि कीट का प्रभाव कम हो जाए और मुनाफा बढ़ सके। सुशील की टीम ने वाइटफ्लाई फैलने के बाद पंजाब से आए 1,000 संदिग्ध कीटनाशकों के नमूने में से कुछ पर नकली लेबल लगे पाए। सुशील के अनुसार भारतीय अधिकारियों ने पिछले वित्त वर्ष में करीब 50,000 कीटनाशक के नमूने का परीक्षण किया, जिनमें से लगभग 3 प्रतिशत नकली थे। सुशील ने बताया कि हालांकि, सरकार निरीक्षण बढ़ रही है और इ स तरह के मामनों में 10 साल तक की जेल त क का प्रावधान है।
भारत में धड़ल्ले से बिकते हैं विदेशों में प्रतिबंधित जहरीले कीटनाशक
विदेशों में प्रतिबंधित जहरीले कीटनाशकों का भारत में खुला व्यापार चल रहा है। भारत में मोनोक्रोटोफॉस (monocrotophos), जिसे 2013 में बिहार में स्कूल में मुफ्त मिलने वाला दूषित लंच को खाकर 23 बच्चों की मृत्यु के लिये जिम्मेदार ठहराया गया था। इस त्रासदी ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने विकासशाल देशों को इस तरह के रसायनों को बाहर करने की सलाह दी थी।

एफएओ के भारतीय प्रतिनिधि, श्याम खडका के अनुसार "अत्यधिक कीटनाशकों का उपयोग कुछ समय से बड़ी चिंता का विषय बन गया है। और अब जैसा की इनके नकली होने का भी पता चल रहा है, यह एक अधिक चिंता का कारण है।" खडका ने कहा कि, कीटनाशकों का लंबे समय तक संपर्क अवसाद को जन्म दे सकता है, जोकि आत्महत्याओं का बड़ा कारण है। साथ ही कीटनाशक कैंसर का भी कारण बन सकते हैं। उत्पादन में कीटनाशकों के अवशेषों का पता चलने के बाद से हाल के वर्षों में यूरोपीय संघ और सऊदी अरब ने अस्थायी रूप से भारत से कुछ सब्जियों को खरीदना बंद कर दिया है।
तेजी से बढ़ रहा है नकली, ज़हरीले कीटनाशकों का बाज़ार
भारत की नकली कीटनाशक उद्योग प्रति वर्ष 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, जबकि इसके पूरा बाज़ार की बढ़त की दर 12 प्रतिशत है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) के सहायक महानिदेशक पी.के. चक्रबर्ती के अनुसार, "हमे पता है कि ये रैकेट चल रहा है, लेकिन ऐसा तभी पता चलता है, जब सक की बिनाह में लोगों का निरीक्षण करने के लिए जाते हैं।
चक्रबर्ती के अनुसार, अवैध रसायनों का आयात अच्छी सामग्री की आड़ में होता है। ऐसा भी अदेशा ही कि भारत से भी कुछ नकली कीटनाशकों का निर्यात किया जा रहा है, हालांकि इसका कोई सबूत अभी तक नहीं मिला है।

हालांकि, कुछ राज्यों ने उठाए सख़्त कदम
कर्नाटक राज्य के अधिकारियों के इस महीने "कोराजेन" (Korajen), जोकि ड्यूपॉन्ट कोराजेन (DuPont's Coragen) की एक अवैध कॉपी है और चावल कीटों को मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, के बड़े भंडार को जब्त किया। ड्यूपॉन्ट के अनुसार पुलिस इस तरह के अन्य मामलों की जांच कर रही है। पंजाब में भी नकली कीटनाशक निर्माताओं के खिलाफ पुलिस मामले दर्ज किये गए हैं, और जालसाजी वाले इन उत्पादों की बिक्री की इजाजत देने के लिए कृषि विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तार किया है।
इस तरह की जालसाजी के अलावा भारत जांच ना किये जाने वाले रसायनों, जोकि हर्बल कीटनाशक के रूप में पास हो जाते हैं, से जूझ रहा है। सरकार समर्थित अध्ययन के मुताबिक, भारत एक साल में होने वाले खाद्य उत्पादन का 4 प्रतिशत, या 10 लाख टन नकली कीटनाशकों के कारण खो देता है। 
Fact Source - reuters.com
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