हाल ही में आइ राधिका आप्टे की फिल्म 'फोबिया' ने लोगों के बीच में एक नए किस्म के डर के बारे में बहस छेड़ दी है। इस फिल्म में राधिका आप्टे एगोराफोबिया नाम की मानसिक बीमारी से ग्रस्त है जो अपने आसपास के माहौल में डरती है। इस मानिसक बीमारी से वो एक एक बार किसी टैक्सी से जाने के दौरान एक हादसे का शिकार होते-होते बचने के बाद से ग्रस्त होती है।
तब से इस फिल्म ने लोगों के बीच बहस छेड़ दी है कि कहीं हम भी इसी तरह की बीमारी से तो ग्रस्त नहीं होते जा रहे। राधिका उस हादसे के बाद लोगों से मिलने-जुलने से बैचेन हो उठती है। ऐसा हमारे साथ भी होता है जब हम कई बार लोगों से मिलने-जुलने के दौरान बेचैन हो जाते हैं और उस जगह से भाग जाने मन करता है। जब ये इच्छा ज्यादा होने लगती है तो वो फोबिया का रुप ले लेती है। आज इस लेख में हम इसी फोबिया के बारे में बात करेंगे।
एगोराफोबिया- बाहर की दुनिया का भय
- एगोराफोबिया एक मनोवैज्ञानिक बीमारी है। सरल शब्दों में कहें तो इसमें बाहर की दुनिया से भय लगता है। एगोरा ग्रीक शब्द " एगोरा " से बना है जिसका मतलब होता है गैदरिंग प्लेज और सार्वजनिक जगह। फोबिया मतलब डर। जिससे बनता है एगोराफोबिया और जिसका मतलब होता है सार्वजिनिक जगह में जाने से डर लगना।
- एगोराफोबिया एक एंग्जाइटी डिसऑर्डर है जिसमें रोगी को दूसरे लोगों से से डर लगता है, वह अनजान लोगों से भी डरता है।
इसके लक्षण
- किसी सार्वजनिक जगह में अकेले होने से डरना।
- भीड़ में अकेले होने से डरना।
- ट्रेन में सफर करने या सीढ़ी चढ़ने में डर लगना।
- मददरहित महसूस करना।
- किसी के ऊपर पूरी तरह से निर्भर हो जाना।
- घर में अकेले रहने तक से डरना।
फोबिया के दौरान लक्षण
- दिल की धड़कनों का बढ़ना।
- बहुत अधिक पसीना आना।
- सांस लेने में परेशानी।
- छाती में दर्द होना या किसी तरह का दवाब महसूस करना।
- चिल्लाना।
- कांपना।
इसके कारण
- पैनिक डिसऑर्डर या किसी भी अन्य तरह का फोबिया होने से एगोराफोबिया होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
- किसी भी हादसे का शिकार होते-होते बचे हों।
किसे अधिक खतरा
- एगोराफोबिया 35 की उम्र से पहले होता है। लेकिन कई बार ये बड़ी उम्र के लोगों को भी हो जाता है।
- महिलाओं में पुरुषों की तुलना में एगोराफोबिया अधिक होता है।
- किसी भी अन्य तरह के डिसऑर्डर या फोबिया का होना एगोराफोबिया होने की संभावना को बढ़ा देता है।
- खून के रिश्ते में किसी को एगोराफोबिया हो। ये आनुवांशिक भी होता है।
कब मिलें डॉक्टर से
- जब एगोराफोबिया आपको पूरी तरह से कुद में बांध दे, आपको काम और समाज को सीमित कर दे और आपकी रुटीन लाइफ प्रभावित होने लगे तो आपको डॉक्टर से मिलने की जरूरत है।
- किसी प्रकार की मानसिक समस्या हो तो उसे नजरअंदाज न करें, किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलिए।
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