
भारत में क्षय(टीबी) का उपद्रव एक नए विषाणु के घातक रुप के साथ बढ़ने की संभावना मुंबई में पायी गयी हैं। मुंबई में माहिम के हिंदुजा अस्पताल में टीबी के 12 रोगी रोगियों में एक विषाणु पाया गया है, जो पूरी तरह से औषध प्रतिरोधी (टीडीआर) कहा गया है। रोगियों के तरल पदार्थ के नमूनों में विषाणु अलग पाये गये थे।
इस विषाणु का बहु-दवा प्रतिरोधी(एमडीआर - टीबी), और अत्याधिक दवा प्रतिरोधी(EDR-टीबी) किस्मों के बाद टीबी के अत्याधुनिक और सबसे गंभीर दवा के प्रतिरोधी होने का निदान हुआ है। TDRTB का पहले ईरान में भी निदान हुआ था और भारत दूसरा देश हैं,जहाँ इसकी सूचना मिली हैं। भारत में हर साल करीब 4 लाख लोग इस रोग से मरने का अनुमान हैं, नये तौर पर विकसित दवा का प्रतिरोध मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से स्वास्थ्य अधिकारियों की समस्याओं को जटिल कर सकता हैं।
टीडीआर-टीबी का निदान हुए 12 रोगियों में से, 10 मुंबई से हैं, और अन्य दो में से एक रत्नागिरी और उत्तर प्रदेश से हैं। इन रोगियों में से एक की पहले ही मृत्यू हो गयी हैं। मुंबई के हिंदुजा अस्पताल की प्रयोगशाला को टीबी रोगियों में विषाणु के, दवा प्रतिरोध के परीक्षण के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित किया गया है। अस्पताल के डॉ. झारीर उडावाला ने कहा है, कि विषाणु के उत्परिवर्तन का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने फुफ्फुसीय टीबी से पीड़ित रोगियों में टीडीआर-टीबी के मामलों को अलग करने का काम शुरू कर दिया हैं।
मुंबई के नगर निगम, बीएमसी के एक वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक, रोगियों में दवा का प्रतिरोध विकसित होने का कारण, रोगियों द्वारा टीबी के वायरस से संक्रमित होने के बाद दवा उपचार के 6 से 9 महीने का कार्यकाल को पूरा नहीं किया जाना हैं। टीबी के विषाणु का प्रभाव 2 महीने के भीतर कम होता हैं और उस के बाद रोगी दवा लेने बंद कर देते हैं। इसके परिणामस्वरुप कुछ टीबी के कीटाणु स्थायी रहते है और गुणाकार में बढ़ना शुरू करते हैं।
साल 2009 में 1.7 लाख लोगों की टीबी से मरने की सूचना मिली, और नवीनतम दवा प्रतिरोध से इस संख्या में इजाफा होने की संभावना को उच्च कर दिया हैं। 1992 में खोजे गये MDR-टीबी से लेकर EDR-टीबी की तरह कुछ साल पहले पाये गये टीबी तक, टीडीआर-टीबी, विषाणू विरोधी उपचार के विकल्पों से टीबी का एक पूरा चक्र पूरा हुआ लगता है। डाँ.उडावाला के अनुसार, विषाणू के नवीनतम रूप से पीड़ित रोगियों को राहत के लिए केवल कठोर शल्य चिकित्सा और दवाओं से प्रदान किया जा सकता है। उनकी टीम के निष्कर्ष को संयुक्त राज्य अमेरिका के एक सहकर्मी की समीक्षा की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version