हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले अनिल कुमार और कविता जी का बेटा है मानव। मानव का जन्म साल 2013 में 25 फरवरी को हुआ था। मानव सेप्टल डिफेक्ट (septal defect) यानी कि दिल में छेद के साथ पैदा हुआ था। हालांकि कि कविता जी जब प्रेग्नेंट थीं तो उन्हें इस बारे में बताया नहीं गया था कि मानव के दिल में छेद है। ऐसे में जब मानव 4 साल का हुआ तो दिल में छेद होने की वजह से उसे कई सारे लक्षण महसूस होने लगे। कविता जी बताती हैं कि मानव के दिल में 17 mm का छेद था। इस वजह उसके अंदर सेप्टल डिफेक्ट के लक्षण (septal defect symptoms) जैसे कि सोने में दिक्कत, वेट न बढ़ना और सांस लेने में समस्या आदि हो रहे थे। हालांकि, आज मानव 8 साल का है और वो पूरी तरह से ठीक है। मानव की तरह ही दुनिया भर में कई बच्चे सेप्टल डिफेक्ट की बीमारी से जूझते हैं। तो, आइए उन्हीं बच्चों और उनके माता-पिता के लिए जानते हैं क्या है सेप्टल डिफेक्ट, इसके लक्षण और फिर डॉ. फजल नबी (Dr.Fazal Nabi), निदेशक, बाल रोग विभाग जसलोक अस्पताल और अनुसंधान केंद्र से जानेंगे इसका इलाज और फिर मानव की मां कविता जी से जानेंने मानव ने कैसे लड़ी ये जंग और उन्होंने ऑपेरशन के बाद तेजी से रिकवरी के लिए मानव का ध्यान कैसे रखा।
क्या है सेप्टल डिफेक्ट-What is Septal defect
गर्भावस्था के दौरान एक सेप्टल डिफेक्ट ( Septal Defects) तब होता है जब दो वेंट्रिकल्स या फिर आर्टरी के बीच बनने वाली दीवार पूरी तरह से विकसित नहीं होती है, जिससे एक छेद हो जाता है। ये सेप्टल डिफेक्ट एक प्रकार का जन्मजात हृदय डिफेक्ट है। दरअसल, नोर्मल बच्चों में हृदय का दाहिना भाग हृदय से फेफड़ों तक ऑक्सीजन रहित रक्त पंप करता है और हृदय का बायां भाग ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के बाकी हिस्सों में पंप करता है। लेकिन जिन बच्चों में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect) होता है उनमें खून अक्सर बाएं वेंट्रिकल से वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट से होते हुए दाएं वेंट्रिकल और फेफड़ों में बहता है। ये दिल और फेफड़ों को अधिक मेहनत करने के लिए मजबूर करता है। समय के साथ, अगर इस छेद का इलाज ना किया जाए तो ये हार्ट फेल्योर, फेफड़ों में हाई ब्लड प्रेशर, अनियमित दिल की धड़कन और स्ट्रोक का कारण बन सकता है। वहीं बात आर्टियल सेप्टल डिफेक्ट (atrial septal defect) की करें, तो इसमें हृदय के ऊपरी कक्षों (अटरिया) को विभाजित करने वाले दीवार में छेद हो जाता है। ये छेद आकार में भिन्न हो सकता है और अपने आप बंद हो सकता है या सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
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दिल में छेद के कारण-Causes of septal defect
डॉ. फजल नबी (Dr.Fazal Nabi)बताते हैं कि वैसे तो इसके पीछे कुछ खास बड़े कारण नहीं हैं। पर आनुवंशिकता, पर्यावरण से जुड़े कारक, वायरल इंफेक्शन, दवा का सेवन, गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन सहित कई कारक सेप्टल डिफेक्ट में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
- - परिवार में चलता आ रहा हृदय दोष रोगों के कारण
- -गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाओं का सेवन करने से जो कि बच्चे के दिल को नुकसान पहुंचाते हैं।
- -प्रेग्नेंसी के दौरान शराब या अवैध दवाओं का उपयोग करने से जिससे बच्चे का दिल सही से विकसित नहीं हो पाता।
- - गर्भावस्था के पहले तिमाही के दौरान वायरल इंफेक्शन होने से।
- -जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण
दिल में छेद के लक्षण -Symptoms of septal defect
दिल में छेद होने वाले शिशुओ में शुरुआती लक्षणों को देखें तो, सबसे पहले तो वे स्तनपान नहीं कर पाते, स्तनपान के दौरान रोते हैं और उन्हें सोने और दूध पीने में दिक्कत महसूस होती है। ऐसे बच्चों को गर्मी बहुत लगती है और अचानक से तेज पसीना आने लगता है। साथ ही ये बार बार फेफड़ों के संक्रमण या बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ जब इनका छेद बढ़ता जाता है तो,लक्षण और गंभीर होते जाते हैं। जैसे कि
- -श्वसन संक्रमण
- -बच्चे का ठीक से विकास न होना
- -चिड़चिड़ा होना
- -आसानी से थक जाना
- -दूध पिलाने के दौरान माथे पर पसीना आना।
- -बच्चा सीधे सो नहीं पाता और वो बार-बार पेट के बल लेटने में ही आराम महसूस करता है।
- -सांस लेने में समस्या
- -तेज या भारी सांस लेना,
- -वजन का तेजी से घटना

सेप्टल डिफेक्ट का इलाज-Septal defect treatment
सेप्टल डिफेक्ट का इलाज उम्र, लक्षणों की गंभीरता, छेद के आकार और अन्य स्थितियों की उपस्थिति पर निर्भर करता है। कभी-कभी छेद को ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। कभी-कभी लक्षणों के इलाज में मदद के लिए दवाएं निर्धारित की जाती हैं। तो, कुछ बच्चों में समय के साथ छेद अपने आ भी भर जाता है। ऐसे में डॉक्टर दवाइयों के साथ छेद अपने आप बंद होने का इंतजार करते हैं और बच्चे को अपने इलाज में रखते हैं। इस दौरान, कई बार डॉक्टर छेद बड़ा होने पर या ज्यादा छेद होने पर ऑपरेशन की सिफारिश कर सकते हैं। ऐसे में कार्डियक कैथीटेराइजेशन (cardiac catheterization) या ओपन-हार्ट सर्जरी (open-heart surgery) करके छेद को बंद किया जा सकता है। उसके बाद इससे रिकवरी व्यक्ति की आयु और व्यक्ति में अन्य जन्म दोष हैं या नहीं इस पर निर्भर करता है।
तो, डॉ. फजल नबी बताते हैं कि एक वर्ष के भीतर केवल 25% हार्ट डिफेक्ट के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ दशकों में, इन जटिल डिफेक्ट्स के इलाज में काफी सुधार हुआ है। आज इकोकार्डियोग्राफी, ईसीजी, चेस्ट एक्स रे, पल्स ऑक्सीमेट्री और कार्डिएक कैथीटेराइजेशन सेप्टल डिफेक्ट के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सर्जरी आजकल डिवाइस क्लोजर है। इन सर्जरी में बहुत अच्छी रिकवरी होती है। ओपन हार्ट सर्जरी केवल जटिल मामलों के लिए ही होती है। सर्जरी के बाद बच्चे का विकास अच्छा होता है और ज्यादातर बच्चे हेल्दी हार्ट के साथ बड़े होते हैं। ।
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दिल में छेद (Septal defect) की समस्या से कैसे उभरा मानव
मानव की मां कविता जी बताती हैं कि दिल्ली एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों ने मानव का इलाज किया। कविता जी कहती हैं कि मानव की सर्जरी की थी और उसे हफ्ते तक अस्पताल में रखा गया। उसके बाद मानव ठीक हो गया। ऑपरेशन के बाद जब उसे टांके लगे हुए थे डॉक्टर ने इंफेक्शन से बचाव के लिए टांके की रोज सफाई करने की सलाह दी थी। साथ ही मानव को हमने कुछ दिनों तक लिक्विड डाइट पर रखा था और फिर बच्चा ठीक हो गया।
मानव की मां कविता कहती हैं कि मानव समय से पहले पैदा हुआ था और प्रेग्नेंसी की शुरुआत में ही डॉक्टर ने हमें कहा था कि बच्चा स्वस्थ नहीं है इसे ना रखें। पर हमने बच्चा रखा। पैदा होने के बाद 2 से 3 साल तक वो सही था पर उसमें सेप्टल डिफेक्ट के लक्षण नजर आए। हमने इसे बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं किया और मानक का इलाज करवाया। हमें आशा नहीं छोड़ी और किसी भी मां-पिता को ये पता चले कि बच्चे के दिल में छेद है तो इससे डरना नहीं चाहिए। इसका इलाज करवाएं क्योंकि इसका इलाज संभव है और जल्द से जल्द इसका पता लगने पर और इलाज करवाने पर ये पूरी तरह से रिकवरी की संभावनाएं ज्यादा होती हैं।
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