भारत की पहली आर्टिफिशियल हार्ट वाल्व टेक्नोलॉजी लॉन्च, नहीं होगी ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत

मेक इन इंडिया के तहत, भारत की पहली हार्ट वाल्व टेक्नोलॉजी को शनिवार को लॉन्च किया गया। इस टेक्नोलॉजी के आने से उन मरीजों का इलाज आसान हो गया है, जो दिल की गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं मगर ओपन हार्ट सर्जरी नहीं करवाना चाहते हैं।
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भारत की पहली आर्टिफिशियल हार्ट वाल्व टेक्नोलॉजी लॉन्च, नहीं होगी ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत


मेक इन इंडिया के तहत, भारत की पहली हार्ट वाल्व टेक्नोलॉजी को शनिवार को लॉन्च किया गया। ये टेक्नोलॉजी दुनियाभर में मशहूर मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कंपनी 'मेरिल लाइफ साइंस' ने बनाया है। इस टेक्नोलॉजी के आने से उन मरीजों का इलाज आसान हो गया है, जो दिल की गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं मगर ओपन हार्ट सर्जरी नहीं करवाना चाहते हैं। इस तकनीक को ट्रांसकैथेटर एओर्टिक हार्ट वाल्व के नाम से जाना जाता है, जिसे भारत में "मायवल" के नाम से बेचा जाएगा। इसे लगाने के लिए किसी गंभीर सर्जरी की जरुरत नहीं होगी। डॉक्टर मरीज के फेमोरल आर्टरी के माध्यम से एक कैथेटर डालकर कृत्रिम हृदय वाल्व को लगा सकेंगे।

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ओपन हार्ट सर्जरी से मिलेगी मुक्ति

ओपन हार्ट सर्जरी से बहुत सारे मरीज घबराते हैं क्योंकि इसे मेजर सर्जरी माना जाता है, जो कई बार खतरनाक भी साबित होती है। इसके अलावा इस सर्जरी के लिए ज्यादा बड़ा चीरा लगाने की जरूरत पड़ती है। जबकि नई तकनीक से वाल्व बदलने के लिए छोटी सी सर्जरी की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए डॉक्टर मरीज के फेमोरल आर्टरी (पेट और जांघ के बीच की धमनी) के माध्यम से एक कैथेटर डालेंगे और वाल्व को लगा देंगे।

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देश की पहली ऐसी तकनीक

इस डिवाइस के लॉन्चिंग के मौके पर मेरिल लाइफ साइंस के उपाध्यक्ष संजीव भट्ट ने कहा कि मेरिल पहली भारतीय कंपनी है, जो इस थेरेपी को लोगों के लिेए ले आई है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब मरीजों को विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि भारत में ही ये तकनीक मौजूद है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सभी के स्वास्थ्य का ध्यान में रखते हुए इस तकनीक का दाम भी बहुत ज्यादा नहीं रखा जाएगा।

जल्दी होगी मरीजों की रिकवरी

कंपनी को इस तकनीक के व्यवसायीकरण के लिए भारतीय ड्रग नियामक संस्था 'सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) से भी मंजूरी मिल गई है। इस तकनीक को दिल की बीमारी के इलाज का बेहतर विकल्प माना जा रहा है क्योंकि इससे मरीज को पूरी तरह रिकवर होने में बहुत कम समय लगेगा और जल्द ही वो अपनी रोजमर्रा की सामान्य जिंदगी में वापस लौट सकेगा।

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