
बच्चों में दिल के छेद की समस्या बहुत देखी जाती है, जिसके कारण पैरेंट्स काफी परेशान रहते हैं। इस लेख में एक्सपर्ट से जानिए क्या है इसमें इलाज के तरीके।
बच्चों में दिल के छेद के बारे में तो आपने सुना ही होगा, बच्चों में ये समस्या जन्मजात से होती है। बच्चे के दिल में कमी या दिल में छेद की समस्या जरूरी नहीं कि बहुत गंभीर हो बल्कि ये आम भी हो सकती है। डॉक्टर बच्चों के जन्म के साथ ही इस बात का पता लगा सकते हैं कि बच्चे में हृदय संबंधित कोई समस्या या दिल में छेद तो नहीं। जिन बच्चों के हृदय स्वास्थ्य में किसी तरह की कोई समस्या दिखाई देती है डॉक्टर इसकी सूचना तुरंत पैरेंट्स को देते हैं जिससे की आगे का इलाज किया जा सके। लेकिन अक्सर लोग बच्चों में दिल के छेद की बात सुनकर हैरान या डर जाते हैं और हमेशा यही सोचते हैं कि बच्चे की जिंदगी कितना है। जबकि एक्सरपर्ट्स बताते हैं कि बच्चों में दिल के छेद की समस्या के लिए कई विकल्प है जिससे उन्हें स्वस्थ किया जा सकता।
दिल में छेद दूसरे अंगों को कर सकता है प्रभावित
बच्चों में दिल के छेद को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब बच्चों में बहुत छोटे छेद होते हैं तो ये कुछ समय बाद अपने आप बंद हो जाते हैं। लेकिन जब दिल का छेद बड़ा हो तो ये कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है। इस दौरान ये आपके ब्लड प्रेशर और फेफड़ों के कार्य को प्रभावित करता है। इसके साथ ही अगर इसका इलाज न किया जाए तो ये हार्ट अटैक या हार्ट फैल्योर का कारण भी बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे हो या बड़े सभी को नियमित रूप से अपने दिल का ख्याल रखना चाहिए। ऐसे में दिल के छेद बच्चों की उम्र के हिसाब से अलग हो सकते हैं। जिसके लिए डॉक्टर जांच के बाद ये चयन कर सकता है कि बच्चे को किस तरह का इलाज दिया जाना चाहिए और कब इसका इलाज अच्छी तरह से संभव है।
'हृदय स्वास्थ्य का सही आकलन है जरूरी'
दिल्ली के फोर्टीज अस्पताल में कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट आपातकाल और सीसीयू (CCU) के प्रमुख डॉक्टर शैलेंद्र भदौरिया बच्चों में दिल की बीमारी या दिल के छेद को लेकर बताते हैं कि दिल की बीमारी का सही आकलन सबसे अहम है क्योंकि हृदय में छेद के साथ कई और बीमारिया भी साथ-साथ हो सकती है। जिनके पूरे आंकलन के बाद ही सही निर्णय हो सकता है कि दवा से इलाज होगा या सर्जरी से या स्टेंट की तरह तार डाल कर।
बच्चों में दिल के छेद क्या हैं इलाज के विकल्प
बच्चों में दिल में छेद की समस्या काफी दिखाई देती है, जिस कारण बच्चे के माता-पिता काफी परेशान होने लगते हैं। लेकिन कुछ तकनीकों की मदद से दिल में छेद के कारण होने वाली बच्चों की मौत पर गिरावट देखी गई है जो एक अच्छे संकेत हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, बच्चे के जन्म के बाद कई मामलों में ये छेद अपने आप ही बंद हो सकते हैं। ये बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ अपने आप होने लगता है। वहीं, जिन बच्चों को दिल के छेद के साथ जीना होता है उसके लिए उनकी उम्र के साथ अलग-अलग उपचार मौजूद हैं।
कैथेटर प्रक्रिया
ये दिल के छेद के इलाज के लिए एक आसान और असरदार विकल्प है जिस प्रक्रिया में कैथेटर कमर की नस में घुस जाती है। इसे एनेस्थेसिया के प्रभाव में सेप्टम की ओर फैला देता है। इसके साथ ही कैथेटर की तुलना में दो छोटी डिस्क को धक्का दिया गया है, जो हृदय के अटरिया के बीच छेद को प्लग करता है। डिवाइस के चारों ओर सामान्य ऊतकों को बढ़ने में करीब छह महीने लगते हैं।
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ओपन हार्ट सर्जरी
आपके बच्चे के हृदय की स्थिति क्या है इस बारे में डॉक्टर अच्छी तरह से जांचने के बाद ही आपके बच्चे की ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह देते हैं। ओपन हार्ट सर्जरी की मदद से जन्मजात हृदय संबंधित समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कुछ मामलों में न्यूनतम इनवेसिव हार्ट सर्जरी का विकल्प भी हो सकता है। इस दौरान बच्चे के हृदय के छेद को कम करने की कोशिश की जाती है।
हार्ट ट्रांसप्लांट
हार्ट ट्रांसप्लांट का नाम सुनते ही लोग काफी परेशान हो जाते हैं, जबकि एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर दूसरे दिल का इंतजाम हो जाए और वो सही समय पर मरीज के पास पहुंचा जाए तो इससे बेहतरीन और कुछ नहीं है। लेकिन ये स्थिति तब आ सकती है जब आपका पहले वाला दिल बुरी तरह से खत्म या कार्य करने की क्षमता में न हो। ये बच्चों में जन्मजात से कई मामलों में देखा जाता है, इस दौरान जब बच्चे की हालात काफी गंभीर होती है तो डॉक्टर हार्ट ट्रांसप्लांट का विकल्प ही चुनते हैं।
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कैसे रखें ख्याल
हल्के खेल कूद में रखें शामिल
जिन बच्चों को दिल में छेद की समस्या होती है, उन बच्चों के लिए कुछ नियम होते हैं। जिनका सख्ती से पालन करना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है। ऐसे ही दिल में छेद जिन बच्चों को होता है उन बच्चों को हमेशा डॉक्टर की सलाह होती है कि वो ज्यादा भागदौड़ वाले खेलों में न शामिल रहें। उन्हें हल्के खेल कूद या बैठने वाले खेल में शामिल रहना चाहिए। ये आपका डॉक्टर निर्धारित कर सकता है कि आपके बच्चों को खेलने चाहिए या नहीं।
एक्सरसाइज से दूर रखें
बच्चों को एक्सरसाइज की आदत अच्छी होती है, लेकिन जिन बच्चों को दिल में छेद होता है उन बच्चों को एक्सरसाइज जैसी गतिविधियों से दूर रखना चाहिए। अगर वो एक्सरसाइज जैसी गतिविधियों को अपनाते हैं तो इससे उन्हें स्वास्थ्य हानि हो सकती है जिसमें सांस लेने में परेशान के साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं नजर आ सकती हैं।
पैदल जरूर चलें
डॉक्टर सलाह देते हैं कि जिन बच्चों को दिल में छेद की समस्या होती है उन बच्चों को रोजाना पैदल चलना चाहिए इससे वो लंबे वक्त तक स्वस्थ रह सकते हैं। लेकिन आपको इस दौरान ये ख्याल रखना चाहिए कि आप तब तक ही पैदल चलें जब तक आपका बच्चा सांस लेने में ठीक महसूस कर रहा हो। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
डाइट
कुछ मामलों में बच्चों के लिए डाइट भी बुरा असर डाल सकती है। आप अपने बच्चे को डाइट में क्या दे रहे हैं इसका आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर पूरा असर होता है। ऐसे में जब आपका बच्चा दिल के छेद की समस्या में हो तो आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए डाइट प्लान का पालन करना चाहिए।
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