
कोरोना के दौरान दुनिया को सबसे ज्यादा उम्मीद डॉक्टरों से है। मरीज जब ठीक होता है तब डॉक्टर का शुक्रिया अदा करता है, लेकिन डॉक्टर का सपोर्ट सिस्टम नर्स इस शुक्रिया से महरूम रह जाते हैं। लेकिन फिर भी वे निस्वार्थ भाव से अपना काम करने में लगे रहते हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day 2021) पर हम जानेंगे एक ऐसे नर्सिंग ऑफिसर की कहानी जो खुद को इस मुश्किल घड़ी में भी मजबूत बनाए रखे हुए हैं। मरीजों को भी गुदगुदाने की कोशिश करते हैं। साथ ही क्लिनिकल साइकॉलोजिस्ट से समझेंगे कि कैसे अन्य नर्स अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख सकती हैं। मनोवैज्ञानिक का कहना है कि नर्सिंग प्रोफेशन कई चुनौतियों से भरा होता है। यहां किसी की जिंदगी बचाने का संघर्ष होता है। ऐसे में इन नर्सेज पर काम का दबाव होता ही है साथ ही कोविड के दौरान कई महीनों से अपने परिवारों से न मिल पाने का मलाल भी है। ऐसे में ये नर्सेज कैसे अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं, इसके लिए यहां कुछ टिप्स हैं।
मरीजों की सेवा करना हमारा काम है : दीपक
दिल्ली के मैक्स, साकेत अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर दीपक वर्मा का कहना है कि हम फ्रंटलाइन वर्कर हैं। अगर हम ये काम नहीं करेंगे तो हमारा काम कोई और नहीं करेगा। महामारी की परिस्थिति में हमें मरीजों की केयर करनी है। अभी के लिए हमारा यही काम है। 2019 से दीपक इस पेशे में हैं। वे कहते हैं कि अगर हमने मेडिकल प्रोफेशन चुना है तो हम मेंटली किसी भी कंडीशन के लिए तैयार रहते हैं।
‘’पहले दिन कोविड ड्यूटी के बाद सो नहीं पाया था’’
कोरोना के दौरान बहुत सी नर्सेज की भी मौत हो गई है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स के मुताबिक 31 जनवरी, 2021 तक 59 देशों में 2,710 नर्सों की कोविड से मौत हो गई। तो वहीं, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स को नैशनल नर्सिंग ऐसोसिएशन की तरफ से यह बताया गया कि 80 फीसद नर्सेज कोविड-19 के दौरान मानसिक स्वास्थ्य संकट से गुजरे हैं। दीपक का कहना है कि जब उन्हे मालूम हुआ कि कोविड अस्पताल में ड्यूटी लगाई जा रही है तो वे घबरा गए थे। इस डर से रात में सो नहीं पाए। दूसरा काम के दौरान उन्हें पीपीई किट पहननी पडी जिससे दिन में पानी नहीं पी पाए और न ही पेशाब के लिए जा पाए, क्योंकि पीपीई किट को बार-बार पहनना मुश्किल होता है।
दीपक कहते हैं कि हम पेशेंट की सर्जरी करन से लेकर उसके प्लास्टर को उतारना, ड्रेसिंग करना, कैनुलाइजेशन करना आदि शामिल है। कोविड मरीजों में और काम बढ़ जाता है। पीपीई किट के साथ जो गॉगल पहनते हैं उससे ब्लड सैंपलिंग करने में या दूसरे कामों में दिक्कत होती है। क्योंकि उन चश्मों पर फॉग जम जाता है। चश्मे के अंदर ही पानी-पानी जम जाता है, लेकिन फिर भी अपना काम करते हैं।
‘’...जब नहीं बचा पाते किसी मरीज को’’
दीपक कहते हैं कि अभी कोरोना महामारी चल रही है। ऐसे बहुत से पेशेंट होते हैं जिन्हें बचाने की कोशिश करते हैं पर नहीं बचा पाते, तब मन मसोस कर रह जाते हैं। बहुत हेल्पलेस महसूस करते हैं।
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मरीजों को हंसाते हैं
दीपक का कहना है कि मैं खुद बहुत पॉजिटिव माइंडसैट का इंसान हूं। खुद ज्यादा परेशान नहीं करता। यही वजह है कि मैं मरीजों को भी हंसाने की कोशिश करता हूं। उन्हें कहता रहता हूं कि सब ठीक हो जाएगा। उनसे बातें करता रहता हूं। ताकि उनका ज्यादा ध्यान बीमारी पर न जाए। दीपक कहते हैं कि मैं खुद अपने परिवार वालों से कई महीनों से नहीं मिला हूं। पर फिर ये सोचकर खुद को मना लेता हूं कि अस्पताल में जो मरीज आते हैं वो बच जाएं अपने परिवार के बीच पहुंच जाएं, यही मेरे लिए खुशी है।
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मनोवैज्ञानिक की ये टिप्स आपके आएंगी काम
गुरुग्राम के अवेकनिंग रिहैब में क्लिनिकल साइकॉलोजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक ने ओन्ली माई हेल्थ को कुछ ऐसी टेक्नीक बताईं जिनसे नर्सिंग स्टाफ अपना तनाव कम कर सकते हैं और खुद को मेंटली स्ट्रांग कर सकते हैं। उन्होंने ये टेक्नीक व्यक्तिगत औ टीम दो रूपों में बताई हैं।
खुद का तनाव ऐसे दूर करें
- अपने काम से हफ्ते में किसी भी एक दिन छुट्टी लें।
- घर और प्रोफेशनल काम के बीच एक दीवार बनाएं। दोनों के काम का बंटवारा करें।
- नकारात्मक खबरों से दूर रहें।
- जब भी आपको ऐसा लगे कि आपको गुस्सा आ रहा है या परेशानी हो रही है तो वहां पर लोगों से सपोर्ट लें।
- ग्रेटीट्यूट थेरेपी का प्रयोग करें। जिसमें आप यह सोचें कि अभी मेरे पास जो है मैं उसी में खुश हूं। जो आपके मददगार हैं उनके प्रति ग्रेटिट्यूट शो करें।
- ड्यूटी के दौरान किसी पेशेंट की डेथ हो गई, तो उन नर्स को हील होने का समय नहीं मिल रहा है। ऐसे में अपने नेगेटिव अनुभव को किसी पॉजिटिव अनुभव से रिप्लेस करें।
- इन सभी उपायों से मदद नहीं मिल रही है तो मनोवैज्ञानिक के पास जाकर काउंसलिंग करवाएं।
टीम लीडर के लिए टिप्स
- नर्सिज में भी टीम लीडर्स होते हैं तो वहां पर मनोचिकित्सक उनको अलग से प्रोग्राम कराते हैं। जहां उन्हें मोटिवेट किया जाता है कि अगर आप ड्यूटी आर्स में अपना टाइम खत्म करते हैं तो वह बोझ नहीं बनता।
- एक टीम में लोगों के अलग-अलग काम होते हैं। ये सब चीजें टीम लीडर तय करता है। टीम लीडर भी सपोर्ट ग्रूप की तरह काम कर सकता है। टीम लीडर यह तय करे कि नर्सेज को अगर मेडिकल मदद की जरूरत है तो वे उन्हें समय पर मिल जाएं।
- नर्सेज के लिए अस्पताल में मेंटल या इमोशनल सपोर्ट के लिए सपोर्ट सर्विस होनी चाहिए। जिससे वे खुद को मेंटली ठीक रख सकें।
- जिन लोगों के साथ नर्सेज काम करती हैं उनके साथ टीम पावर की तरह काम करना चाहिए।
आफ्टर वर्क चेकलिस्ट - 4R
इस तरीके का इस्तेमाल कोई भी प्रोफेशनल कर सकते हैं। जब उन्हें ऊपर बताए तरीकों से मदद नहीं मिल रही है तो वे इन तरीकों से मदद ले सकते हैं।
1. रिव्यु- आज के ही दिन में अस्पताल में कई मरीजों की मौत हो गई तो ऐसे में नर्सेंज अगर परेशान हैं तो वे सोने से पहले लेट इट गो कर सकते हैं। बुरी चीजों को घर में आते ही लेट इट गो करना है।
2. रिफ्लैक्ट - आपने जैसे ही लेट इट गो किया तो उसमें देखें कि पूरे दिन में ऐसी तीन चीजें क्या रहीं जो अच्छी थीं। वो बहुत बड़ी हों ये जरूरी नहीं कुछ छोटा भी हो सकता है।
3. रीग्रुप - यह सपोर्ट ग्रुप में ही आता है। अगर ऊपर के दोनों तरीकों के बाद अगर कोई अच्छा महसूस नहीं कर पा रहा है तो वह सोशल मीडिया से लोगों से जुड़ सकता है।
4. Re-energize- इसमें करते हैं कि जो हुआ सो हुआ, अब घर की रिसपॉन्सिबिलिट भी है। तो मनोचिकित्सक उन्हें कहते हैं कि अब उन्हें अपना पूरा ध्यान घर पर और खुद को रीस्टार्ट करने में लगाना है।
अगर आप भी नर्सिंग प्रोफेशन में हैं और काम का बहुत तनाव महसूस कर रहे हैं तो दीपक के अनुभव और डॉक्टर प्रज्ञा मलिक के ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं। इस इंटरनेशनल नर्स डे 2021 (International Nurses Day 2021) पर हमारा सभी नर्सिंग स्टाफ को सैल्युट।
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