पैनिक डिसॉर्डर का इलाज आयुर्वेद में संभव, एक्सपर्ट से जानें कैसे

जब मुश्किल हालात पैदा होते हैं तो व्यक्ति घबराने लगता है ऐसी मनोदशा संभावित है लेकिन अगर छोटी-छोटी बातों पर जल्दी नर्वस हो जाते हैं तो...
  • SHARE
  • FOLLOW
पैनिक डिसॉर्डर का इलाज आयुर्वेद में संभव, एक्सपर्ट से जानें कैसे

समस्याओं का सामना सभी को करना पड़ता है और हर व्यक्ति अपने तरीके से इन समस्याओं का हल ढूंढने में लगा होता है। इन परिस्थितियों में व्यक्ति चिंतित और घबरा भी जाता है जो स्वाभाविक भी है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो छोटी-छोटी परेशानियों में भी बहुत ज्यादा घबरा जाते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से हैं तो सतर्क हो जाएं क्योंकि यह गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्या पैनिक डिसॉर्डर के लक्षण हो सकते हैं। अब सवाल यह है कि क्या आयुर्वेद में इसका उपचार संभव है? अगर हां तो किन तरीकों से इस समस्या को दूर किया जा सकता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमने गाजियाबाद स्वर्ण जयंती के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी से बातचीत की। पढ़ते हैं आगे... 

panic disorder

आयुर्वेद में पैनिक डिसऑर्डर का इलाज संभव?

जी हां, कैसा भी मनोरोग हो, आजकल हर परिस्थिति से लड़ने में आयुर्वेद सक्षम है। इसके लिए अश्वगंधा का चूर्ण दिन में दो बार तीन-तीन ग्राम दूध से लेने पर आराम मिलता है। इसके अलावा आप अश्वगंधा की पत्तियों का पाउडर दिन में तीन-तीन ग्राम लेते हैं तब भी ऐसे मनोरोग को दूर किया जा सकता है। साथ ही शंखपुष्टि का पाउडर या सीरप 5 ग्राम से 10 ग्राम दूध से लेने पर फायदा मिलता है। ब्रहमी बटी, आंवला मिश्री का मिश्रण, सौंफ का मिश्रण और अश्वगंधारिष्ट से भी इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन इन सब चीजों का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। 

कितने दिन में इलाज का असर दिखने लगता है?

एक से चार महीने के दौरान सकारात्मक रूप से व्यक्ति ठीक होना शुरू कर देता है। 40 दिन में नई ऊर्जा का उत्पादन होता है नए रक्त धातुओं का निर्माण होता है, जिससे व्यक्ति का शरीर और जल्दी इलाज को अपना लेता है। 

इलाज के दौरान एक्सरसाइज या व्यायाम?

इलाज के दौरान व्यायाम की परमिशन तब दी जाती है जब वे किसी एक्सपर्ट की मदद से करता है। ले जो खुद से या टीवी पर देखकर करता है, ऐसे व्यक्ति को एक्सरसाइज करने से मना कर देते हैं।

उपचार के दौरान परहेज?

अपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करने की सलाह देते हैं। इसकी जगह पर फाइबर्स की मात्रा को बड़ देते हैं। तली भुनी चीजों से दूर रहें। साथ ही रात को काले चनों को भिगोकर दिन में खाएं। 

इसे भी पढ़ें- त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए बहुत फायदेमंद है कच्ची हल्दी, एक्सपर्ट से जानें क्या है इस्तेमाल करने का तरीका

पैनिक डिसऑर्डर क्यों होता है?

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण डर और चिंता है। शुरुआत में लोग इनके लक्षणों को समझ नहीं पाते एग्जामटी यानी चिंता इस समस्या की सबसे बड़ी वजह मानी गई है। जो लोग छोटी-छोटी बातों पर बेवजह परेशान हो जाते हैं वह इस समस्या के आसानी से शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा यदि किसी को फोबिया की समस्या है उन स्थितियों में भी पैनिक डिसऑर्डर के लक्षण नजर आने लगते हैं। ऐसी परिस्थिति में लोगों को ज्यादा डर लगता है। उदाहरण के तौर पर कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें ऊंचाई, पानी, लिफ्ट आदि से डरते हैं। ऐसी परिस्थिति जब उनके सामने आती है तो वह जल्दी घबरा जाते हैं और उन्हें  पैनिक अटैक आ सकता है। इसके अलावा आर्थिक नुकसान, पारिवारिक कलेश, दुर्घटना आदि के चलते भी कुछ लोग इस लक्षण के शिकार हो जाते हैं। जब स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है तो व्यक्ति बेहोश भी हो जाता है।

पैनिक डिसऑर्डर की वजह?

पैनिक डिसऑर्डर के पीछे अलग-अलग कारण छिपे हैं। किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को बनाने में परिवार उसके आसपास का माहौल ज्यादा मायने रखता है। ऐसे में यदि व्यक्ति की परवरिश या उसके बचपन में उसके साथ ज्यादा सख्त होते हैं तो उसके अंदर मुश्किलों का सामना करने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती है। इसलिए जब भी बड़ा होता है तो उसमें पैनिक डिसऑर्डर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा चिंता में, घबराहट, गहरी उदासी, शक की आदत, गुस्सा या भावनात्मक असंतुलन जब हद से ज्यादा बढ़ जाता है तब भी व्यक्ति पैनिक डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है। इसके अलावा अल्कोहल के ज्यादा सेवन करने से भी ये समस्या देखने को मिलती है। साथ ही लॉ ब्लड शुगर थायराइड, दिल से संबंधित समस्या होने पर भी पैनिक अटैक आ जाता है।

पैनिक डिसऑर्डर के प्रमुख

  • दिल की धड़कनों का बड़ना
  • बोलते वक्त जबान का लड़खड़ाना
  • आंखों के आगे अंधेरा छा जाना
  • अधिक पसीना आना
  • छोटी सी समस्या होने पर भी अधिक घबराना या हाथ पैरों का कांपना
  • कमजोरी होना या अनावश्यक थकान का होना

पैनिक डिसऑर्डर से कैसे हो बचाव

  • हमेशा चिंता मुक्त रहें।
  • परिवार के साथ खुशनुमा पल बिताएं। साथ ही अपने दोस्तों, पड़ोसियों या रिश्तेदारों से नियमित रूप से बात करें। क्योंकि इसके पीछे प्रमुख कारण अकेलापन भी होता है। ऐसे में यदि आप अपने आसपास अच्छा माहौल बनाकर रखेंगे या उन लोगों से बातें करेंगे जिनसे आपको खुशी मिलती है तो यह समस्या आप से कोसों दूर रहेगी।
  • नींद भी इसके पीछे का एक प्रमुख कारण है। ऐसे में यदि आप 8 से 9 घंटे की भरपूर नींद लेंगे तो इस समस्या से बचा जा सकता है।
  • अपनी हॉबी को समय दें। यदि आप वह कार्य करेंगे जिसमें आपकी रुचि है तो आप खुद को व्यस्त रख पाएंगे और अपने मस्तिष्क को शांत रख पाएंगे। ऐसे में आपको म्यूजिक, पेंटिंग, बागवानी आदि को विकल्प को चुन सकते हैं।
  • एक्सरसाइज से भी इस समस्या से बचा जा सकता है। अगर आप अपनी दिनचर्या में नियमित रूप से एक्सरसाइज को जोड़ेंगे तो आप अपनी क्षमताओं को बढ़ा पाएंगे। ऐसे में जब भी आप ज्यादा घबराहट महसूस करें तो अपने शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें और लंबी गहरी सांस लें। ऐसा करने से आपको राहत महसूस होगी और घबराहट खुद ब खुद चली जाएगी।

क्या है इसका आम उपचार

इसका उपचार तभी किया जाता है जब डॉक्टर मान लेते हैं कि व्यक्ति में पैनिक डिसॉर्डर के लक्षण नजर आ रहे हैं। क्योंकि जिन लक्षणों का जिक्र ऊपर किया है जरूरी नहीं है कि अगर किसी व्यक्ति में यह लक्षण दिख रहे हैं तो वह पैनिक डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है कि उसे दिल की बीमारी या लो ब्लड शुगर की समस्या हो गई है। काउंसलिंग और कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के जरिए मरीज को ट्रीटमेंट दिया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान उसकी समझ को विकसित किया जाता है। साथ ही यह भी सिखाया जाता है कि यदि आपके सामने कोई समस्या आए तो घबराने की बजाय हल ढूंढने की कोशिश करें। इसके लिए कुछ डॉक्टर एक्सपोजर थेरेपी की भी मदद लेते हैं। इसके माध्यम से मरीज को उन स्थितियों का सामना कराया जाता है उसे उन्हें अधिक घबराहट होती है। इसका इलाज थोड़ा लंबा होता है। ऐसे में परिवार या दोस्तों को धैर्य रखने की जरूरत होती है। एक्सपर्ट मानते हैं कि उपचार के 6 महीने बाद ही सकारात्मक बदलाव नजर आते हैं।

Read More Articles of Ayurveda in hindi

Read Next

ये हैं सर्दियों में होने वाली 10 आम बीमारियां, आयुर्वेदाचार्य से जानें इन बीमारियों के लिए आसान घरेलू उपचार

Disclaimer