
अस्थानिक गर्भावस्था में निषेचित अंडा, गर्भाशय के बाहर रुक जाता है। अस्थानिक गर्भावस्था ज्यादातर गर्भाशय को अंडाशय (फैलोपियन ट्यूब) तक ले जाने वाली एक ट्यूब में होती है। इसे ट्यूबल गर्भावस्था भी कहते हैं। कुछ मामलों में अस्थानिक गर्भावस्था गर्भाशय (गर्भाशय ग्रीवा) के उदर गुहा, अंडाशय या गर्दन में भी हो जाती है। अस्थानिक गर्भावस्था होने पर अधिकांश मामलों में महिला को चलने में बहुत परेशानी होती है। अस्थानिक गर्भावस्था का उपचार निम्नलिखित माध्यमों से किया जा सकता है।

दवाओं के माध्यम से चिकित्सा
निषेचित अंडा सामान्यतः गर्भाशय के बाहर विकसित नहीं हो सकता है। इसलिए जीवन के संभावित जोखिम को कम करने के लिए अस्थानिक ऊतक को हटा दिया जाना चाहिए। अस्थानिक गर्भावस्था का जल्द पता चलने पर कुछ चिकित्सक मेथोट्रेक्सेट (methotrexate) नामक दवा का इंजेक्शन देते हैं। यह इंजेक्शन कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने के लिए और मौजूदा रोग ग्रसित कोशिकाओं को खत्म करता है। इंजेक्शन देने के बाद डॉक्टर गर्भावस्था हार्मोन व ह्यूमन क्रोनिक गॉनेडोट्रोपिन (एचसीजी) के लिए रक्त की जांच करता है। यदि महिला का एचसीजी का स्तर अधिक होता है तो मेथोट्रेक्सेट का एक और इंजेक्शन दिया जा सकता है।

सर्जरी के माध्यम से चिकित्सा
कुछ मामलों में अस्थानिक गर्भावस्था का उपचार लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की मदद से भी किया जाता है। इस प्रक्रिया में नाभि या इसके नजदीक पेट पर कट लगाया जाता है। कट लगाने के बाद डॉक्टर कैमरे, लैंस और लाइट लगी हुई पतली ट्यूब (लैप्रोस्कोप) को अंदर के क्षेत्र को देखने के लिए डालता है। जरूरत पड़ने पर अन्य उपकरणों को भी ट्यूब में डाला जा सकता है। अस्थानिक ऊतक को हटाने और फैलोपियन ट्यूब की मरम्मत के लिए छोटे चीरे भी लगाए जा सकते हैं। यदि फैलोपियन ट्यूब ज्यादा क्षतिग्रस्त हो गयी है तो इसे हटाया भी जा सकता है।
अस्थानिक गर्भावस्था में काफी मात्रा में रक्त स्राव होता है। यदि फैलोपियन ट्यूब फट जाती है तो पेट के चीरे वाली (लैप्रोटोमी) सर्जरी की तत्काल जरूरत हो सकती है। कुछ मामलों में फैलोपियन ट्यूब की मरम्मत भी की जा सकती है। हालांकि फटी हुई ट्यूब को निकाल देना ही बेहतर होता है। कुछ मामलों में सर्जरी के बाद मेथोट्रेक्सेट के इन्जेक्शन की जरूरत पड़ती है। पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अस्थानिक गर्भावस्था को रोका नहीं जा सकता लेकिन इसके जोखिम से बचा जरूर जा सकता है। उदाहरण के लिए यौन संक्रमण को रोकने और श्रोणि सूजन की बीमारी के खतरे को कम करने के लिए शारीरिक संबंध सीमित लोगों से बनाए और कंडोम का इस्तेमा करें।
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