गाउट की चिकित्सा

जब हमारे शरीर में उपस्थित रक्‍त में यूरिक एसिड के ठोस अणुओं का जमाव होने लगता है, और शरीर के कई जोड़ों में पीड़ा होने लगती है तो यह गाउट रोग के होने के संकेत है।
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गाउट की चिकित्सा


जब हमारे शरीर में उपस्थित रक्‍त में यूरिक एसिड के ठोस अणुओं का जमाव होने लगता है और शरीर के कई जोड़ों में पीड़ा होने लगती है तो यह गाउट रोग के होने के संकेत है।
गठिया के इलाज के लिए डॉक्टर सबसे पहले आमतौर पर नॉन स्टेरोइडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग (एनएसएआईडी) से शुरू करते हैं, जैसे - इंडोमेथासीन (इंडोसीन), इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सिन (एलेव, एनाप्रॉक्स, नेप्रोसिन आद‍ि)।
यदि आप एनएसएआईडी को बर्दाश्त नहीं कर सकते या ये दवाइयां आपके लिए काम नहीं कर रहीं हैं तो डॉक्टर आपको कोर्टिकोकोस्टरोइड लेने का सुझाव देते हैं।

 

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कोर्टिकोकोसटरोइड सीधे जोड़ में इंजेक्शन के द्वारा दी जाती है। इसके अलावा अन्‍य विकल्‍प यह है कि एड्रेनो कोर्टिकोट्रॉफिक हार्मोन को एडजस्‍ट करने के लिए और कॉर्टिसोल ज्‍यादा बनाने के लिए इंजेक्‍शन को इंटरनल ग्रंथि में लगाया जाए। एक दवाई जिसका नाम कोलोकिसीन है, कभी-कभी उसका भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इससे मितली, उलटी-दस्त, ऐंठन जैसी समस्‍या भी हो सकती है।

गठिया के हमलों को रोकने के लिए डॉक्टर एलोपुरिंस (एलोप्रिम, ज़ैलोप्रिम) की सलाह देगा जिससे आपके शरीर में यूरिक एसिड कम पैदा हो। खून में यूरिक एसिड का स्तर एलोपुरिनोल की पहली खुराक से ही 24 घंटों के अन्दर गिरने लगता है। इसका पूरा प्रभाव दैनिक उपचार के दो हफ्तों के बाद होता है।

 

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युरिक एसिड का स्तर कम करने वाली दवाइयां एलोपुनिनोल, प्रोबेनेसिड या सल्फिनपाईजोन हैं। यदि इनको न खाया जाए तो तो यूरिक एसिड का स्तर फिर बढ़ सकता है और गठिया फिर से शुरू होने की सम्भावना बन जाती है।

 

 

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