गाउट का निदान

गाउट के निदान के जरिए यह निश्चित हो जाता है कि यह गाउट से कौन सा जोड़ प्रभावित है। गाउट सबसे ज्‍यादा पैर की बड़ी उंगली में होता है।
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गाउट का निदान


यह बीमारी एक बार जिसको हो जाती है उनमें से लगभग 50 प्रतिशत में छ: महीने से दो साल में दोबारा भी हो सकता है। जो लोग गंभीर बीमारियों के लिए दवा का सेवन करते हैं उनके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। वे लोग यूरिक एसिड की मात्रा कम करने के लिए दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।

गाउट के निदान के जरिए यह निश्चित हो जाता है कि यह गाउट से कौन सा जोड़ प्रभावित है। गाउट सबसे ज्‍यादा पैर की बड़ी उंगली में होता है। गाउट से होने वाला दर्द और सूजन भी इस बीमारी के निदान में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि गाउट के लक्षण कुछ दिनों में दिख जाते हैं। लेकिन पैरों में स्‍वेलिंग चोट के कारण भी हो सकती है।

 

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गाउट के निदान के लिए टेस्‍ट -

ब्‍लड टेस्‍ट -

गाउट के निदान के लिए सबसे पहले ब्‍लड के सैंपल का टेस्‍ट किया जाता है। इससे ब्‍लड में यूरिक एसिड के स्‍तर का पता चलता है। यदि खून में यूरिक एसिड का स्‍तर कम है तो गाउट होने की संभावना ज्‍यादा होती है लेकिन अगर ब्‍लड में यूरिक एसिड का स्‍तर ज्‍यादा है तो इसका मतलब व्‍यक्ति गठिया से पीडि़त है।

 

साइनोवियल फ्लड -
इसे श्‍लेष द्रव भी कहते हैं, यह एक प्रकार की झिल्‍ली है जो हड्डियों के चारों तरफ सुरक्षात्‍मक झिल्‍ली बनाता है। जोड़ों के आसपास के हिस्‍से में निडल से इस द्रव को लेकर उसका टेस्‍ट किया जाता है। इस टेस्‍ट से यह निश्चित हो जाता है कि गाउट है या नही।

 

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यूरीन टेस्‍ट -
कभी-कभी यूरिक एसिड मरीज के मूत्र में भी मिल जाता है जिसके टेस्‍ट से गाउट का पता लगाया जा सकता है। यदि गाउट का मरीज जवान है तो यूरीन टेस्‍ट से इसके निदान की संभावना ज्‍यादा होती है। इसके लिए सुबह-सुबह पहली बार यूरीनेशन के दौरान यूरीन का नमूना लिया जाता है। यूरीन टेस्‍ट लेने से पहले मरीज को एल्‍कोहल और अन्‍य दवायें न लेने से मना कर दिया जाता है।

 

एक्‍स-रे -
जिस जगह पर सूजन होती है उसका एक्‍स-रे किया जाता है। हालांकि गाउट के शुरूआती समय मे एक्‍स-रे के जरिए निदान हो पाना मुश्किल है। एक्‍स-रे के जरिए गाउट और उससे संबंधित अन्‍य समस्‍याओं की भी जानकारी हो जाती है।

 

 

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