हो सकता है कि आपके घर में भी किसी बड़े-बुजुर्ग ने यह बताया हो कि टमाटर खाने से चेहरे पर लाली आती है। टमाटर के बारे में इस परंपरागत ज्ञान को अब वैज्ञानिक आधार भी मिलने लगा है और एक के बाद एक शोधों से इसके औषधीय गुणों के बारे में पता चल रहा है। भारतीय मूल के एक शोधकर्ता ने ताजा शोध में बताया है कि टमाटर के बीजों से तैयार रस रक्तवाहिनियों में थक्का जमने से रोकता है। इससे हार्ट अटैक (हृदयाघात) एवं स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
रक्तवाहिनियों में बनने वाला खून का थक्का रक्त के बहाव में रुकावट पैदा करता है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा पैदा होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक एस्पिरिन की अपेक्षा टमाटर के बीजों का रस इन बीमारियों की रोकथाम में ज्यादा कारगर साबित होता है। खून को पतला बनाने के लिए लाखों लोग एस्पिरिन का सेवन करते हैं। एस्पिरिन से आंतरिक रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में किए गए शोध के मुताबिक 'टमाटर के बीजों का रस का सेवन आंतरिक रक्तस्राव के खतरे को काफी कम कर देता है।'
टमाटर के इस्तेमाल का जहां महज 18 घंटे में असर दिखाता है वहीं एस्पिरिन से ठीक होने में 10 दिन लगते हैं। टमाटर व एस्पिरिन दोनों प्लेटलेट्स को नियंत्रित करते हैं। खून का थक्का जमने के लिए प्लेटलेट्स ही जिम्मेदार होती हैं। धूम्रपान, खून में कोलेस्ट्राल के उच्च स्तर और तनाव के कारण प्लेटलेट्स के आकार में ऐसे बदलाव आते हैं, जिनकी वजह से थक्के जमने की आशंका बढ़ जाती है। एस्पिरिन थक्का जमने के प्रभाव को कुछ हद तक कम कर देती है लेकिन टमाटर के बीजों का रस थक्का जमने की प्रक्रिया को एस्पिरिन के मुकाबले ज्यादा धीमा करता है।
एबरडीन (स्काटलैंड) के रोवेट इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रीशन एंड हेल्थ में प्रो. असीम दत्ताराय ने टमाटर के बीजों से पड़ने वाले प्रभाव की खोज की है। दत्ताराय पौधों में प्रभावकारी थक्कारोधी रसायन की खोज कर रहे थे।
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