हम में से कई लोगों ने जुम्बा के बारे में सोचा है या उसका आनंद लिया होगा। कुछ लोग जुम्बा इसलिए करते हैं कि वो अपने आपको फिट रख सके और वो उसका आनंद ले सके, लेकिन सुचेता पाल के लिए जुम्बा जीवन का एक मोड़ था। कोलंबियाई डांसर और कोरियोग्राफर अल्बर्टो बेटो पेरेज ने जुम्बा डांस को बनाया है जो दुनियाभर में काफी पॉपुलर हो गया है। दुनियाभर की तरह अब भारत में भी फिटनेस के जगत में जुम्बा काफी तेजी से फैलता जा रहा है। सुचेता को एक बेहतर करियर दिया है जुम्बा ने और उन्हें खास बनाया है।
मुंबई में 25 साल की उम्र में 9 से 9 की नौकरी करने के साथ एक तनावपूर्ण जीवन का अहसास हुआ। इसके साथ ही नौकरी के तनाव से वह काफी दुखी थी। जिसकी वजह से उनके स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ा और चिंता विकार की ओर धकेल दिया। आपको बता दें कि सुचेता पाल की परेशानी चिड़चिड़ेपन से शुरू हुई थी जिसकी वजह से उनके काम पर इसका सीधा असर पड़ा। इसके साथ ही इसका असर ना केवल उनके काम पर पड़ा बल्कि उनके आत्मविश्वास को बहुत प्रभावित किया है।
सुचेता के मुताबिक, इस परेशानी से वो लोगों का सामना भी नहीं कर पा रहे थे। इस स्थिति में वो काफी परेशान रहने लगी थी। यहां तक की वो अपनी मीटिंग में करीब 4 बार ब्रेक लिया करती थी। लेकिन अब मैं उन सभी परेशानी और तनाव से बाहर आ गई हूं और मैं आज दुनिया में बिना किसी डर और तनाव के घूम रही हूं।
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'मैनें तीन साल के लिए, जुम्बा के हर संभव चीजों को सीखा, जहां मैने जुम्बा की खोज की और कनेक्टिकट राज्य में एक लाइसेंस प्राप्त प्रशिक्षक के रूप में पढ़ाया। जिसके बाद मुझे एक फोन आया था, जो कि साल 2012 अप्रेल में जुम्बा मियामी मुख्यालय भारत में जुम्बा एजुकेशन स्पेशलिस्ट की भूमिका के लिए ऑडिशन के लिए आया था, जो मेरे जीवन में एक खास मोड़ बना था। फिर से मैनें साल 2012 में मई में जुम्बा को रिलॉन्च किया और तब से मैंने इस काम में बहुत आनंद लिया और बहुत मजा आया। अब सुचेता के पास 4 हजार से ज्यादा जुम्बा के इंस्ट्रकटर हैं।
महिला और फिटनेस
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आजकल, भारत में भी महिलाएं अपनी फिटनेस को लेकर काफी जागरुक हो गई है और उन्हें इसका महत्व पता है। फिटनेस लोगों के लिए एक अच्छा और बेहतर विकल्प बना है खासकर महिलाओं के लिए।
मुझे जम्मू-कश्मीर में सैन्य छावनी का दौरा करने का सौभाग्य मिला, जहां मैंने सेना में मौजूद जवानों की पत्नियों को सिखाया। इसके साथ ही मैंने गुजरात में महिलाओं को सिखाया जहां वो अपने परिवार में भी बोल कर नहीं आती थी कि वो जुम्बा के ट्रेनिंग के लिए आए हैं। जहां से मैंने ये सब शुरू किया ये मेरे लिए एक दूसरी जिंदगी की तरह लगता है। ये सब मुझे एक भारी आत्मविश्वास देने का काम करता है। ये चीजें मुझे ये समझाने की कोशिश करती हैं कि मैं अब किसी भी चीज से परेशान या डरती नहीं हूं और मैं ठीक हूं।
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सुचेता ये मानती हैं कि जुम्बा करने से ना सिर्फ ये हमे फिट रखने का काम करता है बल्कि ये हमे मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखने का काम करता है। इसके साथ ही सभी तरह के तनाव से भी दूर करने में मदद की है।