Ramadan 2020: डायबिटीज में रोजा रखने पर इन बातों का रखें खास ख्याल, शरीर के इन संकेतों को न करें नजरअंदाज

रमजान के दौरान रोजा रखने वाले मधुमेह के रोगियों को स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा भी होता है। इसलिए उन्हें डॉक्टर की सलाह लेकर ही ये करना चाहिए।
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Ramadan 2020: डायबिटीज में रोजा रखने पर इन बातों का रखें खास ख्याल, शरीर के इन संकेतों को न करें नजरअंदाज


रोज़ा रमजान की पहचान है। इसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक भोजन और पानी पीने से परहेज किया जाता है। सभी मुस्लिम वयस्कों को महीने भर के सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोजा रखते हैं। हालांकि, बच्चों, गर्भवती या स्तनपान करने वाली महिलाओं और बुजुर्गों को इस धार्मिक अभ्यास से छूट दी गई है। इसी तरह डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तिों को भी रोजा रखने और न रखने की छूट दी जाती है, पर वो कुछ मेडिकल स्थितियों पर निर्भर करता है। हालांकि अधिकांश मधुमेह रोगियों के लिए उपवास करना सुरक्षित है, लेकिन आपको पहले अपने डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। क्योंकि यह जटिल मधुमेह वाले कुछ लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है।

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रमजान और डायबिटीज (Diabetes and Ramadan)

दुनिया भर में डायबिटीज वाले कई मुसलमान रमजान के दौरान रोजा रखते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि रोजा मधुमेह वाले लोगों के लिए मददगार हो सकता है क्योंकि यह सूजन को कम करने, वजन घटाने और कम कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। वहीं एक से अध्ययन में पाया गया कि टाइप 2 मधुमेह वाले पुरुष एक महीने के लिए सप्ताह में 3 दिन उपवास करने के बाद इंसुलिन लेना बंद करने में सक्षम थे। वहीं रोजे में आपके शरीर को ग्लाइकोजन का उपयोग करने में लगभग 12 घंटे लगते हैं। जब आप घंटों नहीं खाते हैं, तो आपका शरीर ऊर्जा के लिए ग्लाइकोजन के बजाय वसा जलाना शुरू कर देगा। इस तरह उपवास आपको वजन कम करने में मदद करता है। पर डायबिटी वाले लोगों में अचानक शुगर की कमी होने से स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियां भी आ सकती हैं। इसलिए भले ही डायबिटीक लोगों के लिए रोजा रखना फायदेमंद है पर कुछ चीजों का ध्यान रख कर ही ये करना चाहिए।

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डायबिटीक लोग रोजे के दौरान इन बातों का रखें ख्याल

सहरी खाना न छोड़ें (आपके सुबह का भोजन)

आपको अपने सहरी खाना नहीं छोड़ना नहीं चाहिए। आप भले ही ज्यादा न खाएं पर इसे करने से बचे नहीं। साथ ही मधुमेह के रोगियों के लिए उच्च कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थों के सेवन को नियंत्रित करना आवश्यक है, विशेष रूप से टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के लिए शर्करा के स्तर को प्रभावित करते हैं। चीनी, रॉक शुगर, पाम शुगर, शहद और मीठा गाढ़ा दूध जैसे कार्बोहाइड्रेट का सेवन सीमित होना चाहिए। हालांकि, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले कार्बोहाइड्रेट जैसे कि ब्राउन राइस, फुल ग्रेन ब्रेड और सब्जियां सहरी के लिए बेहतर विकल्पों में से हैं।

8 गिलास शुगर-फ्री तरल पदार्थ पिएं

दिन के दौरान तरल पदार्थ के नुकसान की भरपाई करने के लिए सहरी और इफ्तार (सूर्यास्त-भोजन) के दौरान पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ (चीनी रहित तरल पदार्थ चुनें) पीने की कोशिश करें। एक दिन में इसे 8 गिलास पीना तय कर लें।

अपने ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी रखें

रमजान के दौरान उपवास के दौरान रक्त शर्करा की स्व-निगरानी रखें। वास्तव में, एक सफल उपवास के लिए यह आवश्यक है क्योंकि हाई ब्लड शुगर, लॉ ब्लड शुगर के स्तर या गंभीर डिहाईड्रेशन पर नजर रखना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि हाई शुगर या बहुत लो ब्लड शुगर के कारण व्यक्ति को बेहोशी जैसे सामान्य परेशानी से लेकर लकवा मारने जैसी गंभीर परेशानी हो सकती है।

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शरीर अगर इन संकेतों को दे, तो रोजा रखना बंद कर दें

  • -बल्ड शुगर का स्तर सही न रहना।
  • -हाइपोग्लाइकेमिया के संकेत (कम ब्लड शुगर लेवल)
  • -झटके महसूस करना
  • -पसीना आना
  • -भूख लगना और बेचैनी होना
  • - सिर चकराना
  • -भ्रम की स्थिति
  • -गंभीर डिहाइड्रेशन के लक्षण इत्यादि।

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