भारतीयों में मोटापे की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। महानगरीय जीवन में मोटापा धीरे-धीरे एक महामारी बन रहा है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी कई बीमारियों का कारण मोटापा ही है।आज मोटापे से बच्चे से लेकर बूढ़े और महिलाएं कोई भी अछूता नहीं हैं। मोटापे का सबसे पहला कारण है असंतुलित भोजन और शारीरिक निष्क्रियता। बच्चों में मोटापा आधुनिक जीवनशैली की वजह से बढ़ रहा है। मोटापे पर यदि जल्द ही नियंत्रण नहीं किया गया तो आधी से ज्यादा आबादी इसकी चपेट में आ जाएगी। आइए जानें किन कारणों से महामारी बन रहा है मोटापा।
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- फैशन और आधुनिक जीवनशैली के चलते लोग घर के खाने से ज्यादा जंकफूड खाना पसंद करते हैं जो कि मोटापे का सबसे पहला कारण हैं।
- बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी शारीरिक सक्रियता कम हो रही हैं यानी बच्चे आउटडोर गेम्स से दूर होते जा रहे हैं। ठीक ऐसा ही युवाओं के साथ भी लागू होता हैं वे कंप्यूटर, मोबाइल, आईपौड जैसे गैजेट्स के चक्कर में कोई खास शारीरिक परिश्रम नहीं करते जिससे उन्हें मोटापे की शिकायत होने लगी हैं।
- भोजन करने का सही समय ना होना, भोजन में वसा, मिठाई, तेल, घी, दूध, अंडे, शराब, मांस, धूम्रपान, अन्य तरह का नशे के कारण भी वज़न बढ़ता है।
- शरीर की कुछ ग्रंथियाँ भी मोटापे का कारण होती हैं। अवटुका ग्रंथि और पीयूष ग्रंथि के स्रावों की कमी की वजह से मोटापा पनपता है।
- वंश परंपरा भी मोटापे का कारण हो सकती है यदि माता या पिता में से कोई भी मोटा है तो बच्चे का मोटा होना स्वाभाविक है।
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- बच्चों की खाने की आदतों के कारण उनमें मोटापा बढ़ने लगता है। अधिक मात्रा में कैलोरी युक्त खद्य पदार्थों के सेवन से मोटापा बढ़ सकता है। स्नैक्स, जंक फूड, फास्टफूड, अधिक मीठा खाने के शौकीन, दूध कम पीने और दूध से बने मीठे उत्पादों का सेवन करने से भी मोटापे में वृद्धि होती है।
- कई बार बच्चों के सक्रिय न होने से भी उनमें मोटापा बढ़ने लगता है। अधिकतर बच्चें खाने-पीने में लापरवाही बरतते है और पौष्टिक आहार के बजाय जंक-फूड इत्यादि खाते हैं। साथ ही किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधियां नहीं करते और निष्क्रिय रहते हैं। कई बार बच्चे कंप्यूटर-वीडियो गेम, टीवी देखना इत्यादि एक ही जगह बैठे रहने वाली गतिविधियां करते हैं जिससे उनका शारीरिक व्यायाम नहीं हो पाता। नतीजन,बच्चे में मोटापा बढ़ने लगता है।
- घर का वातावरण भी बच्चे में मोटापा बढ़ा सकता है। बच्चा पौष्टिक आहार कम खाता है, फल इत्यादि नहीं खाता और अभिभावक भी बच्चे की जिद के आगे झुक जाते हैं। नतीजन वे बच्चे की मांग के अनुरूप उसे खाने के लिए ऐसी वसायुक्त चीजें देने लगते हैं जो बच्चों के लिए नुकसानदायक होती हैं।
- कई शोधों के मुताबिक, गर्भावस्था में धूम्रपान करने वाली माताओं के बच्चे मोटापे का शिकार हो सकते हैं।
- कई बार बच्चे को निश्चित अवधि से कम स्तनपान कराया जाता है तो भी बच्चे में मोटापे के बढ़ने की हो जाती है।
- आजकल स्कूली बच्चों में मोटापा अधिक देखने को मिलता है। बच्चे टिफिन ले जाने के बजाय स्कूल की कैंटीन इत्यादि में खाना पसंद करते हैं। बच्चों की खाने-पीने की इस आदत के कारण उनका वज़न बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
मोटापा कई बार जेनेटिक भी होता है। यदि माता-पिता मोटापा शुरू से ही मोटे हैं तो आपके भी मोटा होने की संभावना बढ़ जाती है। जो लोग मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है या किन्हीं कारणों से वे तनावग्रस्त हैं, वह तनाव में अधिक खाने लगते है जिससे शरीर में अतिरिक्त वसा का जमाव हो जाता है।तमाम बीमारियां या उसके दुष्प्रभाव से फिर उस बीमारी के इलाज के दौरान भी व्यक्ति को मोटापा जकड़ लेता है।
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