वायु प्रदूषण का एक और बड़ा खतरा सामने आया है। ताजा शोध के मुताबिक, उच्च प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वालों को साइनस से जुड़ी गंभीर परेशानियों का खतरा रहता है। अमेरिका की जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में चूहों पर शोध किया। साइनस मानव खोपड़ी में हवा भरी कैविटी होती है, जो सिर को हल्कापन देती है और सांस के दौरान हवा को अंदर लेने में सहायक होती है। प्रदूषण कण साइनस में ही फिल्टर होते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादा समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से प्रदूषण के कण साइनस कैविटी को भरने लगते हैं। इससे सिर दर्द, जुकाम, सिर भारी होना और ऐसी ही अन्य सांस संबंधी परेशानियां हो जाती हैं। समय पर इलाज न मिलने से ऑपरेशन की नौबत आ जाती है।
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क्या है साइनस
चिकित्सकों के अनुसार, साइनस मानव शरीर की खोपड़ी में हवा भरी हुई कैविटी होती हैं जो हमारे सिर को हल्कापन व सांस वाली हवा लाने में मदद करती है। सांस लेने में अंदर आने वाली हवा इस थैली से होकर फेफड़ों तक जाती है। यह इस थैली में हवा के साथ आई गंदगी यानी धूल और दूसरी तरह की गंदगियों को रोककर, बाहर की ओर फेंक देती है। लेकिन साइनस का मार्ग रुकने पर अर्थात बलगम निकलने का मार्ग रुकने पर 'साइनोसाइटिस' नामक बीमारी हो सकती है। आमतौर पर लोग साइनोसाइटिस के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं होते। लेकिन स्थिति गंभीर होने पर सांस नली में संक्रमण से ब्रोंकाइटिस तथा फेफड़ों में सिकुड़न से अस्थमा भी हो सकता है।
सर्दी जुकाम से शुरू होती है बीमारी
अधिकांश साइनस संक्रमण सर्दी के साथ शुरू होते है। सर्दी वायरस के कारण होती है जिसमें सामान्य रूप से साइनस टिशू में सूजन आ जाती है, सूजन के कारण हवा की जगह साइनस में मवाद या बलगम आदि भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं। वायरस के कारण साइनस संक्रमण में ली जानी वाली एंटीबायोटिक दवाएं केवल बैक्टीरिया को मारने में मदद करती हैं। इसके लक्षण एक या दो सप्ताह में अपने आप बेहतर हो जाते हैं। इस समस्या के लिए सर्दी खांसी की दवाएं आपकी मदद कर सकती हैं, लेकिन इन दवाओं पर निर्भरता से बचने के लिए इनका इस्तेमाल चार या पांच दिनों से ज्यादा नहीं करना चाहिए।
महानगरों में प्रदूषण है बड़ा कारण
साइनस की बीमारी महानगरों में होने वाली प्रमुख बीमारियों में से एक है। इसका मुख्य कारण शहरों में बढ़ता प्रदूषण है। डॉक्टर बैंस के अनुसार, हवा में एलर्जी और प्रदूषक- जैसे धूल, वायु प्रदूषण और तेज गंध जैसे परफ्यूम- खांसी, नाक में जलन और सूजन का कारण बन साइनस के जोखिम को बढ़ा देता है। साइनस संक्रमण को कम करने के लिए जिनता संभव हो इन परेशानियों से बचें, खासकर एलर्जी या अस्थमा से पीड़ित होने पर।
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