आदित्य (बदला हुआ नाम) को स्कूल में बच्चे सिर्फ इसलिए चिढ़ाते थे क्योंकि उसकी दोस्ती लड़कों के मुकाबले लड़कियों के साथ ज्यादा थी। बचपन से इसी परेशानी का सामना करने के कारण आदित्य हर समय तनाव में रहता था। माता-पिता के साथ के बावजूद भी आदित्य को स्कूल का माहौल परेशान करता था। फिर एक दिन 16 साल की उम्र में आदित्य ने आत्महत्या कर ली। ये एक सच्ची कहानी है। ऐसा किसी और बच्चे के साथ न हो इसके लिए बच्चों के मन में चल रही समस्या का समाधान निकालना जरूरी है। क्या आपने कभी सोचा है कि छोटे बच्चे के मन में आत्महत्या जैसा कदम उठाने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? इस लेख में हम बच्चों के आत्महत्या करने के पीछे छुपे कारण और बचाव के तरीके जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लाइफ कोच और काउंसलर प्रिया परमिता पॉल से बात की।
बच्चों के मन में क्यों आता है सुसाइड का ख्याल?
- टीजिंग का शिकार होना।
- भेदभाव का शिकार होना।
- डिप्रेशन में होना।
- परिवार में हुई कोई बुरी घटना।
- कोई गंभीर बीमारी होना।
- शराब या दवा की लत।
आत्महत्या के विचार के लक्षण
- आत्महत्या से जुड़ी बातें करना।
- डिप्रेशन के लक्षण नजर आना।
- ज्यादा शांत या गुस्से में रहना।
- खुद को निराशावादी महसूस करना।
- एल्कोहल पीना या सिगनेट का सेवन करना।
इसे भी पढ़ें- टीनएज बच्चों में तेजी से बढ़ रहे आत्महत्या के मामले, जानें नाकारात्मक विचारों से लड़ने के 5 उपाय
पैरेंट्स को क्या करना चाहिए?
- बच्चे को अकेला न छोड़ें। अगर बच्चा उदास या बेचैन नजर आए, तो उसकी मदद करें।
- बच्चे से बात करें। उसे समझाएं और स्कूल व दोस्तों की मदद लें।
- बच्चों के व्यवहार में बदलाव नजर आए, तो उसे नजरअंदाज न करें।
- बच्चों को काउंसलिंग और दवाओं के अलावा परिवार के साथ और प्यार की जरूरत होती है।
ये बदलाव जरूरी है
- बच्चे और खासकर लड़कों की परवरिश कुछ इस तरह की जाती है कि उनका रोना बुरा या गलत माना जाता है जिसके कारण वो अपने मन की बात कह नहीं पाते। हर बच्चे का टैलेंट अलग होता है।
- बच्चों पर पढ़ने या किसी खास एक्टिविटी को करने का प्रेशर नहीं डालना चाहिए।
- कोई आदत या काम बच्चों की मर्जी के बिना करवाना ठीक नहीं है, इससे बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।
- गलती करने पर डांटना या मारना नहीं चाहिए, इससे बच्चे जिद्दी बन जाते हैं और डिप्रेशन में जा सकते हैं।
एक्सेस बार थैरेपी
काउंसलर प्रिया ने बताया कि अगर आपको बच्चे के मन में आत्महत्या जैसे विचार उठ रहे हैं या वो डिप्रेशन में है, तो सबसे पहले बच्चे को काउंसलर या डॉक्टर के पास लेकर जाएं। एक्सेस बार (Access Bar) थैरेपी की मदद से भी बच्चे को डिप्रेशन से बाहर लाया जा सकता है। इस थैरेपी में सिर के 32 बिन्दुओं को छूकर डिप्रेशन कम करने की कोशिश की जाती है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को भी ये थैरेपी दी जाती है।
अगर किसी बच्चे के मन में अवसाद चल रहा है, तो उसकी मदद करें। साइकोलॉजिस्ट या डॉक्टर की मदद लें। लेख ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच शेयर करें।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version