हमारे शरीर में आंख, कान और नाक जैसे संवेदनशील हिस्सों में भी कई बार समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, जो पीड़ादायक बन जाती हैं। इन अंगो का यदि समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो यह अपने हिस्से की गहराई में जाकर अपने ही अंगों को प्रभावित कर सकती है। इन स्थितियों को बिलकुल नजरअंदाज (Not Ignore) नहीं करना चाहिए। कई बार आपने देखा होगा या महसूस किया होगा कि हमारे कान में पानी चला जाता है, जो न निकलने पर कान में उथल पुथल मचा देता है। दरअसल यह कान में पानी जम जाने के कारण होता है। कई बार नहाते समय या बारिश में भीगते समय कान में पानी चला जाता है, जो अंदेखी करने पर जमा हो जाता है। इस स्थिति में आपकी शरीर में कई बीमारियां और कुछ संक्रमण (Infections) होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस स्थिति में आपके कान का पूरा स्ट्रक्चर (Ear Structure) यानि ढ़ांचा प्रभावित हो सकता है। इसलिए कान में पानी नहीं जमा होने देना चाहिए। इसके कई दुषपरिणाम हो सकते हैं।
हमारे कान का स्ट्रक्चर इस प्रकार से बना होता है कि पानी इयर कैनाल यानि कान की गुफा के रास्ते होकर यूस्टेशियन ट्यूब (Eustachian tube) में प्रवेश कर जाता है, जिससे आपको मिडल इयर इंफेक्शन के साथ ही यूस्टेशियन ट्यूब में भी संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। कान में पानी जाने पर अमूमन लोग चिकित्सक की सलाह लिए बिना खुद ही गलत प्रकार से लकड़ी डालकर, उंगली डालकर या फिर सिर झिटककर पानी निकालने लग जाते हैं, जो संक्रमण को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है। कई स्थिति में इस प्रकार पानी निकालना आपके कान को डैमेज भी कर सकता है। आएये जानते हैं कान में पानी जमा होने से किन बीमारियों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
स्विमर्स इयर (Swimmers Ear)
कान में पानी भर जाने की वजह से स्विमर्स इयर का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या को ओटाइटिस एक्सटर्ना (Otitis Externa) के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या ज्यादातर तैराकों को होती है या फिर देर तक नहाने के शौकीन लोग इससे ग्रस्त होते हैं। इसके कारण कान में नमी पैदा होने लगती है। इस समस्या के चलते कान में बैक्टीरिया पैदा होने की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस स्थिति में आपके कान में खुजली, दर्द और सूजन आदि भी हो सकती है। कान में मौजूद इयर वैक्स हमें इस स्थिति में ओटाइटिस एक्सटर्ना से लड़ने में मदद करता है। इसका शुरूआत में ही इलाज शुरू कर देना चाहिए नहीं तो यह कान के कैनाल को भी प्रभावित कर सकता है।
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ओटाइटिस मीडिया (Otitis Media)
ओटाइटिस मीडिया (Otitis Media) कान के मध्य हिस्से का संक्रमण होता है। इसे मिडल इयर इंफेक्शन (Middle Ear Infection) के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में कान में दबाव के साथ-साथ भारीपन भी रहता है। इस समस्या के तीन प्रकार हैं, जिनमें से एक एक्य़ूट ओटाइटिस मीडिया (Acute Otitis Media) है। इस स्थिति में कान के पीछ के हिस्से में जलन और सूजन (Swelling) होने लगती है। नाक और गले में होने वाले इंफेक्शन के कारण भी कई बार यह समस्या हो सकती है। कान में पानी जमा होने के बाद कुछ समय तक नहीं निकाला जाए तो ओटाइटिस मीडिया हो सकता है।
ब्रेन डैमेज (Brain Damage)
कान में पानी चले जाने से इंसान के मन में सबसे पहले सिर झटकने का ख्याल आता है। ऐसा करने से ब्रेन इंजरी हो सकती है। बच्चों के कान में पानी जाने पर सिर झटकने से ब्रेन की सेल डैमेज हो सकती है। ब्रेन तक ऑक्सीजन जाने में भी कठिनाई हो सकती है। आमतौर पर यह समस्या ज्यादातर बच्चों को अपना शिकार बनाती है। हालांकि जानकारी के अभाव में उम्रदार व्यक्ति भी कान में पानी चले जाने के बाद सिर झिटकने लगता है।
बैक्टीरिया पनपते हैं (Growth of Bacteria)
कान में पानी जमा होने के बाद जब हमें कोई सुझाव नहीं मिलता तो हम कान में उंगली डालने लगते हैं। ऐसा करने से हमारे नाखून में मौजूद जीवाणू इयर कैनाल से होकर यूस्टेशियन ट्यूब तक पहुंचते है। य़ही ट्यूब हमारे कान, नाक और गले से जुड़ी होती है। यूस्टेशियन ट्यूब प्रभावित होने से यह हमारे गले और नाक को भी प्रभावित कर सकती है।
मेनियर रोग (Meniere Disease)
मेनियर रोग (Meniere Disease) का वैसे तो कोई स्पष्ट कारण नहीं है, लेकिन कान से तरल पदार्थ यानि पानी नहीं निकल पाता है और कान में ही जम जाता है तो यह रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आपको चक्कर आने के साथ ही सुनने में भी कठिनाई होने लगती है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे आगे चलकर आपको बहरेपन का भी शिकार होना पड़ सकता है। इसके लक्षण समय के साथ गंभीर होते जाते हैं।
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टिनिटस (Tinnitus)
कान से पानी निकालने के चलते कई बार हम कान में उंगली डालकर अंजाने में इयर वैक्स को अंदर की ओर ढ़केल देते हैं। जिससे कान का मैल अंदर की ओर जाकर जम जाता है। इस स्थिति को टिनिटस कहा जाता है। आसान शब्दों में समझें तो टिनिटस (Tinnitus) का अर्थ है कान बजना। इस स्थिति में हमें कोई आवाज न आने पर भी आवाजें सुनाई देती है। इस समस्या से पीड़ित लोगों को रात में नींद आने में भी परेशानी हो सकती है।
कान में होने वाली समस्याओं को भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अन्यथा इस लेख में दी गई समस्याएं हो सकती हैं। ध्यान रहे कि कान में पानी जमा होने पर चिकित्सक की सलाहनुसार उसे निकालें।
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