तनाव को सेहत का दुश्मन माना जाता है। लेकिन कुछ नये अध्ययनों के आधार पर शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि तनाव हमारे लिए हमेशा बुरा नहीं होता। इसके नकारात्मक प्रभाव केवल उनमें नजर आते हैं, जो तनाव को बुरी चीज समझते हैं।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्वास्थ्य मनोवैज्ञानिक कैली मैक्गोनिगल ने कई शोध अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि तनाव को आमतौर पर सेहत के लिए नुकसानदेह माना जाता है। लेकिन, इसके प्रति पारंपरिक सोच को बदलकर उसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दूसरों की मदद करके और दूसरों से मदद लेकर भी तनाव के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।
मैक्गोनिगल ने ये बातें एक शोध के तहत आठ साल तक लोगों के अध्ध्यन से मिले नतीजों के अधार पर कहीं। इस अध्ययन में पाया गया कि जो लोग तनाव को नुकसानदेह मानते हैं उनकी इसके कारण मौत की आशंका भी अधिक होती है। गौरतलब है कि हर साल करीब 11 करोड़ लोगों की मौत तनाव के कारण होती है। हर दो सेकेण्ड में विश्व मे करीब सात लोग तनाव के कारण मर जाते हैं।
मैक्गोनिगल कहती हैं कि तनाव या फिक्र महसूस करना अंदरूनी तौर पर बुरा नहीं है। उनके मुताबिक तनाव को महसूस करने का मतलब है कि आप खुद को चुनौती दे रहे हैं और चुनौती देना खराब बात नहीं है। मैक्गोनिगल ने कहा, वास्तव में चुनौती देना अच्छा है, क्योंकि इनसे योग्यता की समझा विकसित होती है, स्वाभिमान बढ़ता है और प्रभुत्व का अहसास होता है। यदि ध्यान नहीं दिया जाए, तो तनाव स्थायी रूप से ठीक हो सकता है।
उन्होंने कहा कि उसके सामने ऐसी स्थिति आए कि उसकी दिल की धड़कन तेज चलने लगे, सांस फूलने लगे, ब्लड प्रेशर बढ़ जाए और हाथ-पैरों में पसीना छूटने लगे। लेकिन इन असहज परिस्थितियों को सकारात्मक नजरिया अपनकर काबू किया जा सकता है।
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