
पहले अकसर सोचा जाता था कि जो लोग तनावग्रस्त रहते हैं वे कमजोर होते हैं। पतले होते हैं। यही माना जाता था कि चिंता में व्यक्ति सूख जाता है। लेकिन, अब तनाव से जुड़ी एक और बात सामने आ रही है। इसमें कहा गया है कि वास्तव में तनाव मोटापे की एक बड़ी वजह होता है।
एक हालिया सर्वे में यह बात सामने आयी है कि महिलाओं में तनाव के बाद उच्च वसा युक्त भोजन वजन बढ़ने की अहम वजह हो सकता है। इसके पीछे एक वजह यह हो सकती है कि चिंता से हमारा मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है।
कैसे हुआ सर्वे
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को 930 कैलोरी और 60 ग्राम वसायुक्त आहार देने से पहले पिछले दिन के उनके तनाव के स्तर के बारे में पूछा। इसके बाद प्रतिभागियों के मेटाबॉलिज्म स्तर की जांच की गयी। इसके बाद इस बात की जांच की गयी कि महिलाओं को कैलोरी और वसा बर्न करने में कितना समय लगा। बाद में उनकी रक्त शर्करा, उत्तेजक, इनसुलिन का स्तर और तनाव के हॉर्मोन कोर्टिसोल के स्तर की जांच की गयी।
चौंकाने वाले रहे परिणाम
इस शोध के परिणाम चौंकाने वाले रहे। पता चला कि जिन महिलाओं को 24 घंटे पहले तनाव था, उन्होंने उन महिलाओं की अपेक्षा जिन्हें तनाव नहीं था, के मुकाबले 104 कैलोरी कम खर्च कीं। हालांकि दोनों ही समूहों को उच्च वसा युक्त आहार दिया गया था। इससे साल भर में 11 पाउण्ड यानी करीब 5 किलो वजन बढ़ सकता है। इसके साथ ही तनावग्रस्त महिलाओं में इनसुलिन का स्तर भी अधिक पाया गया, जो वसा को संचित करने में उत्तरदायी होता है। इतना ही नहीं ऐसी महिलाओं में फैट ऑक्सीडेंट्स भी कम पाये गए।
तनाव बिगाड़े रूप
अब दुनिया भर में यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि तनाव साइलेंट किलर है। जाने-माने कॉस्मेटिक सर्जन डॉक्टर मोहन थॉमस का कहना है कि तनाव से हमारी त्वचा पर विपरीत असर पड़ता है। डॉक्टर थॉमस का कहना है कि तनाव से 'कोर्टिसोल का निर्माण होता है, इससे आपके चेहरे की त्वचा को काफी नुकसान होता है। कोर्टिसोल का अधिक स्तर रक्त प्रवाह पर असर डालता है जिससे एक्ने, सोराइसिस और एक्जिमा की शिकायत होती है।
तनाव से होती हैं कई बीमारियां
तनाव अधिक चिंता, अवसाद और यहां तक की अनिद्रा का भी कारण बनता है। इसके साथ ही यह कई शारीरिक रोगों का भी कारण बनता है। ऑर्थोपेडिक सर्जन गौतम शेट्टी बताते हैं कि तनाव के कारण कमर और पीठ को किस प्रकार परेशानी होती है। डॉक्टर शेट्टी कहते हैं कि हम काफी देर तक कुर्सी पर आगे झुककर बैठे रहते हैं। इस दौरान काम के दबाव के चलते हम कोई ब्रेक भी नहीं लेते। इतना क्या कम है कि हम तनाव को दूर करने के लिए धूम्रपान, ओवरईटिंग और अल्कोहल का अधिक सेवन करने लगते हैं। इससे कमर और पीठ दर्द का खतरा बढ़ जाता है।
तनाव और विरोधाभास
दुर्भाग्य की बात है कि आजकल तनाव जीवन का हिस्सा बन गया है। और इसे विरोधाभास ही कहा जाए कि युवा अपनी सेहत को लेकर काफी सजग रहते हैं। जिम में पसीना बहाने से लेकर सही भोजन करना आदि उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। वे अपने शरीर को फिट रखने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। डॉक्टर थॉमस कहते हैं कि योग और गहरी सांस लेने से हमारी श्वसन प्रणाली नियंत्रित रहती है इससे विषैले पदार्थ शरीर से बाहर जाते हैं। कुछ प्रभावी हद तक यह स्वस्थ त्वचा के लिए भी उत्तरदायी होता है। क्लीजिंग, टोनिंग और मॉश्चराइजिंग भी आपको चमकदार त्वचा पाने में मदद करता है। इसके साथ ही डॉक्टर दिन मे कम से कम दो लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं।
ब्रेक लेते रहें
डॉक्टर शेट्टी कहते हैं, 'कमर दर्द से बचने का एक कारगर तरीका यह है कि काम के दौरान जितना हो सके मूव करते रहें।' नियमित अंतराल पर 10 से 15 मिनट के छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहें। अपनी बॉडी को स्ट्रेच करते रहें। लंच के दौरान ऑफिस में ही थोड़ी देर टहल लें इससे कमर दर्द और अकड़न से निजात मिलती है। रोजाना कमर और गर्दन के लिए स्ट्रेचिंग व्यायाम करें। सही पॉश्चर में बैठें। इसके साथ ही सही और पूरी नींद सोयें। नियमित व्यायाम करें और सही भोजन करें। इससे आपको तनाव को प्रभावी रूप से कम करने में मदद मिलेगी।”
तो यूं ही चिंता को चिता समान नहीं कहा जाता। और तनाव तो चिंता का अगला चरण है। तो, अपनी सेहत का खयाल रखिये और जितना हो सके तनाव से दूर रहने का प्रयास करें।
Image Courtesy- getty images
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