कैंसर जैसी जानलेवा और गंभीर बीमारी का खतरा असंतुलित जीवनशैली और खानपान की वजह से लोगों में बढ़ रहा है। कैंसर की समस्या कई तरह की होती है और इसे अलग-अलग अंगों के आधार अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कैंसर का एक सबसे प्रमुख प्रकार है पेट का कैंसर जिसे अंग्रेजी में Stomach Cancer कहा जाता है। पेट में कैंसर की समस्या में पेट में दर्द, खाने-पीने में तकलीफ और चलने में परेशानी होती है। इस समस्या में पेट में एक गांठ जैसा महसूस होता है। पेट के कैंसर की समस्या में आपके शरीर में कई लक्षण दिखाई देते हैं। इस बीमारी के लक्षण दिखते ही चिकित्सक से सलाह लेकर इलाज कारना बहुत जरूरी होता है। अगर आप कैंसर की समस्या में जरा सी लापरवाही बरतते हैं तो इसकी वजह से कई अन्य गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। पेट के कैंसर से जुड़े कुछ मिथक (भ्रामक बातों) के चलते लोग इसका शिकार हो जाते है या समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं करते हैं, जिसकी वजह से यह समस्या जानलेवा हो जाती है। आइये जानते हैं पेट के कैंसर से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में।
पेट के कैंसर से जुड़ी 8 गलतफहमियां या मिथक और उनकी सच्चाई (Myths And Facts About Stomach Cancer)
पेट के कैंसर की समस्या में आपके पेट के किसी भी हिस्से में असामान्य कोशिका वृद्धि होती है जिसकी वजह से पेट में यह समस्या शुरू हो जाती है। इस बीमारी को आमाशय का कैंसर (Gatric Cancer) भी कहा जाता है। दिल्ली के मशहूर मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ आर के गुप्ता के मुताबिक आमतौर पर पेट के कैंसर की बीमारी बहुत दुर्लभ होती है लेकिन जिन लोगों में यह समस्या होती है उन्हें कई गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। पेट के भीतर की कोशिकाओं के अनियंत्रित रूप से बढ़ने के कारण शरीर के अंदर बलगम का निर्माण होता है और इसकी वजह से मरीज की परेशानियां और बढ़ जाती हैं। पेट के कैंसर की समस्या में उचित समय पर इलाज मिलने से मरीज ठीक हो जाता है। लेकिन इस बीमारी से जुड़ी कुछ गलतफहमियों का शिकार होने पर मरीज को गंभीर समस्या का सामना भी करना पड़ता है। आइये जानते है पेट के कैंसर से जुड़ी कुछ भ्रामक बातें और उनकी सच्चाई के बारे में।
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मिथक 1: पेट में लंबे समय से अपच का मतलब पेट का कैंसर है
सच्चाई: तमाम लोगों में पेट के कैंसर को लेकर यह भ्रम होता है कि पेट में लंबे समय से अपच की समस्या, पेट के कैंसर का संकेत होती है। जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है। पेट के कैंसर की समस्या में शुरुआत में मरीज को एसिडिटी और डकार आने की समस्या होती है जो कि लंबे समय तक बनी रह सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पेट में अपच या डकार आने की समस्या का सीधा संबंध पेट के कैंसर से है। इसके लक्षण दिखने पर चिकित्सक की सलाह के बाद ही कैंसर की पुष्टि की जाती है।
मिथक 2: पेट में दर्द नहीं होता है लेकिन बाकी लक्षण दिखते हैं इसका मतलब कैंसर नहीं है
सच्चाई: दरअसल कई लोगों का यह सवाल होता है कि पेट में दर्द की समस्या नहीं है लेकिन पेट के कैंसर से जुड़े लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि मुझे पेट का कैंसर नहीं है। दरअसल चिकित्सक मानते हैं कि पेट के कैंसर के शुरुआत दिनों में मरीज को पेट में दर्द की समस्या नहीं भी हो सकती है। ऐसा इसलिए है कि शुरुआत में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ना शुरू ही हुई होती है। इसके गंभीर लक्षण कुछ समय बाद दिखने शुरू होते हैं।
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मिथक 3: पेट का कैंसर दुर्लभ होता है
सच्चाई: यह बात सच है कि बहुत कम लोगों में पेट के कैंसर की समस्या होती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसके लक्षण दिखने के बावजूद आप यह मान लें कि आपको पेट के कैंसर की समस्या नहीं है। दरअसल पेट के कैंसर की समस्या पेट के कई अंगों में हो सकती है। भारत में ही पेट के कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में ज्यादा पाए जाते हैं।
मिथक 4: पेट का कैंसर आनुवांशिक कारणों से नहीं होता है
सच्चाई: भले ही पेट के कैंसर को आनुवांशिक बीमारी नहीं माना जाता है लेकिन यह समस्या आनुवांशिक कारणों से भी हो सकती है। जिन लोगों के परिवार में पेट के कैंसर की समस्या की हिस्ट्री है उनमें इस समस्या के होने का खतरा 70 प्रतिशत ज्यादा हो जाता है।
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मिथक 5: पेट के कैंसर की समस्या का कोई इलाज नहीं है
सच्चाई: सही समय पर इसके लक्षणों को पहचान कर डॉक्टर से सलाह लेने पर शुरुआत में ही इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। पेट के कैंसर की समस्या के चौथे चरण में इसका पता लगने पर इसे ठीक करना मुश्किल होता है लेकिन शुरुआत में ही इसके लक्षणों को पचान लेना और इलाज लेना फायदेमंद होता है। गंभीर मामलों में इसका इलाज कीमोथेरेपी के द्वारा किया जाता है।
कैसे की जाती है पेट के कैंसर की जांच? (Stomach Cancer Diagnosis)
पेट के कैंसर से जुड़े लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सक की सलाह ली जाती है। शुरुआत में डॉक्टर आपके लक्षणों और शारीरिक स्थिति को समझने का प्रयास करते हैं जिसके बाद स्क्रीनिंग टेस्ट की सलाह देते हैं। कुछ मामलों में पेट के कैंसर के लक्षण आसानी से समझ नहीं आते हैं जिसके कारण इसका निदान करने में कठिनाई होती है। पेट के कैंसर की जांच में किसी तरह की प्रक्रिया शुरू करने से पहले आपका पारिवारिक इतिहास जानने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही शारीरिक परीक्षण भी किया जाता है। ये परीक्षण इस प्रकार से हैं।
- लैप्रोस्कोपी (Laparoscopy)
- ऊपरी एंडोस्कोपी (Upper endoscopy)
- बायोप्सी (biopsy)
- पूर्ण रक्त गणना (complete blood count)
- आनुवांशिक परीक्षण (genetic tests)
- इमेजिंग टेस्ट (imaging test)
- सीटी स्कैन
- पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी
- एक्स-रे परीक्षण, इत्यादि।

पेट के कैंसर से जुड़े मिथक या गलतफहमियों पर भरोसा करने से आप खुद को जोखिम में डाल देते हैं। इस बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह जरूरी है। ऊपर बताई गयी जांच के माध्यम से इसका पता आसानी से लगाया जा सकता है। जिसके बाद उचित इलाज मिलने पर आपकी बीमारी को दूर किया जाता है।
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